दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
लखनऊ: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि चुनाव में जिस तरीके से पैसे खर्च किए जाते हैं, उस हिसाब से मेरे पास पैसा नहीं है, इसलिए मैं चुनाव नहीं लड़ूंगी। देश का वित्त संभालने वाली निर्मला का यह कबूलनामा चुनाव के बहुत महंगे होने की ओर इशारा करता है। लेकिन, पहले दो चरण के मतदान के बाद प्रत्याशियों का कागजी खर्च कुछ और ही बता रहा है।
हवन की लकड़ी से लेकर फूल, पकौड़ी, चाय तक का खर्चा जोड़ने के बाद भी उम्मीदवार 60 लाख रुपये भी खर्च नहीं कर पाए हैं, जो तय सीमा से एक-तिहाई कम है।
चुनाव आयोग (EC) ने महंगाई को देखते हुए इस लोकसभा चुनाव में खर्च की सीमा 70 लाख रुपये से बढ़ाकर 95 लाख रुपये कर दी है। पार्टियों की ओर से यूपी के चुनावी मैदान में खर्च के मामले में भाजपा के संजीव बालियान सबसे आगे हैं।
आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, उन्होंने इस चुनाव में अब तक 59.73 लाख रुपये खर्च किया है। मुजफ्फरनगर में चुनाव खत्म हो चुका है। हालांकि, अभी मतगणना बाकी है। वहीं, सपा की ओर से रुचिवीरा ने इस चुनाव में 57.24 लाख और बसपा के देवब्रत त्यागी ने 43.64 लाख रुपये खर्च दिखाए हैं। अपनी पार्टियों से खर्च करने के मामले में ये टॉप पर हैं।
लोकसभा चुनाव लड़ने वाले हर प्रत्याशी को खर्च के लिए अलग-अलग बैंक अकाउंट रखना होता है और खर्च का रजिस्टर बनाना होता है। प्रत्याशी के चुनाव का खर्च नामांकन के दिन से मतदान के दिन तक जोड़ा जाता है।
हालांकि, प्रत्याशी के खर्च का अधिकतम हिस्सा मतदान के 48 घंटे पहले प्रचार खत्म होने तक जुड़ा होता है। उसके बाद मामूली ही बढ़ोतरी होती है। चुनाव के बीच कम से कम तीन बार इसकी जांच होती है। चुनाव आयोग इसका ब्योरा सार्वजनिक भी करता है।
इसी कड़ी में यूपी में पहले दो चरण की 16 सीटों के अधिकतर प्रत्याशियों के खर्च का विवरण चुनाव आयोग ने अपनी वेबसाइट पर साझा किया है।
पंडित की दक्षिणा, आलू, प्याज सब शामिल
प्रत्याशियों ने खर्च का जो ब्योरा दिखाया है, उसमें ‘पाई-पाई’ का हिसाब दिया गया है। मसलन, अमरोहा से भाजपा प्रत्याशी कंवर सिंह तंवर ने अलग-अलग जगहों पर चुनाव कार्यालय खोले। इसके लिए हुई पूजा में हवन सामग्री, लकड़ी, घी, दूध, फल से लेकर पंडित को दी गई 501 रुपये की दक्षिणा भी खर्च में जोड़ी गई।
बावजूद उसके चुनाव प्रचार बंद होने तक उनका कुल खर्च 45 लाख रुपये से भी कम है। इसमें भी लगभग 13 लाख का खर्च पार्टी और कार्यकर्ताओं ने उठाया है।
पीलीभीत से सपा प्रत्याशी अनीस अहमद खां ने आलू, प्याज, जलजीरा तक के दाम हिसाब में जोड़े हैं, लेकिन 24 लाख रुपये में उनका प्रचार पूरा हो गया।
सहारनपुर से कांग्रेस प्रत्याशी इमरान मसूद की 1200 से 2000 रुपये में सभाएं हो गईं। उनका खर्च 20 लाख रुपये से भी कम है। उसमें भी उधारी हो गई है।
नामांकन में प्रत्याशियों के वकील के खर्च भी जगह के हिसाब से बदल गए हैं। कहीं हजार रुपये वकील की फीस है, तो कहीं 5000 रुपये लग गए हैं।
