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November 22, 2024 2:38 pm

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और निरहुआ ऐसे हारे… भाजपा के दिनेश लाल यादव के हार की बड़ी वजहें

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जगदंबा उपाध्याय की रिपोर्ट

आजमगढ़: देश की सबसे हॉट सीटों में से एक आजमगढ़ सीट पर भोजपुरी सुपर स्टार दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ को एक बार फिर करारी हार का सामना करना पड़ा है। भाजपा ने इस सीट पर काफी मेहनत की मगर फिर भी ये सीट अपने नाम नहीं कर सकी। 

इस सीट पर समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव ने जीत हासिल की है जिन्हें 5,08,239 वोट हासिल हुए हैं। दिनेश लाल यादव की हार के 5 सबसे बड़े कारण जानने के लिए न्यूज़ 18 ने आजमगढ़ की राजनीति और आजमगढ़ की रोजाना की गतिविधियों पर मजबूत पकड़ रखने वाले लोगों से बातचीत की। 

बता दें कि साल 2022 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने करहल से चुनाव जीता था और ये सीट खाली हो गई थी। इसके बाद इस सीट पर हुए लोकसभा के उपचुनाव में दिनेश लाल यादव ने जीत हासिल की थी और यहां से सांसद बने थे। लेकिन वे इस बार का चुनाव हार गए हैं और ऐसे में सभी उनकी हार की वजह जानना चाहते हैं।  

लोगों ने निरहुआ की हार के कई पहलू बताए जिनमें पांच सबसे बड़े हैं। पहला कारण आजमगढ़ जिले की प्रतिष्ठित महिला संगठन दुर्गा शक्ति सेवा ट्रस्ट की अध्यक्ष पूजा सिंह बताती हैं कि आजमगढ़ का एमवाई समीकरण भाजपा प्रत्याशी दिनेश लाल यादव निरहुआ पर भारी पड़ा। आजमगढ़ लोकसभा के अन्तर्गत आने वाली पांचों विधानसभा सीटों सदर, मेंहनगर, मुबारकपुर, सगड़ी और गोपालपुर में बड़ी संख्या में मुस्लिम और यादव मतदाता हैं। 

दूसरा कारण 2022 के लोकसभा उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी दिनेश लाल यादव निरहुआ की जीत का सबसे बड़ा आधार बसपा प्रत्याशी रहे शाह आलम उर्फ गुड्‌डू जमाली रहे। 2022 के लोकसभा उपचुनाव में गुड्‌डू जमाली को दो लाख 66 हजार से अधिक मत मिले थे। इस बार गुड्‌डू जमाली चुनाव से पहले सपा में आ गए और समाजवादी पार्टी ने उन्हें एमएलसी भी बना दिय। सपा प्रत्याशी धर्मेन्द्र यादव गुड्‌डू जमाली को हर मंच पर स्थान देते थे। ऐसे में सपा ने गुड्‌डू जमाली के बहाने मुस्लिम मतदाताओं में सेंधमारी की कोशिश की। आजमगढ़ में भाजपा प्रत्याशी की हार का तीसरा सबसे बड़ा कारण डबल इंजन सरकार की नीतियां भी रहीं हैं। 

जनता का गुस्सा

एक तरफ जहां अग्निवीर के नाम पर जनता में गुस्सा था। वहीं प्रदेश सरकार द्वारा आयोजित कराई गई पुलिस भर्ती परीक्षा, आरओ एआरओ की परीक्षा में जिस तरह से प्रश्नपत्र लीक होने का मामला सामने आया। इसको विरोधी पार्टियों ने जमकर भुनाया, साथ हीं महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर भाजपा नेताओं के विवादित बयानों ने जनता का गुस्सा और अधिक बढ़ा दिया। पहले से ही मौके की तलाश में बैठी जनता ने वोट के माध्यम से इसका बदला ले लिया। चौथा कारण आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव भले ही भाजपा 2022 में जीत गई। भाजपा के चुनाव जीतने के बाद सभी की नजरें आजमगढ़ पर आ टिकी। यही कारण है कि भाजपा भी आजमगढ़ को उपजाऊ बनाने के लिए बड़ी-बड़ी संगठन की बैठकें करने लगा। 

नेता सिर्फ फोटो सेशन कराते

भाजपा नेताओं की बैठकों के बाद भी संगठन और पार्टी के नेताओं में सामंजस्य का बड़ा अभाव दिखा। जिसका असर लोकसभा चुनाव पर भी पड़ा। जिले के बड़ी संख्या में बड़े नेता और पदाधिकारी काफिलों के साथ घूमते रहे पर जमीन पर कोई काम नहीं किया। यह बड़े नेता सिर्फ फोटो सेशन कराते ही नजर आए। इस बात की जानकारी भाजपा प्रत्याशी दिनेश लाल यादव निरहुआ को भी थी। इसके साथ ही प्रदेश सरकार के मंत्रियों का बड़बोलापन भी जनता के गुस्से का कारण बना। 

बीजेपी ने इस सीट पर काफी मेहनत की

पांचवा कारण शहर के बड़े व्यापारी एसके सत्येन बताते है कि भाजपा ने जिले की मुबारकपुर विधानसभा को बहुत गंभीरता से लिया था। मुबारकपुर विधानसभा में सबसे अधिक मुस्लिम मतदाता हैं। मुबारकपुर में भाजपा नेताओं ने मुस्लिम वोटरों में भोजपुरी सुपरस्टार दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ आजमगढ़ सीट से लोकसभा सीट 2024 का चुनाव हार गए हैं। बीजेपी ने इस सीट पर काफी मेहनत की लेकिन फिर भी ये सीट अपने नाम नहीं कर सकी। 

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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