Explore

Search
Close this search box.

Search

November 22, 2024 3:50 pm

लेटेस्ट न्यूज़

चुनाव के छठे चरण को गिने बगैर राजनीति के चाणक्य अमित शाह ने किस आधार पर 300 से 310 सीटें जीतने का दावा किया ❓

25 पाठकों ने अब तक पढा

अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट

लोकसभा चुनाव के लिए छह चरणों का मतदान पूरा हो चुका है। 1 मई को सातवें और आखिरी चरण के लिए वोटिंग होगी। बीजेपी शुरुआत से ही 400 पार का दावा कर रही है। 

वहीं दूसरी और विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A के नेता कह रहे हैं कि 4 जून को बीजेपी के दिन पूरे होंगे और उनकी सरकार बनेगी। इस बीच गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है कि पहले पांच चरणों में ही उन्हें सरकार बनाने के लिए बहुमत मिल चुका है। उन्होंने बेरोजगारी, मणिपुर हिंसा से लेकर कश्मीर मुद्दे पर अपनी बात रखी। गृहमंत्री ने दावा किया बीजेपी को इस बार भी स्पष्ट बहुमत मिल रहा है और वे एक मजबूत सरकार बनाने जा रहे हैं।

‘पांच चरणों में ही मिल गया बहुमत’

इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में गृहमंत्री अमित शाह ने कहा, सरकार बनाने के लिए हमारे पास पहले पांच चरणों में ही बहुमत का आंकड़ा मिल चुका है। 

उन्होंने कहा, हम 300 से 310 के बीच में हैं… इसमें छठा चरण शामिल नहीं है… हम आरामदायक स्थिति में हैं। इस बार हम 10 साल के ट्रैक रिकॉर्ड और 25 साल के शक्तिशाली सकारात्मक एजेंडे के साथ लोगों के बीच गए थे।

ये चुनाव 2019 से कैसे है अलग?

जब उनसे पूछा गया कि 2024 में अमित शाह का अभियान 2019 के अभियान से किस तरह अलग है? तो उन्होंने कहा, मैंने पूरे भारत की यात्रा की है। लद्दाख को छोड़कर, मैं हर राज्य, हर केंद्र शासित प्रदेश में गया हूं… 2019 में, लोगों में यह भावना थी कि देश को एक निर्णायक सरकार, एक निर्णायक नेता और यह तथ्य कि मोदी जो कर रहे हैं वह अच्छा है – इन तीनों से लाभ हुआ है।

2024 में, यह भावना है कि भारत को एक महान राष्ट्र बनाने की दिशा में यही रास्ता है। एक आत्मविश्वास ने जोर पकड़ा है। किसी भी राष्ट्र के लिए, उसके लोगों का सामूहिक आत्म-विश्वास राष्ट्र के विकास का कारण होता है। 130 करोड़ लोगों का सामूहिक संकल्प भी होता है। 

पीएम मोदी ने अमृत महोत्सव के रूप में इसे तैयार करके दोनों को जगाया है। अगले 30 वर्षों में बड़े होने वाले सभी बच्चों में यह दृढ़ संकल्प और विश्वास है कि भारत यह कर सकता है। मुझे लगता है कि यह देश के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। आप जनादेश की व्याख्या करने के लिए अनगिनत कारण ढूंढेंगे लेकिन सबसे महत्वपूर्ण कारण लोगों का यह विश्वास होगा कि देश जिस रास्ते पर चल रहा है, वह सही है।

‘विचारधारा के बिना नहीं होना चाहिए नेता’

चुनाव के नतीजों को लेकर चल रही अनिश्चितता को लेकर अमित शाह ने कहा, मुझे लगता है कि मीडिया का एक बड़ा वर्ग अभी भी हमें (भाजपा को) उस इकोसिस्टम को स्वीकार नहीं करता जिसका आप भी हिस्सा हैं। विचारधारा के बिना कोई राजनीतिक नेता नहीं होना चाहिए और विचारधारा के साथ कोई पत्रकार नहीं होना चाहिए। ठीक इसके उलट हुआ है। पत्रकार विचारधारा वाले होते हैं और नेता विचारधारा के बिना होते हैं।

जब उनसे पूछा गया कि आज कौन सी पार्टी या नेता बिना विचारधारा के हैं? तो उन्होंने कहा यह मीडिया का काम है, पता लगाएं, उनसे उनकी विचारधारा के बारे में पूछें। हमारी विचारधारा सबके सामने है। ये (कांग्रेस) वही लोग हैं जिन्होंने सालों तक स्थिर सरकार चलाई और अब मिलि-जुलि सरकार की बात कर रहे हैं। क्या स्थिर सरकार संविधान में अनिवार्य नहीं है? स्थिर सरकार देश को मजबूत बनाती है, दुनिया में भारत की पहुंच और प्रतिष्ठा बढ़ाती है।

बेरोजगारी के मुद्दे पर क्या बोले अमित शाह?

