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18 January 2025 6:49 pm

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इस गांव में तपस्वी के श्राप से 150 बाराती बन गए थे पत्थर, जानिए इसके पीछे की सच्चाई

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हरीश चन्द्र गुप्ता की रिपोर्ट

बरतियाभांठा दो शब्दों के संयोग से बना है, पहला- बरतिया जिसका अर्थ होता है स्त्री-पुरुष का मिलन या विवाह, और दूसरा भांठा- गांव या स्थान। बारातियों के समान आकृति वाले पत्थरों के कारण इस गांव का यह नाम पड़ा है। 

बरतिया भांठा गांव में एक पुरानी कहानी है कि कई सौ वर्ष पहले यहां एक राजा की बारात आई थी। बारात में बहुत सारे लोग थे, जैसे हाथी, घोड़े, अन्य जानवर, ढोल-नगाड़े, बरछी-भाले। गांव वालों ने उनका स्वागत किया और उनके लिए रात्रि भर ठहरने की व्यवस्था की। अगले दिन सबने स्नान किया, देवी मां की पूजा की और एक जानवर की बलि दी। यह घटना गांववालों के लिए बहुत महत्वपूर्ण रही।

बरतिया भाटा गांव के इतिहास में एक अत्यंत रोमांचक और विचित्र घटना दर्शाई जाती है, जिसने गांव के रूप में एक अनूठी पहचान बनाई। जनश्रुति के अनुसार, कई सौ वर्ष पहले, यहां एक राजा की बारात गुज़री थी। बारात ने एक कुटिया के पास एक तपस्वी को देखा, जो अपने चारों ओर साफ-सफाई और शांति में जीवन व्यतीत कर रहा था।

बारातियों ने तपस्वी की कुटिया के पास बकरे की बलि देने का निर्णय किया। लेकिन बलि के लिए चुनी गई जगह पर रक्त से रंजित ज़मीन देखकर तपस्वी को बहुत क्रोध आया। उन्होंने बारातियों पर तत्क्षण श्राप दिया कि वे सभी पत्थर बन जाएं और उनके साथ-साथ सभी जानवर और सामान भी पत्थर में बदल जाएं।

उस दिन से बरतिया भाटा गांव में यह अजीबोगरीब घटना हुई, और गांव का नाम ‘बरतिया भाटा’ पड़ गया। पुरातत्वविद विभाग ने इस इलाके की जांच की और यहां कई ऐतिहासिक खंडहर खोजे गए, जिनमें लाकर गाड़े गए विभिन्न सामान और हथियार भी शामिल हैं। इसे आदिवासियों का कब्रिस्तान भी माना गया है, जहां इन पत्थरों के नीचे बरछी, भाले, तीर जैसे हथियार भी मिले हैं।

गांव के प्रजन्म के अनुसार, इस घटना के बाद से ग्रामीण समुदाय में इस अजब-गजब बारात की कहानी का विशेष महत्व रहा है, जो उनके इतिहास और संस्कृति का अभिन्न हिस्सा बन गया है।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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