आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट
लखनऊ: बीजेपी की सबसे मजबूत मानी जाने वाली लखनऊ पूर्व सीट पर होने वाले उपचुनाव में जीत दर्ज करना सपा और कांग्रेस के लिए आसान नहीं होगा। इस सीट पर साल 1991 से लगातार जीत रही बीजेपी को पिछले चुनाव (2022) में 59.40% वोट मिले थे। दूसरे नंबर पर रही सपा को 32.7% वोटों से संतोष करना पड़ा था। इससे पहले साल 2017 के चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे सपा-कांग्रेस गठबंधन प्रत्याशी को 24.71% वोट मिले थे। बीते आंकड़े बता रहे हैं कि बीजेपी को हराने के लिए सपा और कांग्रेस को बड़ा उलटफेर करना होगा। लखनऊ पूर्वी सीट पर बीजेपी के भगवती शुक्ला ने साल 1991 में पहली बार जीत दर्ज करवाई थी।
इसके बाद से बीजेपी यहां से कभी नहीं हारी। साल 2014 के विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी के आशुतोष टंडन ने सपा प्रत्याशी जूही सिंह को 26,495 वोटों से हराया था। साल 2017 के चुनाव में भी आशुतोष टंडन ने सपा-कांग्रेस के संयुक्त प्रत्याशी अनुराग भदौरिया को 79,230 वोटों से करारी शिकस्त दी थी। साल 2022 में फिर सपा प्रत्याशी अनुराग भदौरिया को 68,731 वोटों से हराया। आशुतोष टंडन के निधन के बाद होने वाले उपचुनाव में बीजेपी ने ओपी श्रीवास्तव, जबकि कांग्रेस ने इस्माईलगंज प्रथम से दो बार के पार्षद मुकेश सिंह चौहान को टिकट दिया है। कांग्रेस प्रत्याशी लगातार सपा का समर्थन हासिल होने का दावा कर रहे हैं, हालांकि सपा की तरफ से अब तक तस्वीर साफ नहीं की गई है।
पिछले चुनाव में कांग्रेस को मिले थे महज 1.74% वोट
लखनऊ पूर्व विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में कांग्रेस के लिए बीजेपी से अकेले लड़ना आसान नहीं होगा। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी मनोज तिवारी को महज 1.74% वोट मिले थे, जबकि बीजेपी प्रत्याशी को 59.40% वोट मिला था। ऐसे में कांग्रेस का पूरा प्रयास होगा कि सपा का समर्थन हासिल कर गठबंधन का प्रत्याशी घोषित करवाए। ऐसा होने के बाद गठबंधन और बीजेपी के बीच टक्कर संभव है। इसका एक कारण बीजेपी की तरफ से नया प्रत्याशी उतारना भी माना जा रहा है।
Author: samachar
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