बेरोजगारी के मुद्दे पर अमित शाह ने कहा, ‘दुर्भाग्य से लोगों ने रोजगार को सरकारी नौकरी से जोड़ दिया है, सिर्फ नौकरी नहीं बल्कि सरकारी नौकरी। 130 करोड़ की आबादी में किसी भी सरकार के लिए सबको नौकरी देना असंभव है। दुर्भाग्य से कुछ लोग भ्रम फैला रहे हैं। 1.17 लाख स्टार्ट-अप शुरू हुए हैं, औसतन पांच लोग प्रति स्टार्ट-अप लें, क्या इससे रोजगार पैदा नहीं होते? 

47 करोड़ लोगों को स्वरोजगार के लिए मुद्रा लोन मिला है। 85 लाख रेहड़ी-पटरी वालों को स्वनिधि लोन मिला है, उनके गारंटर मोदी हैं। मुद्रा लोन की कुल राशि करीब 27.75 लाख करोड़ रुपये है। क्या इससे रोजगार पैदा नहीं होते? मैंने इनका एनपीए चेक किया, 99.5% में कोई एनपीए नहीं है। 2016-17 में बेरोजगारी दर 6.1 प्रतिशत थी, 2023 में यह 3.3 प्रतिशत है।’

अमित शाह ने आगे कहा, ‘मनमोहन सिंह सरकार ने 4 लाख करोड़ रुपये का इंफ्रास्ट्रक्चर बजट छोड़ा था, मोदी ने इसे बढ़ाकर 11.80 लाख करोड़ रुपये कर दिया। इस तरह के खर्च से रोजगार पैदा होंगे। 75 एयरपोर्ट से 150 तक, क्या इससे रोजगार पैदा नहीं होते? लेकिन कोई भी इनकी गिनती नहीं करता। सड़कें बनाने में हमारी गति कई गुना बढ़ गई है, रेलवे के मामले में भी यही हुआ है। हमने पहले सात सालों में 22,000 किलोमीटर ट्रांसमिशन लाइन बिछाई है। क्या इससे रोजगार पैदा नहीं होते?

गृहमंत्री ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, राहुल गांधी कहते हैं कि यह सरकार पांच अरबपतियों की सरकार है, दरअसल उनके (कांग्रेस के) समय में ऐसा ही था। उनके समय में 2.22 करोड़ डीमैट खाते थे, ये वो खाते हैं जहां औद्योगिक विकास का लाभ मिलता है। आज हमारे पास 15 करोड़ डीमैट अकाउंट हैं। ये 13 करोड़ लोग कुछ कमाते होंगे। उनके समय में हमारा मार्केट कैप 85 लाख करोड़ रुपये था, आज यह 500 लाख करोड़ रुपये है, यहां से जो लाभ हुआ वो डीमैट खातों में वितरित किया गया।

सरकारी नौकरियों में कम वैकंसी के सवाल पर गृहमंत्री मे कहा, ‘हम जिस रास्ते पर आगे बढ़ रहे हैं, उसमें बदलाव आएगा… 13 करोड़ लोग जो बाजार में आए हैं, उनमें से कई को परीक्षा देने की जरूरत नहीं होगी। किसी को सोलर कंपनी में नौकरी मिल जाती है, तो उसे परीक्षा देने की जरूरत नहीं होती। इसमें समय लगेगा।’ उन्होंने आगे कहा, ‘युवाओं में सबसे ज्यादा वोट भाजपा को मिलेंगे, ये मेरी बात मानिए। मैं चुनाव लड़कर आया हूं।’

सत्ता और विपक्ष में इतनी कड़वाहट क्यों?

