मोहन द्विवेदी की रिपोर्ट
(कभी कभी नहीं अक्सर ऐसा होता है कि हम अगर किसी की वास्तविकताओं को उजागर करते हैं और वो सिर्फ और सिर्फ खूबियों भरी बातें ही हों, तो लोग पढकर चमचा, पिट्ठू आदि आदि मान्यताएँ जताते है। हालांकि वास्तवित: लिखने वाले की मनोस्थिति और प्रस्तुति की भावना वो स्वयं जानता है। मैं आज एक कलम के सिपाही, राजनेता की बेबाक चर्चा करना चाहते हैं।)
देवरिया जिले में ब्राह्मण मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। यहां वही चुनाव जीतेगा जिसे ब्राह्मणों का आशीर्वाद मिलेगा। ब्राह्मण समाज को साधने के लिए वैसे तो सभी दलों ने कोशिश की है लेकिन सर्वाधिक मेहनत भाजपा ने की है।
देवरिया लोकसभा क्षेत्र में ही लगभग 27 फीसदी ब्राह्मण मतदाता हैं। सलेमपुर लोकसभा क्षेत्र में भी लगभग 18 फीसदी ब्राह्मण है। जबकि बांसगांव लोकसभा सीट पर भी 20 फीसदी से अधिक ब्राह्मण है।
शलभमणि त्रिपाठी पत्रकारिता छोड़ राजनीति में आने वाले ऐसे नेता हैं जो अपना जनाधार बनाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। वो बतौर प्रवक्ता चैनलों के वातानुकूलित स्टूडियो में बैठने से ज्यादा आम जनता के बीच पार्टी की नुमाइंदगी करना ज्यादा पसंद करते हैं।
पार्टी के एक कर्मठ कार्यकर्ता की तरह जमीनी संघर्ष में लगातार पसीना बहा रहे हैं। देवरिया..गोरखपुर और प्रदेश के कई जिलों की आम जनता के बीच शलभ एक लोकप्रिय नेता के रूप में धीरे-धीरे स्थापित हो चुके हैं।
तमाम चर्चाओं और महत्वकाक्षाओं से दूर रहकर शलभमणि त्रिपाठी ने एक कर्मठ भाजपा वर्कर की तरह जनता के बीच रहकर जनसेवा को ज्यादा समय दिया। पार्टी से ज्यादा आम जनता का नुमाइंदे के रूप में भ्रष्ट तंत्र से लड़े।
गुंडों, दबंगों और भू-माफियाओं के खिलाफ मोर्चा लिया। ये सब आसान नहीं था।शलभ नहीं चाहते हैं कि वो बतौर पार्टी प्रवक्ता टीवी चैनलों में पार्टी का पक्ष रखने तक ही सीमित रहें।
वैसे तो पूर्वांचल की भाजपा में ब्राह्मण नेताओं की कमी नहीं है लेकिन उम्र और समय के साथ अधिकांश ब्राह्मण नेता हाशिये पर चले गए।
हाल के वर्षों में देवरिया के भाजपा विधायक शलभ मणि त्रिपाठी की न केवल ब्राह्मणों में पैठ बढ़ी है बल्कि संसदीय चुनाव के दौरान पार्टी संगठन ने भी शलभ मणि को ब्राह्मण गांवों में कैश कराने की भरपूर कोशिश की है। इसकी वजह ब्राह्मणों के बीच शलभ मणि त्रिपाठी की स्वीकार्यता का अचानक बढ़ जाना है। ब्राह्मण युवाओं में भी शलभ के बढ़ते क्रेज ने भाजपा के पुराने ब्राह्मण नेताओं को पीछे धकेल दिया है।
देवरिया /गोरखपुर (पूर्वांचल) में भाजपा का प्रवक्ता एक जमीनी कार्यकर्ता बनकर एक के बाद एक कुछ ऐसे काम कर गया जिसकी चर्चाएं पूर्वांचल की फिजाओं में गूंजने लगीं।
अपने गृह जनपथ देवरिया में उन्होंने भू-माफियाओं के खिलाफ जंग छेड़ कर अवैध कब्जों से मुक्ति दिलायी। दिलचस्प बात ये है कि श्री त्रिपाठी पिछड़ी जातियों के आम जनमानस के दिल में ज्यादा जगह बना रहे हैं।
यादगार पहल
एक मामला चर्चा में रहा। सपा के सक्रिय कार्यकर्ता प्रशांत यादव ने अपने कैंसर पीड़ित पिता के लिये सपा अध्यक्ष अखिलेश से मदद की गुहार लगाई। इससे पहले कि सपा की तरफ से कोई मदद मिलती शलभमणि मदद के लिए हाजिर हो गये।
