Explore

Search
Close this search box.

Search

18 January 2025 2:43 pm

लेटेस्ट न्यूज़

10 दिन की कांवड़ यात्रा के लिए कोई दिक्कत नहीं और 20 मिनट की नमाज़ के लिए इतना बवाल… चंद्रशेखर ने क्यों उठाया सवाल? 

50 पाठकों ने अब तक पढा

इरफान अली लारी की रिपोर्ट

आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद का एक बयान कांवड़ यात्रा और ईद को लेकर सुर्खियों में है। चंद्रशेखर ने कहा कि कांवड़ यात्रा के लिए 10 दिन तक रास्ते बंद हो सकते हैं, लेकिन 20 मिनट की नमाज से समस्या उत्पन्न होती है। 

इस बयान के बाद सियासत गर्म हो गई है। एनडीटीवी से खास बातचीत में चंद्रशेखर ने इस बयान के पीछे की भावना स्पष्ट की। 

उन्होंने कहा कि यह बयान उन्होंने धार्मिक असमानता के खिलाफ और संविधान के अनुरूप दिया है। उनका कहना है कि जब प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री शपथ लेते हैं, तो वे धर्म और जाति के आधार पर भेदभाव नहीं करने की बात करते हैं। लेकिन वर्तमान में धार्मिक आस्था के आधार पर भेदभाव हो रहा है।

चंद्रशेखर ने बताया कि कांवड़ यात्रा के समय सड़कों को 12-15 दिन तक बंद रखा जाता है, जिससे अस्पताल, स्कूल, और अन्य आवश्यक सेवाओं में बाधा आती है। लेकिन जनता इसे स्वीकार करती है और यात्रा का स्वागत फूलों से करती है। वहीं, ईद के समय 15-20 मिनट की नमाज के लिए दिक्कत होती है। उनका कहना है कि जैसे हम एक धर्म की आस्था का सम्मान करते हैं, वैसे ही संविधान के अनुसार दूसरे धर्म का भी सम्मान करना चाहिए।

उन्होंने धार्मिक असमानता के उदाहरण देते हुए कहा कि गुरु रविदास जी के मानने वाले लोग सुबह यात्रा और धार्मिक आयोजन करते हैं। लेकिन कुछ गांवों में नई परंपरा चालू करने पर प्रशासन मना करता है। उनका सवाल है कि क्या उनकी आस्थाओं का सम्मान नहीं होना चाहिए? उन्होंने राम मंदिर का उदाहरण देते हुए कहा कि राम मंदिर का फैसला उनके मंदिर के मामले के बाद आया, लेकिन उनका मंदिर तुगलकाबाद में अभी तक नहीं बन पाया है। चंडीगढ़ में उनके गुरु के घर को तोड़ने की तैयारी चल रही है, जैन समाज और बौद्ध धर्म के लोगों को भी परेशान किया जा रहा है।

चंद्रशेखर ने कहा कि प्रधानमंत्री देश के गार्जियन हैं और उन्हें अपने बच्चों के साथ किसी भी तरह का भेदभाव नहीं करना चाहिए। प्रदेश के गार्जियन को भी अपने परिवार के साथ समानता का व्यवहार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि वे संविधान को मानने वाले लोग हैं और कहीं भी गैर बराबरी होगी तो वे अपनी आवाज उठाएंगे।

नमाज को लेकर चंद्रशेखर ने कहा कि सड़क पर नमाज पढ़ने से यदि कहीं विवाद होता है तो उसके लिए पुलिस और प्रशासन की जिम्मेदारी है। वे खुद नहीं कह रहे कि नमाज सड़क पर पढ़ी जानी चाहिए। यदि ईद पर 20 मिनट के लिए इजाजत मांगी जाती है तो किसी को तकलीफ क्यों होनी चाहिए? 

अंत में, चंद्रशेखर ने कहा कि वे खुद एक पीड़ित हैं, उनका मंदिर अभी तक नहीं बना है और उनकी आस्था का सम्मान नहीं हो रहा है। वे इसके लिए लड़ाई लड़ेंगे और बड़े से बड़ा आंदोलन करेंगे।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

लेटेस्ट न्यूज़