जब उनसे पूछा गया कि सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच इतनी कड़वाहट क्यों है? इसके जवाब में अमित शाह ने कहा कि मेरी राय में, राहुल गांधी के पार्टी में आने के बाद कांग्रेस का व्यवहार बदल गया है, उसके बाद राजनीति का स्तर गिर गया है। पिछले 20 सालों में संसद का बहिष्कार करने के कारणों पर नजर डालिए। वे संसद से बाहर निकलने के बहाने ढूंढ़ते हैं। पहले भी कई बार ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिसके कारण बहिष्कार हुआ है और वह बहिष्कार भी कुछ दिनों का था। मैंने कभी नहीं देखा कि प्रधानमंत्री राष्ट्रपति के अभिभाषण का जवाब दे रहे हों और आप लगातार डेढ़ घंटे तक उसे बाधित कर रहे हों। वे प्रधानमंत्री हैं क्योंकि देश की जनता ने उन्हें यह जनादेश दिया है, आप नरेंद्र मोदी का नहीं बल्कि संवैधानिक व्यवस्था का अपमान कर रहे हैं।’ 

राहुल गांधी की बदलती छवि को लेकर अमित शाह ने कहा, ‘इस मामले में मेरा नजरिया कोई मायने नहीं रखता। मेरा मानना है कि जो भी विचारशील है, गंभीरता से सोचता है, वह देश के स्वागत का पात्र है।’

सांसदों के निलंबन पर क्या बोले?

अमित शाह ने सदन से विपक्ष के नेताओं के निलंबन और राहुल गांधी की अयोग्यता को लेकर कहा, सांसदों का निलंबन इसलिए हुआ क्योंकि उन्होंने संसद को चलने नहीं दिया, वहीं अयोग्य घोषित करना एक अदालती प्रक्रिया थी। अगर अदालत उन्हें सजा देती है, तो क्या उन्हें विशेष सुविधा मिलनी चाहिए? जिस दिन अदालत ने उस पर रोक लगाई, उसके अगले ही दिन वे संसद में वापस आ गए। यह कानून है, यह कानून वे लाए हैं, हम नहीं।

‘जनता तय करेगी कैसा हो विपक्ष’

उन्होंने फिर दोहराया कि देश की जनता तय करेगी कि विपक्ष में कौन और कितने लोग होंगे, यही हमारा संविधान कहता है। जब उनसे पूछा गया कि आपने सार्वजनिक रूप से कांग्रेस मुक्त भारत की बात कही है। क्या यह देश के लिए अच्छा है? 

इसके जवाब में अमित शाह ने कहा, ‘जब भी मैं कांग्रेस मुक्त भारत कहता हूं, तो मैं विचारधारा के संदर्भ में कहता हूं। लेकिन अब वह (विचारधारा) भी (कांग्रेस में) नहीं है। अमित शाह ने कहा कि मैं मानता हूं, मजबूत विपक्ष देश के लिए अच्छा है। लेकिन यह जनता तय करेगी। हम इसे बना नहीं सकते।

मोदी को क्यों चुन रही देश की जनता?

जब उनसे पूछा गया कि विपक्ष में अच्छे नेतृत्व की कमी से लोग बीजेपी को चुन रहे हैं? इसके जवाब में अमित शाह ने कहा, विपक्ष की कमजोरी का प्रधानमंत्री के राष्ट्र के प्रति मिशन से कोई लेना-देना नहीं है। ऐसे अनगिनत कारण हैं, जिनकी वजह से वे इतने लोकप्रिय हैं। 

10 साल में 60 करोड़ लोगों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने से लेकर, उन्हें घर, शौचालय, पानी, 5 लाख रुपये की बीमा योजना, 5 किलो अनाज, गैस सिलेंडर देकर सशक्त बनाने तक… मोदीजी ने आत्मविश्वास और आत्मनिर्णय का निर्माण करने में मदद की है। 

जिस दिन कोरोना की पहचान हुई, प्रधानमंत्री मोदी ने वैक्सीन मिशन का फैसला किया, 132 करोड़ लोगों की सुरक्षा के लिए तकनीक का इस्तेमाल किया। कहीं और उन्नत देशों में भी कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़खड़ा गई, क्योंकि वहां सरकार लड़ रही थी जबकि यहां सरकार और लोग मिलकर लड़ रहे थे।

‘जम्मू-कश्मीर में बीजेपी का चुनाव लड़ना जरूरी नहीं’

जम्मू-कश्मीर में मतदान बढ़ने को लेकर अमित शाह ने कहा, ‘मैंने इसकी उम्मीद की थी और संसद में भी यही कहा था। अब किसी को ‘जम्मू-कश्मीर संविधान’, ‘जम्मू-कश्मीर झंडा’ याद नहीं है। 

