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November 22, 2024 6:09 pm

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मामला कुछ भी हो….यहां की जनता की राय अब भी अपने सांसद बृजभूषण शरण के साथ दिखाई दे रही 

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नौशाद अली की रिपोर्ट

गोण्डा: हमारे मालिक, हमारे भगवान, माननीय संसद बृजभूषण शरण सिंह को जन्मदिन की शुभकामनाएं’ निवेदक, संसद भक्त सम्राट गुप्ता। कैसरगंज लोकसभा क्षेत्र के पसका बाजार इलाके में लगे एक पोस्टर में यह लिखा। 

दीवार पर लिखी इबारत इतनी साफ है कि 67 वर्षीय दबंग नेता, छह बार के सांसद, कैसरगंज लोकसभा क्षेत्र में अपनी पकड़ के बारे में किसी भी तरह की शंका को दूर कर सकते हैं, जिसमें बहराइच के दो विधानसभा क्षेत्र और गोंडा के तीन विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं।

दिल्ली के आरोय तय करने के फैसले का भी नहीं दि रहा असर

भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप तय करने के दिल्ली की अदालत के फैसले का कैसरगंज के मतदाताओं के बीच कोई असर नहीं दिख रहा है, जहां 20 मई को मतदान होना है। ये आरोप महिला पहलवानों ने लगाए थे और कई दिनों तक दिल्ली में धरना दिया था। 

कैसरगंज से बृजभूषण की उम्मीदवारी पर कई दिनों तक सस्पेंस बनाए रखने के बाद भाजपा ने 2 मई को उनके छोटे बेटे करण भूषण सिंह को इस सीट के लिए अपना उम्मीदवार घोषित किया।

छह बार सांसद, पत्नी भी रहीं सांसद

बृजभूषण शरण सिंह छह बार के सांसद रहे हैं। उनकी जीत का अंतर 2014 में लगभग 80,000 वोटों (सपा के विनोद कुमार के खिलाफ) से बढ़कर 2019 में बसपा के चंद्रदेव राम यादव के खिलाफ 2.61 लाख वोट हो गया था। उनकी पत्नी केतकी भी एक बार सांसद चुनी गई हैं।

करण अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। कर्नलगंज विधानसभा क्षेत्र के कुट्टूपुर गांव के किसान राम अवतार गौतम कहते हैं कि अगर नेताजी (बृजभूषण) चुनाव लड़ रहे होते, तो हम जीत के अंतिम अंतर पर नजर रख रहे होते, लेकिन अब जब वे सीधे तौर पर तस्वीर में नहीं हैं, तो चीजें अलग हो सकती हैं।

ये सीटें आती हैं कैसरगंज में

कैसरगंज लोकसभा क्षेत्र के पांच विधानसभा क्षेत्रों में से तीन, कटरा बाजार, कर्नलगंज और तरबगंज भूषण के गृह क्षेत्र गोंडा में स्थित हैं, जहां से उन्होंने 1991 और 1999 में लोकसभा चुनाव जीता था। शेष दो विधानसभा क्षेत्र पयागपुर और कैसरगंज पड़ोसी जिले बहराइच में आते हैं।

यूपी विधानसभा चुनाव में कैसरगंज सीट हार गई थी बीजेपी

2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में कैसरगंज को छोड़कर भाजपा ने शेष चार विधानसभा सीटें जीत लीं। हालांकि, सिंह परिवार के लिए जो आसान हो सकता था, वह मुश्किल हो गया है, क्योंकि समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस सीट से भगत राम मिश्रा को मैदान में उतारा है। मिश्रा, जो श्रावस्ती जिला पंचायत अध्यक्ष और उसी सीट से पूर्व भाजपा सांसद दद्दन मिश्रा के बड़े भाई हैं। उनको ब्राह्मणों का समर्थन मिल रहा है, जो इस निर्वाचन क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। उनका दावा है कि उन्हें अल्पसंख्यक समुदाय का भी मजबूत समर्थन प्राप्त है।

करण सिंह की स्थिति ठीक

करण गोंडा की तीनों सीटों पर मजबूत स्थिति में दिखाई दे रहे हैं। वहीं, बहराइच में ब्राह्मणों और अल्पसंख्यकों की अच्छी-खासी मौजूदगी राम भगत मिश्रा को उनके लिए कड़ी चुनौती पेश कर सकती है। दरअसल, जून 2021 में जब भाजपा के दद्दन मिश्रा श्रावस्ती में निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष चुने गए थे, तब बृजभूषण उनके साथ थे।

‘बृजभूषण शरण सिंह को चुनौती देना आसान नहीं’

किंधौरा ग्राम सभा से आने वाले 70 वर्षीय श्याम लाल रावत कहते हैं कि तरबगंज के कम से कम एक दर्जन गांवों में पिछले पांच सालों में बिजली आनी शुरू हो गई है। यह प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में हुआ है। मुझे नहीं लगता कि इस क्षेत्र में बृजभूषण के प्रभुत्व को चुनौती देना आसान है।

बीएसपी उम्मीदवार पर बाहरी होने का जनता ने लगा दिया ठप्पा

बीएसपी उम्मीदवार लखनऊ के इंदिरानगर से हैं, इसलिए बीएसपी उम्मीदवार नरेंद्र पांडे (47) को बाहरी व्यक्ति के रूप में देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि उनका निर्वाचन क्षेत्र में सीमित प्रभाव है। तीनों के अलावा निर्दलीय अरुणिमा पांडे (48) मैदान में एकमात्र महिला दावेदार हैं, लेकिन वह भी लखनऊ के गोमतीनगर से हैं। चूंकि, भाजपा और सपा के बीच सीधे मुकाबले के लिए मंच तैयार है, इसलिए बृजभूषण शरण सिंह का परिवार अधिकतम मतदाताओं तक पहुंचने के लिए भाजपा सदस्यों के साथ अलग-अलग क्षेत्रों में 10-12 घंटे मैदान में बिता रहा है।

‘उम्मीदवार कौन कोई फर्क नहीं पड़ता, मोदी-योगी का समर्थन करती हूं’

सीसामऊ के तुलसीराम पुरवा गांव के मदन गोपाल पांडे (71) कहते हैं कि बृजभूषण और उनके परिवार के लोग बहुत मेहनत कर रहे हैं। जाहिर है कि उनके खिलाफ सत्ता विरोधी लहर काम कर रही है। कटरा बाजार विधानसभा क्षेत्र के गौरवा खुर्द गांव की कलावती कहती हैं कि उम्मीदवार कौन है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, मैं मोदी और योगी का समर्थन करने जा रही हूं। बढ़ई का काम करने वाले ननकऊ शर्मा (57) कहते हैं कि नेताजी (बृजभूषण) में पांच जिलों गोंडा, बहराइच, बलरामपुर, श्रावस्ती और अयोध्या में चुनाव को पलटने की क्षमता और योग्यता है, जो लोग उनकी ताकत को कम आंक रहे हैं, उन्हें जून में करारा जवाब मिलेगा।

कटरा बाजार के अहमदनगर इलाके के राजमिस्त्री सगीर अहमद (67) भी कुछ इसी तरह की राय रखते हैं। वह कहते हैं कि बृजभूषण बहुत प्रभावशाली हैं। बड़े बेटे प्रतीक भूषण (36) भी दो बार गोंडा से विधायक चुने गए। वे छोटे बेटे की जीत सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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