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18 January 2025 6:50 pm

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हालात-ए-कश्मीर ; नजर लग गई धरती के स्वर्ग को…. एक तहकीकी जायजा

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केवल कृष्ण पनगोत्रा

कश्मीर में 18 मई को संसदीय चुनावों के दौरान शोपियां और अनंतनाग में आतंकी घटनाओं का होना चिंता का विषय है. धारा 370 आतंकवाद की जड़ थी. प्रधान मंत्री महोदय कहते हैं कि 370 की दीवार को कब्रिस्तान में गाड़ दिया गया है.

यह कहना गलत होगा कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद समाप्त हो गया है. प्रदेश में आतंकी घटनाओं को लेकर कमी की बात की जा सकती है मगर समाप्ति का दावा अभी नहीं किया जा सकता.

साल 2022 में 242 आतंकी घटनाएं हुईं और 172 आतंकी मारे गए. इनमें 31 जवान शहीद हुए और 30 आम नागरिक मारे.

कब और कहां हुए आतंकी हमले

वर्ष 2023 की शुरुआत ही जम्मू कश्मीर में आतंकियों ने हमले किए थे. पिछले साल आतंकी हमले की 43 घटनाएं हुई थीं. अगर सिलसिलेवार बात करें तो साल 2023 में सबसे बड़ा आतंकी हमला 4 अगस्त को हुआ था. यहां कुलगाम के जंगल में आतंकवादियों ने सेना के शिविर पर फायरिंग की थी. इसमें तीन जवान शहीद हो गए थे.

इसके बाद 6 अगस्त को ए‌लओसी के पास सेना और जम्मू कश्मीर पुलिस ने 24 घंटे में तीन आतंकियों को मार गिराया था.

9 अगस्त को भी पुलिस और इंडियन आर्मी के ज्वाइंट ऑपरेशन में छह आतंकी ढेर किए गए थे. जबकि सेना के तीन जवान घायल हुए थे.

4 सितंबर को रियासी जिले में सर्च ऑपरेशन के दौरान सेना और आतंकियों के बीच मुठभेड़ में एक आतंकी मारा गया था. जबकि दो जवान घायल हुए थे. 13 सितंबर को अनंतनाग और राजौरी में हुए एनकाउंटर में एक कर्नल एक मेजर और डीएसपी सहित पांच जवान शहीद हो गए थे. दो आतंकी भी मारे गए थे.

10 अक्टूबर को सोफिया में एनकाउंटर में दो आतंकियों को ढेर किया गया था.

29 अक्टूबर को श्रीनगर में आतंकियों ने एक पुलिस इंस्पेक्टर को तीन गोली मारी थी.

इसके बाद 17 नवंबर को राजौरी में एनकाउंटर में पांच आतंकी ढेर हुए थे.

22 नवंबर को 34 घंटे के मुठभेड़ के दौरान दो आतंकी मारे गए थे. जबकि पांच जवान शहीद हो गए थे.

इसके बाद पिछले साल 31 दिसंबर को राजौरी में आतंकियों ने सेना के काफिले पर हमला किया था, जिसमें पांच जवान शहीद हुए थे.

साल 2024 की आतंकी हमले की घटनाओं का कोई आधिकारिक रिकॉर्ड तो नहीं है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो पिछले दो महीने में आतंकी हमले की छह घटनाएं हुई हैं.

साल 2022 को जुलाई में मॉनसून सत्र के दौरान लोकसभा में एक सवाल के जवाब में गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने कहा था कि 2019 के बाद आतंकी हमलों और गतिविधियों में कमी आई है. जम्मू और कश्मीर में 2018 में 417 आतंकी हमले हुए थे, जो 2021 तक घटकर 229 हो गए थे.

बेशक धारा 370 निरस्त होने के बाद आतंकी घटनाओं में कमी जरूर हुई है लेकिन अभी भी आतंकी घटनाओं पर चिंता मुक्त नहीं हुआ जा सकता.

दरअसल कश्मीर में आतंकवाद तीन दशक के बाद अब एक नए चरण में आ गया है. इसे अलगाववाद की राजनीति और उसके आतंकवादी ढांचे के आमूल परिवर्तन के रूप में देखा जाना चाहिए.

कश्मीर में चौदह साल के एक हथियारबंद बाल आतंकवादी का सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारा जाना कोई साधारण घटना नहीं है.

इस संबंध में कश्मीर से विस्थापित कश्मीरी पंडितों के नेता और जाने-माने बुद्धिजीवी डॉ. अग्निशेखर कहते हैं, “केंद्र को इस जिहादी चरण को हल्के में नहीं लेना चाहिए और इससे निपटने के लिए नई रणनीति बनानी चाहिए और लद्दाख, जम्मू सहित सभी लोगों से संवाद करने की ऐसी सच्ची पहल करनी चाहिए जिसके दूरगामी परिणाम हों.”

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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