इसी तरह देवरिया का एक और किस्सा है। यहां पांडेयचक चौराहे पर रविकेश नाम का एक गरीब पान की दुकान लगाकर परिवार का पेट पालता हैं। इसे पुलिस अकारण पकड़ कर ले गयी, और छोड़ा तब जब पांच हजार की घूस मिल गई। इस शिकायत को लेकर शलभ एसएसपी यहाँ तक कि डीजीपी से मिले। नतीजतन गरीब यादव को न्याय मिला और आरोपी पुलिसकर्मी को निलंबित कर दिया गया।
इस लोकसभा चुनाव में भाजपा ने ब्राह्मण गांवों में शलभ मणि त्रिपाठी को खूब कैश कराया है। पार्टी ने शलभ फार्मूले की बदौलत देवरिया लोकसभा सीट से लेकर सलेमपुर और बांसगांव संसदीय सीट के गांवों में नाराज ब्राह्मणों को पटाने में कामयाबी हासिल करने की भरपूर कोशिश की है। पिछले सप्ताह भाजपा ने सलेमपुर लोकसभा क्षेत्र के जिरासो, रेवली, चुड़िया नदौली, कटियारी समेत दर्जनों ब्राह्मण बहुल गांवों में शलभ का कार्यक्रम लगवाया। इस दौरान शलभ ने भाजपा की उपलब्धियां गिनाते हुए सलेमपुर लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी रविंद्र कुशवाहा को जीताने की अपील की।
सफल पर्याय बनकर रहे
कभी पूर्वांचल में ब्राह्मणों के बीच पूर्व कबीना मंत्री पंडित हरिशंकर तिवारी बेताज बादशाह रहे हैं। देवरिया के पंडित भी हरिशंकर तिवारी को ब्राह्मण शिरोमणि मानते थे। उनके निधन के बाद इस इलाके में ब्राह्मणों का कोई खास मजबूत नेता नहीं था। मगर शलभ मणि के आने के बाद यह कमी पूरी होती दिख रही है।
यही नहीं देवरिया से सांसद रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र और भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रमापति राम त्रिपाठी की बढ़ती उम्र के चलते भाजपा में शलभ पर विशेष फोकस किया जा रहा है ताकि वह ब्राह्मणों में खत्म हो रही भाजपा की साख को बचा सकें।
अंदर खाने में भाजपा का संगठन भी उनको इस क्षेत्र में ब्राह्मणों को बनाने की कोशिश में है क्योंकि शलभ मणि योगी जी के करीबियों में भी हैं। इसलिए उनके नाम पर कोई विरोध नहीं दिख रहा है।
शलभमणि का एक और बयान ट्विटर पर काफी चर्चित बयान पढिए
माननीय शिवपाल जी,आपकी सरकार का आतंक लोग भूले नहीं। ये पूरा विवाद ही 2014 से है, जब आप सत्ता के मद में अन्याय करा रहे थे। जवाहरबाग से लेकर देवरिया तक ज़मीनें कब्जा करवा रहे थे। आज भी सपा भले विपक्ष में है पर अराजकता ही इसकी पहचान है। योगीजी की सरकार है, इसीलिए न्याय की उम्मीद है। बाकी फिर कहता हूं, एक हज़ार मुकदमे करा लीजिए, या धमकियां दिलवा लीजिए। न डरा हूं, न डरूंगा, गुंडों को गुंडा कहूंगा, भू माफिया को भूमाफ़िया, सादर प्रणाम।’
बताना चाहूंगा कि देवरिया जिले में ब्राह्मण मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। यहां वही चुनाव जीतेगा जिसे ब्राह्मणों का आशीर्वाद मिलेगा। ब्राह्मण समाज को साधने के लिए वैसे तो सभी दलों ने कोशिश की है लेकिन सर्वाधिक मेहनत भाजपा ने की है।
देवरिया लोकसभा क्षेत्र में ही लगभग 27 फीसदी ब्राह्मण मतदाता हैं। सलेमपुर लोकसभा क्षेत्र में भी लगभग 18 फीसदी ब्राह्मण है। जबकि बांसगांव लोकसभा सीट पर भी 20 फीसदी से अधिक ब्राह्मण है।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."