ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट
उन्नाव। उप संभागीय परिवहन कार्यालय में फर्जी बीमा के आधार पर एक गाड़ी का बीमा कर दिया गया, जिसका खुलासा वाहन स्वामी द्वारा मांगे गए आरटीआई में हुआ है। वाहन स्वामी अवधेश कुमार ने आरटीआई के माध्यम से जानकारी मांगी थी। जवाब में उप संभागीय परिवहन कार्यालय ने नई चेचिस नंबर, इंजन नंबर, सेल लेटर, सेल इनवॉइस आदि की जानकारी दी। इसमें बताया गया कि गाड़ी का पंजीयन एआरटीओ कार्यालय में कमर्शियल वाहन के रूप में किया गया है और इसके लिए रसीद और अन्य दस्तावेज भी पूरे किए गए हैं।
आरटीआई के जवाब में फर्जी बीमा के बारे में भी जानकारी दी गई है, जिसमें डीलर पर दोषारोपण किया गया है कि उसने कूट रचित और फर्जी बीमा जानबूझकर दिया है। हालांकि, यह सवाल उठता है कि फर्जी बीमा के आधार पर विभागीय अधिकारी और कर्मचारियों ने रजिस्ट्रेशन कैसे कर दिया? क्या उन्होंने बीमा चेक नहीं किया था? फिलहाल मामला कोर्ट में विचाराधीन है।
जन सूचना अधिकारी, सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी प्रशासन ने आरटीआई का जवाब दिया। अवधेश कुमार पुत्र स्वर्गीय राम अवतार, निवासी चकलवंशी, पोस्ट अटवा, थाना माखी ने यह आरटीआई दायर की थी। आरटीआई में दिए गए जवाब में बताया गया कि मेसर्स श्री तिरुपति ऑटो, आवास विकास, उन्नाव ने नई गाड़ी के रजिस्ट्रेशन के लिए आवश्यक कागजात विभाग में जमा किए थे, जिसमें चेचिस नंबर, इंजन नंबर, सेल लेटर, सेल इनवॉइस आदि शामिल थे।
एक अन्य प्रश्न के उत्तर में जन सूचना अधिकारी ने बताया कि 20 मार्च 2020 को वाहन का पंजीयन करने के लिए डीलर ने सभी प्रपत्र सत्यापित कर जमा कराए थे, जिसमें बीमा भी शामिल था। ऑनलाइन चेक करने पर बीमा पॉलिसी अन्य दीपावली श्रीवास्तव के नाम पर पाई गई, जबकि गाड़ी अवधेश कुमार के नाम पर रजिस्टर्ड होनी थी।
आरटीआई के जवाब से यह स्पष्ट हुआ कि डीलर ने कूट रचित और फर्जी बीमा प्रमाण पत्र सत्यापित कर विभाग में जमा कराया था, जो नियम विरुद्ध था और यह जानबूझकर किया गया था। सवाल यह उठता है कि रजिस्ट्रेशन के समय संबंधित क्लर्क ने बीमा चेक नहीं किया था या फिर डीलर की साजिश में वह भी शामिल था?
मोटर वाहन अधिनियम 1988 के अंतर्गत व्यापार प्रमाण पत्र के नियमों के विरुद्ध कार्य के कारण ट्रेड प्रमाण पत्र को निरस्त कर दिया गया था।
एआरटीओ कानपुर नगर ने डीलर मेसर्स श्री तिरुपति ऑटो द-माल कानपुर के व्यापार प्रमाण पत्र को 30 नवंबर 2023 से 2 दिसंबर 2023 तक के लिए निलंबित कर दिया था। यह आदेश निलंबन के दूसरे दिन, 1 दिसंबर 2023 को जारी किया गया था, जो विभाग और डीलर के बीच मिलीभगत की ओर इशारा करता है।
Author: samachar
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