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November 22, 2024 3:05 am

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योगी के मंत्री ने शिवपाल के बेटे संग कर दिया ऐसा खेल कि यहाँ सियासी गणित ही बिगडने लगा

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दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट

लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के मतदान हो चुके हैं। अब तीसरे चरण की बारी है, जिसमें कई हॉट सीटों पर कड़ा मुकाबला होगा। इनमें से एक यूपी की बदायूं सीट भी है, जो अब समाजवादी पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन चुकी है।

सपा ने यहां से दिग्गज नेता शिवपाल सिंह यादव के बेटे आदित्य यादव को प्रत्याशी बनाया है। हालांकि, योगी सरकार के मंत्री दयाशंकर सिंह ने उनका सियासी गणित बिगाड़ दिया है।

बता दें, तीसरे चरण में यूपी के बदायूं में भी मतदान होना है। जहां भाजपा और सपा के बीच सीधा मुकाबला है। 

सपा ने सपा नेता शिवपाल सिंह यादव के बेटे आदित्य यादव को प्रत्याशी बनाया है तो वहीं भाजपा से ब्रज क्षेत्र के अध्यक्ष दुर्विजय सिंह शाक्य चुनावी मैदान में हैं। चुनाव की तारीख नजदीक आने से पहले ही इस सीट पर हलचल बढ़ सी गई है।

दयाशंकर सिंह ने किया खेल

बदायूं लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली बिसौली विधानसभा क्षेत्र में शुक्रवार भाजपा के कद्दावर नेता एवं परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने 1100 ऐसे लोगों को भाजपा की सदस्यता ग्रहण कराई जो हार जीत में अहम भूमिका निभा सकते हैं। 

इतना ही नहीं बिसौली विधानसभा क्षेत्र से सपा विधायक आशुतोष मौर्य ने पहले ही समाजवादी पार्टी को झटका देकर राज्यसभा में क्रास वोटिंग की थी और अब उनके पूरे परिवार ने बीजेपी का दामन थाम लिया है, जिससे सपा के पास बिसौली विधानसभा क्षेत्र में कोई मजबूत नेतृत्व नहीं है।

बिल्सी विधानसभा में भी मुश्किल बढ़ी

बदायूं लोकसभा क्षेत्र की बिसौली ही नहीं बिल्सी विधानसभा का भी लंबे समय से यही हाल है, जहां सपा की बागडोर संभालने वाले विमल कृष्ण अग्रवाल उर्फ पप्पी भैया पहले ही भाजपा का दामन थाम चुके हैं। 

वहीं, 2022 विधानसभा चुनाव में सपा ने बिल्सी विधानसभा सीट गठबंधन में महान दल को दी थी तो ऐसे में अब महानदल भी समाजवादी पार्टी के गठबंधन में नहीं है। ऐसे में बिल्सी विधानसभा क्षेत्र की बागडोर भी संभालने वाला कोई जिम्मेदार नजर नहीं आता।

इस बीच परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने और सपा की कमर तोड़कर चुनाव के वक्त बड़ा झटका समाजवादी पार्टी को दिया है। जिससे अब शिवपाल के बेटे आदित्य यादव की चुनाव में राह आसान नहीं दिख रही है।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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