इरफान अली लारी की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के हाथरस में बाबा नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा के सत्संग के दौरान हुई भगदड़ में 134 लोगों की जान जा चुकी है। हादसे के बाद बाबा नारायण साकार हरि लापता हो गए हैं और उनकी कोई खबर नहीं है। इस घटना के बाद पुलिस ने उनके सेवादार देवप्रकाश मधुकर को मुख्य आरोपी बनाया है, जो एफआईआर दर्ज होने के बाद अपनी फैमिली के साथ फरार हो गया है।
देखने में वो एक सीधा- साधा सा आम किसान जैसा लगता है जिसकी हाईट 5फीट 6इंच है लेकिन है बेहद खूंखार,जिसकी अपनी सल्तनत है और उसका एक इशारा भर काफी है,अनशन के नाम पर आतंक मचाने वाला मथुरा कांड का मास्टरमाइंड रामवृक्ष यादव पूर्वांचल का पुराना मनबढ़ रहा है। गाजीपुर के मरदह थाना क्षेत्र के ग्राम सभा रायपुर बागपुर केरहने वाले शातिर दिमाग के इस शख्स ने दो साल पहले जिले को छोड़कर मथुरा को ही परिवार के साथ डेरा बना लिया है। गांव के उसके पुराने कच्चे मकान पर ताला बंद है तो खेती-बाड़ी उसके भाई-भतीजे देखते हैं।
सबसे खास बात यह है शातिर रामवृक्ष को प्रदेश सरकार की तरफ से लोकतांत्रिक सेनानी की पेंशन भी मिलती है। बाबा जयगुरुदेव का शिष्य रह चुका रामवृक्ष बहुत ही शातिर दिमाग का था। जनपद को छोड़कर बाहर जाने के बाद अपने शातिर दिमाग से धर्म की चादर ओढ़कर वह सफेदपोश अपराधजगता की एक हस्ती बन गया था, जिसकी झलक गुरुवार को मथुरा में देखने को मिली।
अनशन की आड़ में उसने अपराधियों का एक गैंग बना लिया था और भारी मात्रा में राइफलें, बंदूक व गोलियां का जखिरा इकट्ठा कर लिया था। रामवृक्ष के दो पुत्र व दो पुत्रियां हैं। पुत्रियों की शादी हो चुकी है, वह अपने दोनों पुत्रों व पत्नी के साथ मथुरा में ही रहते हैं।
हाथरस की इस घटना ने 2016 के मथुरा कांड की यादें ताजा कर दी हैं, जब रामवृक्ष यादव नाम के एक तथाकथित धर्म गुरु ने पूरे शहर में हिंसा फैलाई थी। इस हिंसा में एक एसपी और एक एसएचओ सहित 24 लोगों की जान चली गई थी।
रामवृक्ष यादव का परिचय
रामवृक्ष यादव यूपी के गाजीपुर जिले का निवासी था। वह कभी बाबा जय गुरुदेव का खास शिष्य हुआ करता था। बाबा जय गुरुदेव के तीन खास शिष्यों में रामवृक्ष यादव भी शामिल था। अन्य दो शिष्य थे उनके ड्राइवर पंकज यादव और उमाकांत तिवारी।
रामवृक्ष यादव की नजरें बाबा जय गुरुदेव की लगभग 4 हजार करोड़ रुपए की संपत्ति पर थीं। लेकिन जब बाबा ने पंकज यादव को इस संपत्ति का वारिस बना दिया तो रामवृक्ष नाराज हो गया और अपने तेवर दिखाने लगा। बाद में बाबा जय गुरुदेव ने उसकी हरकतों को देखकर उसे आश्रम से निकाल दिया।
नया धर्म गुरु बनने की कोशिश
आश्रम से निकाले जाने के बाद और बाबा जय गुरुदेव के निधन के बाद रामवृक्ष यादव खुद धर्म गुरु बनने का सपना देखने लगा।
साल 2014 में उसने मथुरा के जवाहर बाग में कुछ लोगों को इकट्ठा किया और अपनी बेतुकी बातों से उन्हें प्रभावित किया। वह कहता था कि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री का चुनाव गलत है और इन्हें खत्म कर देना चाहिए।
उसकी मांग थी कि भारतीय मुद्रा को वापस लेकर गोल्ड करेंसी चलाई जाए। उसके अनुसार, एक नए देश का निर्माण होना चाहिए जहां पेट्रोल और डीजल एक रुपए प्रति लीटर मिले और सोना 12 रुपए प्रति तोला हो। सरकारी नौकरी और पक्का घर देने का वादा करके उसने जवाहर बाग में अपने समर्थकों की संख्या बढ़ा ली।
गोरिल्ला युद्ध की ट्रेनिंग
रामवृक्ष यादव ने अपने समर्थकों को गोरिल्ला युद्ध की ट्रेनिंग दी। वह जानता था कि एक दिन पुलिस उसे वहां से हटाने आएगी। उसके समर्थक लाठी, तलवार और अन्य हथियारों से लैस होकर चलते थे। 2 जून 2016 को पुलिस ने रामवृक्ष को जवाहर बाग खाली करने का आदेश दिया, लेकिन उसने इनकार कर दिया।
पुलिस के सामने उसने बच्चों और महिलाओं को ढाल बनाकर खड़ा कर दिया। पुलिस ने बिजली और पानी की सप्लाई काट दी थी, लेकिन रामवृक्ष वहां से हटने को तैयार नहीं था। जैसे ही पुलिस ने जवाहर बाग में कदम रखा, रामवृक्ष के समर्थकों ने उन पर पत्थर बरसाए और गोलीबारी शुरू कर दी।
हिंसा और अंत
इस हिंसा में मथुरा के एसपी मुकुल द्विवेदी और एसएचओ संतोष कुमार यादव की हत्या कर दी गई। रामवृक्ष के समर्थकों ने खाना बनाने के लिए मौजूद गैस सिलेंडरों में आग लगा दी, जिससे पूरा जवाहर बाग आग की लपटों में घिर गया।
बताया जाता है कि उस समय जवाहर बाग में लगभग 3 हजार लोग मौजूद थे। इस हिंसा में कुल 24 लोगों की मौत हुई, जिसमें रामवृक्ष यादव भी शामिल था। वह भी बाग के अंदर जलकर मर गया। इस जबरदस्त हिंसा के बाद पुलिस ने आखिरकार जवाहर बाग को खाली करा लिया।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."