संतोष कुमार सोनी की रिपोर्ट
बांदा: बांदा लोकसभा सीट में नामांकन तिथि समाप्त होने के एक दिन पहले समाजवादी पार्टी ने अपना घोषित प्रत्याशी बदलकर भाजपा खेमे में खलबली मचा दी। पार्टी ने डेढ़ माह पहले घोषित प्रत्याशी पूर्व मंत्री शिव शंकर सिंह पटेल का टिकट काटकर उनकी पत्नी श्रीमती कृष्णा पटेल को चुनाव मैदान में उतार दिया। सपा के इस दांव से भाजपा के रणनीतिकारों की बेचैनी बढ़ गई। क्योंकि डेढ़ दशक बाद किसी राजनीतिक दल ने महिला प्रत्याशी पर दांव लगाया।
डेढ़ माह पहले शिव शंकर पटेल घोषित हुए थे प्रत्याशी
बांदा चित्रकूट लोकसभा क्षेत्र में डेढ़ माह पहले समाजवादी पार्टी ने पूर्व मंत्री शिव शंकर सिंह पटेल को चुनाव मैदान में उतारा था। लेकिन जब भाजपा ने भी शिव शंकर सिंह पटेल के सजातीय सांसद आरके सिंह पटेल को प्रत्याशी के रूप में रिपीट किया। तो इस बात की चर्चा होने लगी की अब एक ही बिरादरी के दो प्रत्याशी चुनाव मैदान में नहीं रहेंगे कोई न कोई प्रत्याशी बदला जाएगा। इस बीच शिव शंकर सिंह पटेल के अस्वस्थ होने की खबरें सामने आने लगी और कयास लगाए जाने लगा कि अस्वस्थ होने के कारण उनकी जगह किसी दूसरे प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतारा जाएगा।
टिकट बदलने की चर्चा
सपा प्रत्याशी को बदले जाने की अटकलें के दौरान ही निर्भय सिंह पटेल, जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष अशोक दीक्षित, चित्रकूट विधायक अनिल प्रधान और वीर सिंह को प्रत्याशी बनाए जाने की चर्चा तेज हो गई। यह चर्चा उस समय और तेजी से बढ़ी जब नामांकन के दौरान शिव शंकर सिंह पटेल और उनकी पत्नी श्रीमती कृष्णा पटेल ने नामांकन दाखिल किया।
पति-पत्नी के एक साथ नामांकन दाखिल करने की बात पर पार्टी के नेता यह तर्क देते रहे कि भाजपा के इशारे पर प्रत्याशी शिव शंकर सिंह पटेल का नामांकन रद्द न हो जाए, इसके लिए उनकी पत्नी का नामांकन करा दिया गया है। जबकि कुछ लोगों का मानना था कि पत्नी का नामांकन एक रणनीति के तहत दाखिल कराया गया है।बताते हैं कि पार्टी हाई कमान में 2 मई को नामांकन करने के निर्देश दिए थे लेकिन पति-पत्नी ने 30 अप्रैल को ही नामांकन कर दिया था। इस बारे में पार्टी के जिला अध्यक्ष ने कहा था कि आज तो केवल ट्रेलर है 2 मई को पिक्चर दिखाएंगे।
जनसभा के दौरान प्रत्याशी बदले जाने की घोषणा
हुआ भी यही, 2 मई को समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी शिव शंकर सिंह पटेल भारी तामझाम के साथ राजकीय इंटर कॉलेज के मैदान में पहुंचे उनके साथ उनकी पत्नी भी थी। जनसभा के दौरान ही पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव विशंभर प्रसाद निषाद ने श्रीमती कृष्णा पटेल को पार्टी का अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया और बताया कि पहले घोषित प्रत्याशी श्री शंकर सिंह पटेल अस्वस्थ हैं इसलिए उनकी पत्नी को चुनाव मैदान में उतारा गया है। इस घोषणा के बाद श्रीमती कृष्णा पटेल ने कलेक्ट्रेट पहुंच कर नामांकन के दो सेट और दाखिल किया इसके बाद उनके पति ने भी नामांकन के दो सेट कर दाखिल किये।
बांदा चित्रकूट संसदीय क्षेत्र में पहला चुनाव 1957 में हुआ था। इसके बाद 1962 में कांग्रेस की सावित्री निगम को टिकट मिला था और वह चुनाव जीतने में कामयाब हुई थी। 2009 में भाजपा ने अमिता बाजपेई को चुनाव लड़ाया था, लेकिन वह चुनाव हार गई थीं। इसके बाद किसी भी राजनीतिक दल ने महिलाओं को टिकट नहीं दिया, जिससे महिलाएं संसद भवन तक पहुंचने में कामयाब नहीं रहीं।
इस बार समाजवादी पार्टी ने कृष्णा पटेल को प्रत्याशी बनाकर महिलाओं का सम्मान बढ़ाया था। महिलाओं और आम मतदाताओं ने उन्हें सिर आंखों पर बिठाकर संसद भवन तक पहुंचाने का काम किया। चुनाव जीतने वाली वाली कृष्णा पटेल जिले की दूसरी महिला सांसद होगी। इससे पहले 1962 में कांग्रेस की सावित्री निगम ने जीत हासिल की थी।
