इरफान अली लारी की रिपोर्ट
अयोध्या में रामपथ कॉरिडोर का निर्माण इसी साल 22 जनवरी को राम मंदिर उद्घाटन से ठीक पहले हुआ था। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़, इस सड़क को बनाने में लगभग 624 करोड़ रुपये की लागत आई थी। उद्घाटन से पहले हजारों करोड़ रुपए खर्च करके अयोध्या के विकास के दावे किए गए थे, लेकिन जलभराव और धंसती सड़कों ने सभी पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
कई स्थानीय लोगों का कहना है कि राममंदिर उद्घाटन के लिए जल्दबाज़ी में विकास कार्य पूरा कराने की वजह से सड़कों का निर्माण मानकों के आधार पर नहीं हुआ है। इस जल्दबाजी के कारण सड़कों की गुणवत्ता पर प्रश्न उठाए जा रहे हैं।
केंद्र सरकार की स्वदेश दर्शन योजना के तहत अयोध्या के सौंदर्यीकरण और भव्य-दिव्य विकास को दीर्घकालिक और टिकाऊ विकास मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया गया था। लेकिन, उद्घाटन के बाद हुई पहली बारिश ने इस मॉडल पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
23 से 28 जून को हुई बारिश के बाद अयोध्या में राम मंदिर के मुख्य द्वार पर जलभराव देखा गया। जलवानपुर, औद्योगिक क्षेत्र गद्दोपुर, कारसेवकपुरम और सिविल लाइंस जैसे इलाकों में भी पानी भर गया। लोगों के घरों के अलावा, कई सरकारी कार्यालयों में भी पानी भर गया।
स्थानीय लोगों के अनुसार, सरयू के किनारे बसे इलाकों को छोड़ दिया जाए तो अयोध्या और फैजाबाद दोनों शहरों में बारिश के पानी का जमाव पहले कभी इतने बड़े पैमाने पर नहीं होता था।
22 जून, 2024 की सामान्य बारिश के बाद ही राम मंदिर के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास ने मंदिर के गर्भगृह की छत से पानी टपकने की बात कही थी। हालांकि, राम मंदिर निर्माण कार्य की देखरेख करने वाली ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने सोशल मीडिया पर राम मंदिर गर्भगृह में पानी के लीक वाले दावे को ग़लत ठहराया है। उन्होंने लिखा, “गर्भगृह में जहाँ भगवान रामलला विराजमान है, वहाँ एक भी बूंद पानी छत से नहीं टपका है, और न ही कही से पानी गर्भगृह में प्रवेश हुआ है”।
इसके अलावा, कई जगहों पर नई बनी सड़कों के धंसने की घटनाएं भी सामने आई हैं। अयोध्या ज़िले का स्थानीय प्रशासन भी मानता है कि सड़कों पर गड्ढे हो गए जो नहीं होने चाहिए थे। इस घटनाक्रम ने अयोध्या के विकास मॉडल और निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं।
प्रदेश में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी से जुड़े हुए शहर के महापौर महंत गिरीशपति त्रिपाठी ने रामपथ के निर्माण को अयोध्या के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया।
उन्होंने कहा, “रामपथ निःसन्देह अयोध्या में एक उपलब्धि है। इस सड़क में इंजीनियरिंग की कुछ समस्याएं थीं, इसलिए कुछ गड्ढे आए, लेकिन मुझे लगता है वह भी नहीं आने चाहिए थे। निर्माण में कुछ तकनीकी कमियां रह गई होंगी, जिसके कारण कुछ गड्ढे हो गए।”
महापौर ने आगे कहा, “22 जनवरी वाले आयोजन के मद्देनज़र पूरी दुनिया से श्रद्धालुओं के यहां आने की उम्मीद थी। सारे संसार की निगाहें अयोध्या की तरफ थीं। एक स्टेट ऑफ द आर्ट सड़क की आवश्यकता थी। हो सकता है कि जल्दी बनाने के चक्कर में तकनीकी कमी रह गई हो, उसके कारण शुरुआती बारिश में वो गड्ढे दिखाई पड़ रहे हैं, लेकिन हमें यह भरोसा है कि योगी सरकार में हम उन कमियों को दूर कर लेंगे। आने वाले दिनों में गंभीर बारिश से निपटने के लिए अयोध्या नगर निगम तैयार है।”
पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट (पीडब्ल्यूडी) में एडीशनल इंजीनियर ओम प्रकाश वर्मा ने मीडिया से कहा कि, “राम पथ डिफेक्ट लायबिलिटी पीरियड में है। इस अवधि में कोई भी समस्या आने पर निर्माण कार्य एजेंसी के द्वारा ही कराया जाएगा। आगामी मानसून के दौरान पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों, कर्मचारियों तथा संबंधित निर्माण एजेंसी की ओर से सतत निगरानी रखी जाएगी।”
सड़कों पर गहरे गड्ढों के अलावा राम मंदिर परिसर के मुख्य द्वार पर जलभराव देखा गया। वहीं, मंदिर के बगल में ही नगर निगम के अयोध्या कार्यालय, आस-पास की दुकानों और घरों में भी जलभराव से जूझते लोग नज़र आए।
राम मंदिर से सौ मीटर दूर जलवानपुर इलाका पहले भी बारिश में मुश्किल समय का सामना करता रहा है, लेकिन पहली बारिश में ही लोगों के सामने जलभराव के संकट पैदा हो जाएंगे, ऐसा किसी ने सोचा नहीं था।
इस प्रकार, अयोध्या के विकास कार्यों और उनकी गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो गए हैं। रामपथ का निर्माण अयोध्या के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में प्रस्तुत किया गया था, लेकिन जलभराव और सड़कों में गड्ढों की समस्याओं ने इस उपलब्धि पर सवालिया निशान लगा दिया है।
प्रशासन का दावा है कि इन समस्याओं को जल्द ही ठीक कर लिया जाएगा, लेकिन स्थानीय लोगों के लिए यह एक बड़ी चिंता का विषय बन गया है।
Author: samachar
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