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November 2, 2024 5:47 pm

ट्रैवल ट्रेन कंपनी की आड़ में ऐसा फर्जीवाड़ा…सुनकर पुलिस भी रह गई दंग

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चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में फर्जी कॉल सेंटर का पर्दाफाश हुआ है। फर्जी इंटरनेशनल कॉल सेंटर के जरिए अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया के साथ ही अन्य देशों में बात करवाने वाले गिरोह के सरगना समेत छह लोगों को एसटीएफ ने गोमतीनगर विस्तार इलाके से मंगलवार को गिरफ्तार किया है। गिरोह लोगों को बता करवा और पॉपअप भेज सिस्टम हैक कर उसे सही करने के नाम पर करोड़ों रुपये की कमाई कर चुका है। उनके पास से 8 लैपटॉप, 5 हेडफोन, 10 मोबाइल फोन, 8 फर्जी आईडी से लिए गए सिम, 2 इंटरनेट राउटर, 14 फर्जी ई-मेल प्रपत्र व अन्य सामान बरामद किया है। 

एसटीएफ को सूचना मिली थी गोमतीनगर विस्तार इलाके में वीओआईपी कॉल टिन सॉफ्ट फोन के जरिए करवाई जाती हैं। गिरोह अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और अन्य देशों में कॉल करवाता हैं। 

एसटीएफ में तैनात इंस्पेक्टर दिलीप तिवारी ने बताया कि गोमतीनगर विस्तार इलाके में दबिश देकर गिरोह के सरगना चंद्रशेखर शुक्ला, मड़ियांव निवासी सजल सूर्या, गोमतीनगर विस्तार निवासी युवराज वर्मा, गोमतीनगर निवासी अभ्यदुय सिंह, गुडंबा निवासी प्रांजल पांडेय और जानकीपुरम निवासी प्रथम तिवारी को गिरफ्तार कर लिया।

द ट्रैवल ट्रेन कंपनी की आड़ में चल रहा था खेल

पूछताछ में गिरोह के सरगना चंद्रशेखर ने बताया कि उसने द ट्रेवल ट्रेन नाम से कंपनी का रजिस्ट्रेशन लखीमपुर के पते पर करवाया है। 

इस कंपनी को ऑफिस उसने गोमतीनगर विस्तार स्थित सेक्टर-5 में खोल रखा था। इस कंपनी की आड़ में अपने साथी सजल, अभ्युदय, युवराज, प्रथम व प्रांजल के साथ मिलकर फर्जी कॉल सेंटर चला रहा था। 

गिरोह के सदस्य विदेशी नागरिकों के ई-मेल आईडी पर ई-मेल ब्लास्टिंग से गूगल अडवांस के जरिए उनके लैपटॉप के स्क्रीन पर भ्रमित करने वाले ऐड पॉप-अप करवाते थे।

इन पॉप-अप में कई तरह की मदद का झांसा दिया जाता था। जिसे देखकर विदेशी नागरिक ऐड में दिए गए टोल फ्री नंबर पर काल करते थे। इस कॉल को आईबेम सॉफ्टवेयर से कॉल सेंटर में लगे सिस्टम पर लैंड करवाई जाती थी। 

कॉल सेंटर पर पूर्व से एक्टिव कॉलर कॉल रिसीव करते थे। अपने को विदेशी कंपनी का प्रतिनिधि बताते थे।

हैक होने का झांसा देकर फंसाते थे आरोपी

आरोपित बात करते समय सिस्टम हैक कर लेते थे। इसके बाद सिस्टम होने और आईपी एड्रेस कन्प्रोमाइज्ड होने का झांसा देते थे। 

समस्या के समाधान के लिए सिस्टम को एनीडेस्क सॉफ्टवेयर से कनेक्ट कर उनके सिस्टम से कनेक्ट हो जाते थे। इसके बाद समस्या का समाधान करने के नाम पर विभिन्न कंपनी के 100 से 500 डॉलर के गिफ्ट कार्ड देते थे। क्रिप्टो करेंसी के रूप में भी पेमेंट लेते थे। जिसे ब्रोकर के माध्यम से बाद में इंडिया में इन कैश करवा लेते है। 

आरोपित विदेशी लोगों के मोबाइल को एनीडेस्क से कनेक्ट कर मैजिक ऐप व अन्य ऐप पर पेमेंट करवा लेते थे। उस ऐप को अपने तरीके से प्रयोग करते थे।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."