कश्मीर में बीजेपी के चुनाव लड़ने के सवाल पर उन्होंने कहा, भाजपा के लिए कश्मीर में चुनाव लड़ना कोई खास महत्व नहीं रखता। 70 साल तक गलत नीतियों की वजह से भारत के एक बड़े हिस्से को भारत से स्वतंत्र घोषित करने की मांग चलती रही। वो खत्म हो गई, ये हमारे लिए मायने रखता है। आपके लिए, अहम सवाल ये हो सकता है कि बीजेपी ने चुनाव क्यों नहीं लड़ा। 70 साल तक गलत नीतियों की वजह से भारत का इतना बड़ा हिस्सा आतंक और हिंसा से त्रस्त रहा। मजबूत पीएम और सरकार का नतीजा देखिए। यहां आजादी की मांग थी, अब वहां (पाकिस्तान में) ये मांग है, यहां पत्थरबाजी थी, अब वहां हो रही है। आपको ये बात माननी होगी, यहां तक कि उन लोगों को भी जो सोचते थे कि वो नीतियां सही थीं।

संविधान बदलने के आरोपों का दिया जवाब

संविधान बदलने और आरक्षण खत्म करने के आरोपों को लेकर गृहमंत्री ने कहा, ‘कुछ लोग और राहुल गांधी इसे मुद्दा मानते हैं, कोई और नहीं। यह सामान्य ज्ञान है। हम 10 साल से सत्ता में हैं और हमारे पास संख्याबल था। अगर हमें यह करना होता तो हम करते। 

हमने अपने पूर्ण बहुमत का इस्तेमाल अनुच्छेद 370, 35 ए हटाने, आतंकवाद को खत्म करने, नक्सलवाद को खत्म करने, राम मंदिर बनाने और 60 करोड़ लोगों के जीवन में बदलाव लाने के लिए किया। हमने अपने पूर्ण बहुमत का इस्तेमाल इस तरह किया है। इंदिरा गांधी के समय कांग्रेस को पूर्ण बहुमत मिला था, उन्होंने इसका इस्तेमाल आपातकाल लाने और 1.30 लाख लोगों को जेल में डालने, अखबारों में क्या संपादकीय चलेंगे, यह तय करने में किया। यह हमारी पार्टी का इतिहास नहीं है, यह राहुल गांधी की पार्टी का इतिहास है। वे कौन होते हैं हमें उपदेश देने वाले?

मणिपुर में क्यों नहीं गए पीएम?

मणिपुर मुद्दे को लेकर अमित शाह ने कहा, ‘मणिपुर की हिंसा न तो आतंकवाद है और न ही सांप्रदायिक, यह जातीय हिंसा है। इसे समाप्त करने के लिए, रास्ता लंबा है क्योंकि दो समुदायों के बीच विश्वास को बहाल करना – जो कुछ घटनाओं के कारण खत्म हो गया है, एक समय लेने वाली प्रक्रिया है। चुनावों के कारण, दोनों पक्षों, कुकी और मैतेई की ओर से बयान आ रहे हैं, जो इस प्रक्रिया को पटरी से उतार रहे हैं। इसलिए हम चुनावों के बाद इस पर बात करेंगे। 

पीएम के मणिपुर न जाने के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘मैं प्रधानमंत्री का प्रतिनिधि हूं और वहां जो कुछ भी हो रहा है, वह मेरे मंत्रालय के अंतर्गत आता है। प्रधानमंत्री लगातार और बारीकी से इस पर नज़र रख रहे हैं।’

75 साल उम्र के सवाल पर क्या बोले?

बीजेपी में 75 साल उम्र वाले मुद्दे पर अमित शाह ने कहा, ‘सबसे पहले, इस तरह के कोई नियम नहीं हैं। कुछ निर्णय एक निश्चित स्थिति में लिए गए थे, जब वह स्थिति मौजूद नहीं थी, तो वे नियम नहीं थे। मैं यह स्पष्ट कर दूंगा कि 2029 में भी प्रधानमंत्री ही हमारा नेतृत्व करेंगे।

जब उनसे पूछा गया कि ज्यादातर लोगों का मानना है कि दक्षिण में आपका वोट शेयर बढ़ने वाला है। अगर आपको तीसरी बार भी मौका मिलता है तो परिसीमन पर क्या उम्मीद है? अमित शाह ने जवाब दिया, हम पहले ही कह चुके हैं कि परिसीमन के बाद दक्षिण के साथ कोई अन्याय नहीं होगा। हमें इसके लिए तरीके तलाशने होंगे। मैंने संसद में बयान दिया है।’

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

लेटेस्ट न्यूज़