अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट
लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद विपक्षी दलों के गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंट इंक्लूसिव अलायंस (INDIA) में बिखराव की खबरें आ रही हैं। चुनाव परिणाम घोषित हुए अभी चार दिन भी नहीं हुए हैं, लेकिन गठबंधन में शामिल विभिन्न दलों के बीच असहमति और खींचतान की खबरें सामने आ रही हैं। यह बिखराव विभिन्न राजनीतिक कारणों, विचारधारात्मक मतभेदों और व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं के चलते हो सकता है। विपक्षी गठबंधन को एकजुट रखना एक चुनौतीपूर्ण कार्य होता है, खासकर जब कई दलों के अपने-अपने हित और प्राथमिकताएं होती हैं।
लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद इंडियन नेशनल डेवलपमेंट इंक्लूसिव अलायंस (INDIA) में बिखराव के संकेत साफ नजर आने लगे हैं। दिल्ली, राजस्थान, और अब हरियाणा में गठबंधन के भविष्य को लेकर अनिश्चितता और दरारें सामने आ रही हैं।
हरियाणा में कांग्रेस और AAP का अलग होना
हरियाणा में कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने घोषणा की है कि कांग्रेस आगामी विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी। उनका कहना है कि आम आदमी पार्टी (AAP) के साथ गठबंधन केवल लोकसभा चुनाव तक था। इससे स्पष्ट है कि विधानसभा चुनाव में दोनों पार्टियों का अलग-अलग लड़ने का निर्णय हो चुका है।
राजस्थान में नाराजगी
राजस्थान में भी इंडिया गठबंधन में असंतोष की खबरें आई हैं। नागौर के सांसद और आरएलपी प्रमुख हनुमान बेनीवाल ने गठबंधन की बैठकों में शामिल न किए जाने पर नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि उनकी पार्टी के योगदान को नजरअंदाज किया गया, जिससे गठबंधन की एकता में दरारें पड़ने लगीं।
दिल्ली में कांग्रेस और AAP का अलग होना
दिल्ली में भी AAP और कांग्रेस का गठबंधन केवल लोकसभा चुनाव तक सीमित था। चुनाव नतीजों के तुरंत बाद ही AAP ने घोषणा की थी कि आगामी विधानसभा चुनाव में वे अकेले ही लड़ेंगे। इस घोषणा के बाद कांग्रेस ने भी स्पष्ट कर दिया कि वे दिल्ली में आगामी विधानसभा चुनाव में अकेले ही चुनाव लड़ेंगे।
गठबंधन की कमजोर होती एकता
लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद विपक्षी गठबंधन की एकता पर सवाल उठने लगे हैं। चुनावी नतीजों के बाद गठबंधन की बैठकों में कुछ दलों को नजरअंदाज किया गया, जिससे गठबंधन में असंतोष बढ़ा। हनुमान बेनीवाल जैसे नेताओं ने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी पार्टी के योगदान के बावजूद उन्हें महत्व नहीं दिया गया।
भविष्य की रणनीति
चुनावी नतीजों के बाद विपक्षी दलों की एकता पर संकट मंडरा रहा है। गठबंधन में शामिल दलों के बीच बढ़ती दरारें और अलग-अलग चुनाव लड़ने के फैसले से यह स्पष्ट है कि INDIA गठबंधन को अपनी एकता बनाए रखने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
अरविंद केजरीवाल जेल में हैं, लेकिन उनकी पार्टी शायद लोकसभा चुनाव में मिली हार से सदमे में है। दिल्ली की सभी सात लोकसभा सीटों पर विपक्षी दलों के गठबंधन INDIA को करारी हार झेलनी पड़ी। चार सीटों पर आम आदमी पार्टी और तीन सीटों पर कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन दोनों में से किसी को यहां एक भी सीट पर जीत नसीब नहीं हुई। यही वजह है कि दोनों पार्टियों के बीच फासले अभी से बढ़ते दिखाई दे रहे हैं। हरियाणा में भी कांग्रेस ने 5 सीटों पर कब्जा जमाया। यहां आम आदमी पार्टी को एक भी सीट नसीब नहीं हुई।
विधानसभा चुनाव में एक-दूजे को कोसेंगे दोनों
जिस आम आदमी पार्टी ने राजनीति में कदम रखने से पहले ही कांग्रेस को जमकर कोसा, उसे भ्रष्टाचारी बताया, उसके कोस-कोस कर सत्ता हासिल किया, उसी पार्टी ने राजनीति के खातिर कांग्रेस के हाथ से हाथ मिला लिया। हालांकि लोकसभा चुनाव में दिल्ली ने उन्हें मौका नहीं दिया, तो केजरीवाल खेमा कांग्रेस से उखड़े-उखड़े नजर आने लगे। अब दोनों पार्टियों ने ये साफ कर दिया है कि ये साथ लोकसभा चुनाव तक ही था, विधानसभा चुनाव में दोनों अकेले दावेदारी पेश करना पसंद करेंगे। हरियाणा में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं, जबकि दिल्ली में अगले साल 2025 में चुनाव होंगे। जिसमें दोनों पार्टियों के नेता एक-दूसरे को कोसते नजर आएंगे।
चुनाव बीतते ही INDI गठबंधन में पड़ने लगी दरार
बहुमत के नंबर 272 को पार करने से विपक्षी गठबंधन 38 सीट पीछे रह गया, कहां तक INDI गठबंधन को चुनावी नतीजों के बाद एकता दिखाने की कोशिश करनी चाहिए, यहां तो उल्टे दरार बढ़ने लगी। चुनावी नतीजों के ठीक बाद ही विपक्षी दलों की एकता में भंग पड़ने लगी है। दरअसल, 6 जून को दिल्ली में INDI गठबंधन में शामिल दलों के नेताओं ने रणनीति पर चर्चा की। हालांकि एक ऐसी भी सहयोगी पार्टी थी, जिसे उस बैठक में बुलाने के बारे में विचार भी नहीं हुआ। शायद यही वजह है कि राजस्थान से ताल्लुक रखने वाली पार्टी के मुखिया ने उसी वक्त नाराजगी जाहिर कर दी। ये वो पार्टी है, जिसने इस चुनाव में 1 सीट हासिल की है।
हनुमान बेनीवाल ने विपक्षी गठबंधन को जमकर कोसा
इंडिया गठबंधन की बैठक में शामिल नहीं होने को लेकर आरएलपी प्रमुख और नागौर के सांसद हनुमान बेनीवाल का बयान आया। हनुमान बेनीवाल ने गठबंधन की बैठक में नहीं बुलाए जाने पर नाराजगी जाहिर की थी। बेनीवाल ने कहा था कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस गठबंधन को 11 सीट दिलाने में उनका बड़ा योगदान है। इसके बावजूद इंडिया गठबंधन की दो बैठकों में नजरअंदाज किया गया, जो कांग्रेस नेताओं की मानसिकता को दर्शाता है। अगर कांग्रेस में इतना ही दम होता तो दो लोकसभा चुनाव में एक भी सीट क्यों नहीं मिली थी।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."