स्टार प्रचारकों की सभा, वाहनों पर सर्वाधिक खर्च
प्रत्याशियों के चुनाव खर्च का सबसे बड़ा हिस्सा स्टार प्रचारकों की सभा और वाहनों के काफिले से जुड़ा है। मसलन, मेरठ में सुनीता वर्मा के समर्थन में अखिलेश यादव की सभा में 10 लाख रुपये से अधिक खर्च हुए।
घनश्याम लोधी के लिए रामपुर में योगी की सभा हुई तो उसमें 50 गुलदस्तों का खर्च भी जोड़ा गया है। मोदी की पीलीभीत की रैली पर 18 लाख रुपये से अधिक खर्च जितिन प्रसाद ने दिखाया है, लेकिन यह खर्च पार्टी ने उठाया है।
प्रत्याशियों के खर्च का एक बड़ा हिस्सा नामांकन के दिन के जुलूस से भी जुड़ा है। अमूमन हर प्रत्याशी के खर्च के ब्योरे में एक तिहाई से एक चौथाई तक का हिस्सा वाहनों के किराये, डीजल-पेट्रोल व ड्राइवर के मानदेय का है। लगभग 60 लाख खर्च करने वाले राघव लखनपाल की 11 लाख से अधिक रकम यूनिपोल पर लगी है।
प्रत्याशियों के दावों पर आयोग की भी नजर
कई प्रत्याशियों के खर्च के दावे पर EC ने आपत्ति भी जताई है। कुछ ने इसे स्वीकार किया है तो कुछ ने जवाब देने का समय मांगा है।
मसलन हेमा मालिनी ने अपना खर्च 41.82 लाख रुपये बताया था, लेकिन प्रेक्षकों ने समीक्षा के बाद इसे 54.53 लाख पाया, जिसे प्रत्याशी ने स्वीकार कर लिया।
अलीगढ़ में सपा प्रत्याशी बिजेंद्र सिंह ने 33 लाख रुपये से कम खर्च दिखाया, लेकिन व्यय प्रेक्षक ने 51.40 लाख रुपये खर्च पाया है। भाजपा प्रत्याशी सतीश गौतम ने कुल खर्च 26 लाख रुपये बताया है, लेकिन आयोग के अधिकारियों ने 75 लाख रुपये का आकलन किया है।
सतीश गौतम से 49 लाख के अंतर पर जवाब मांगा गया है। बसपा के बंटी उपाध्याय ने भी 26.31 लाख रुपये खर्च बताया है, जबकि शैडो रजिस्टर के हिसाब से 51.50 लाख रुपये खर्च हुए हैं।
चुनाव आयोग के एक अधिकारी का कहना है कि परिणाम घोषित होने के एक महीने के भीतर प्रत्याशी को खर्च का पूरा हिसाब देना होता है। किसी भी तरह के अंतर पर आयोग की ओर से जवाब तलब होता है। व्यय प्रेक्षक भी नियमित नजर रखते हैं।
प्रत्याशियों का अब तक खर्च
भाजपा गठबंधन प्रत्याशियों का खर्च
संजीव बालियान : 59.73
राघव लखनपाल शर्मा : 59.43
अरुण गोविल : 55.87
हेमा मालिनी : 54.53
जितिन प्रसाद : 53.68
महेश शर्मा : 47.68
कुंवर सर्वेश सिंह : 45
कंवर सिंह तंवर : 44.98
चंदन चौहान : 39.48
राजकुमार सांगवान : 35.76
सपा-कांग्रेस गठबंधन प्रत्याशियों का खर्च:
रूचिवीरा : 57.24 लाख
बिजेंद्र सिंह : 51.40 लाख
महेंद्र नागर : 46.42 लाख
सुनीता वर्मा , सपा : 40.32 लाख
हरेंद्र मलिक : 39.31 लाख
दीपक सैनी : 35.45 लाख
दानिश अली : 31.36 लाख
भगवत शरण गंगवार : 27 लाख
इमरान मसूद : 18.13 लाख
इकरा चौधरी 19.58 लाख
बसपा प्रत्याशियों का खर्च:
देवब्रत त्यागी : 43.64 लाख
विजेंद्र सिंह : 27.45 लाख
अनीस अहमद खां : 24 लाख
दारा सिंह प्रजापति : 22.28 लाख
माजिद अली : 16.55 लाख
मुजाहिद हुसैन : 13.53 लाख बसपा
Author: samachar
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