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November 1, 2024 9:03 pm

हाथरस हादसा: योगी आदित्यनाथ का संतुलित रुख और मायावती की तीखी प्रतिक्रिया, कम चौंकाने वाली नहीं है….

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दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुए हादसे के बाद सियासी गर्मी तेज हो गई है। इस मामले में यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने बयान दिया है कि गरीबों को ‘भोले बाबा’ जैसे बाबाओं के अंधविश्वास से बचना चाहिए और उन्होंने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। उनका यह बयान इसलिए चौंकाने वाला है क्योंकि भोले बाबा भी उसी जाति से आते हैं जिससे मायावती का संबंध है। 

मायावती ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर तीन पोस्ट किए हैं, जिसमें उन्होंने गरीबों, दलितों और पीड़ितों से अपील की है कि वे अपनी परेशानियों को दूर करने के लिए बाबाओं के अंधविश्वास और पाखंड से दूर रहें।

मायावती का सेल्फ गोल

मायावती का जनाधार उत्तर प्रदेश में लगातार गिर रहा है। पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनावों में यह साफ देखा गया है। ऐसे में बसपा को अपने कोर वोटर्स, जो अनुसूचित जाति से आते हैं, को सहेजने की जरूरत है।

लेकिन मायावती का भोले बाबा पर दिया बयान उनके कोर वोटर्स को नाराज कर सकता है क्योंकि बाबा के अनुयायियों में ज्यादातर अनुसूचित जाति से ही आते हैं। इसे मायावती का सेल्फ गोल कहा जा सकता है।

योगी आदित्यनाथ का सुरक्षित कदम

दूसरी ओर, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अभी तक भोले बाबा पर कोई सीधा हमला नहीं किया है। 

उन्होंने हाथरस में हादसे के पीड़ितों से मुलाकात की थी लेकिन बाबा पर कोई टिप्पणी नहीं की। यूपी पुलिस की एफआईआर में भी भोले बाबा का नाम नहीं है। 

सीएम योगी ने कहा कि एफआईआर उन पर की गई जिन्होंने कार्यक्रम की अनुमति मांगी थी और दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।

मायावती की मांग

मायावती ने सोशल मीडिया पर कहा कि बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के रास्ते पर चलकर गरीबों को अपनी तकदीर खुद बदलनी होगी और बसपा से जुड़ना होगा। 

उन्होंने कहा कि हाथरस कांड में दोषियों, विशेषकर भोले बाबा के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। मायावती ने यह भी कहा कि ऐसे बाबाओं के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं ना हों।

हादसे का कारण

हाथरस में भगदड़ दो जुलाई को भोले बाबा के सत्संग के दौरान हुई थी जिसमें 121 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें ज्यादातर महिलाएं थीं। 

एफआईआर के अनुसार, कार्यक्रम में 2.50 लाख से अधिक लोग शामिल हुए थे जबकि प्रशासन ने केवल 80 हजार लोगों को अनुमति दी थी। भगदड़ तब मची जब कई श्रद्धालु बाबा के पैरों की मिट्टी लेने के लिए दौड़े थे। आयोजकों ने वास्तविक संख्या को छिपाने की कोशिश की थी।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."