मतदान के दिन से ही यह कयास लगाए जाने लगे थे कि बसपा के मयंक द्विवेदी के चुनावी मैदान में आने से भाजपा का खेल बिगड़ सकता है। हालांकि सपा प्रत्याशी की जीत पर लोगों को संशय था। समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी कृष्णा पटेल शुरू से ही मतगणना में आगे होने लगी थीं, लेकिन कुछ देर तक भाजपा प्रत्याशी ने सपा उम्मीदवार को पीछे करने का प्रयास किया। चित्रकूट और बांदा जनपद की सभी विधानसभाओं में कृष्णा पटेल को जबरदस्त वोट मिले। 11वें राउंड के बाद उन्होंने अपनी बढ़त बनानी शुरू की। 11वें राउंड में वो भाजपा प्रत्याशी से लगभग दो हजार वोटों से पीछें थीं।
12वें राउंड से उन्होने अपनी लीड बढ़ाई और भाजपा उम्मीदवार से आगे हो गईं। धीरे-धीरे वो आगे बढ़ती गईं और भाजपा प्रत्याशी पीेछे होते गए। उधर, बसपा के मयंक द्विवेदी भी तीसरे स्थान पर दौड़ रहे थे। 32 चक्रों में हुई मतगणना के बाद जो परिणाम मिले उसके मुताबिक समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार कृष्णा पटेल को 4 लाख 5 हजार 455 वोट मिले। जबकि भाजपा के मौजूदा सांसद और उम्मीदवार आरके पटेल को 3 लाख 34 हजार 400 मत मिले। वहीं बसपा के मयंक द्विवेदी को 2 लाख 45 हजार 26 वोट मिले। कृष्णा पटेल ने भाजपा उम्मीदवार आरके पटेल को 71 हजार 55 वोटों से करारी शिकस्त देकर शानदार जीत हासिल की और जनपद से दूसरी महिला सांसद होने का गौरव हासिल किया।
उत्तर प्रदेश की बांदा लोकसभा सीट अपने आप में काफी दिलचस्प है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि क्योंकि यहां से ना सिर्फ भाजपा और कांग्रेस ने, बल्कि बहुजन समाज पार्टी (बसपा), समाजवादी पार्टी (सपा) वाम मोर्चा जैसी कई पार्टियों ने अपनी जीत का परचम लहराया है। बांदा जिला मध्य प्रदेश की सीमा से सटा हुआ है। यहां पाए जाने वाले शज़र पत्थर का इस्तेमाल आभूषण बनाने में किया जाता है। बांदा के आसपास चित्रकूट और कालिंजर जैसे कई टूरिस्ट प्लेस हैं।
2011 की जनगणना के मुताबिक, बांदा संसदीय क्षेत्र की कुल जनसंख्या 2,355,901 है, जिसमें 85.08% ग्रामीण और 14.92% शहरी आबादी है। इस सीट पर अनुसूचित जाति (एससी) की आबादी 24.2% है। यहां ब्राह्मण और कुर्मी मतदाताओं की भी अच्छा खासी तादाद है। बांदा में करीब 21% मुस्लिम वोटर हैं। बांदा लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत पांच विधानसभा सीटें – नरैनी, बबेरू, चित्रकूट, बांदा और मानिकपुर – आती हैं, जिसमें से नरैनी सीट अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित है।
2019 लोकसभा चुनाव में किसने मारी थी बाजी
2019 के लोकसभा चुनाव की बात करें, तो यहां से भाजपा के उम्मीदवार आर.के. सिंह पटेल ने बाजी मारी थी। उन्होंने अपने नजदीकी प्रतिद्वंदी और समाजवादी पार्टी (सपा) के कैंडिडेट श्याम चरण गुप्ता को 58938 वोटों के अंतर से हराया था।
आर.के. सिंह को 477926 वोट मिले थे, जबकि सपा उम्मीदवार श्याम चरण को 418988 वोट हासिल हुए थे। इस साल बांदा सीट पर 60.78 प्रतिशत मतदान रिकॉर्ड किया गया था।
2014 लोकसभा चुनाव में क्या रहा था नतीजा
2014 के लोकसभा चुनाव की बात करें, तो यहां से भाजपा के उम्मीदवार भैरव प्रसाद मिश्रा ने बाजी मारी थी। उन्होंने अपने नजदीकी प्रतिद्वंदी और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के कैंडिडेट आर.के. सिंह पटेल को 115788 वोटों के अंतर से हराया था। भैरव प्रसाद को 342066 वोट मिले थे, जबकि बसपा उम्मीदवार आर.के. सिंह को 226278 वोट हासिल हुए थे। इस साल बांदा सीट पर 53.61 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया था।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."