चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
सरकारी सेवा के बाद बेहतर करियर की आस में सियासी रूख करने की बात अफसरों को भी आकर्षित करती है। ऐसा ही हाल यूपी में भी है, जहां खासतौर पर दलित समाज से आने वाले कई अधिकारी अब सत्तारूढ़ दल का दामन थाम रहे हैं।
उत्तर प्रदेश की नौकरशाही में दलित वर्ग से आने वाले पूर्व डीजीपी बृजलाल, पूर्व एडीजी असीम अरुण और पूर्व डीजीपी विजय कुमार के बाद एडीजी रहे प्रेम प्रकाश ने भी अब भाजपा का दामन थाम लिया। इनमें प्रेम प्रकाश सहित कई नाम ऐसे हैं, जो दलितों के बीच बाकायदा मिशन के रूप में काम कर रहे थे।
एक समय मायावती के खास ऑफिसर रहे प्रेम प्रकाश की बीजेपी में एंट्री उस दौर में हुई है, विपक्षी गठबंधन जब भाजपा सरकार को संविधान बदलने के नाम पर घेर रहा है। एक-एक कर सिलसिलेवार दलित अधिकारी रिटायर होते ही भाजपा का दामन थाम रहे हैं। हवा का रुख भांपने वाले नौकरशाहों के इस कदम के कई तरह से सियासी मायने निकाले जा रहे हैं।
प्रेम प्रकाश अपनी सेवा के दौरान कई बार विवादों में भी आए मगर बहुजन मिशन के लिए काम करने की उनकी छवि लगातार बनी रही। असीम अरुण ने तो सेवा से वीआरएस लेकर 2022 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों से कुछ पहले भाजपा की सदस्यता ली थी। इनके अलावा न्यायिक और प्रदेश प्रशासनिक सेवा के कई अधिकारी भी अब भाजपाई हो चुके हैं।
इसमें अधिकारियों की चाहत भी सत्ता की नाव पर सवार होना है, जबकि भाजपा भी मायावती के सियासी तौर पर कमजोर पड़ने के मद्देनजर बसपा के वोट बैंक निगाहें जमाए हुए है।
फिलहाल की बात करें तो भाजपा में शामिल पूर्व डीजीपी बृजलाल राज्यसभा सदस्य हैं जबकि असीम अरुण योगी सरकार में स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री हैं।
Author: samachar
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