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November 22, 2024 4:35 pm

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सरहद की आबोहवा, तन्हाईयां और अभावों ने एक हीरा तराश कर राजनीतिक में नए युग की बुनियाद रखी

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खुशी लखेश्री की रिपोर्ट

कुछेक माह पहले हुए विधानसभा चुनाव में एक नया नाम उभर करके पश्चिमी राजस्थान में उदित हुआ जो बहुत ही कम समय में पूरे प्रदेश में किसी प्रकार के परिचय का मोहताज नहीं है। वह वह बहुचर्चित,आकर्षित और अंतिम छोर की सरहदीं भाषा से ओतप्रोत चेहरा “रविंद्र सिंह भाटी”।

जिसने अपनी राजनीतिक शुरुआत छात्र राजनीति से करते हुए जय नारायण विश्वविद्यालय जोधपुर से निर्दलीय उम्मीदवार विजय होकर जयनारायण विश्वविद्यालय जोधपुर के इतिहास में पहले निर्दलीय प्रत्याशी जीतकर इतिहास में अपना नाम दर्ज कराया।

आजकल जिस तरह से राजनीति में पैसे का जोर बढ़ा है, उसे देखते हुए क्या कोई कल्पना कर सकता है कि एक सरकारी स्कूल के शिक्षक का बेटा राजस्थान के सभी ताकतवर नेताओं को चंद दिनों के अंदर अपनी राजनीतिक लोकप्रियता से अवाक कर देगा ? वह भी तब जब वह निर्दलीय चुनाव लड़ रहा हो। लेकिन पश्चिमी राजस्थान के बॉर्डर वाले इलाके में जहां रेत के धोरों पर हर वक़्त खामोशियां झांकती हैं और जहां उम्मीद की खिड़‌कियां जानें कितनी सदियों से बंद हैं, वहां आज गली-गली में एक नाम का शोर है। वह नाम है रवींद्र सिंह भाटी। बाड़मेर तो बाड़मेर, गुजरात के सूरत जैसे शहर हों या महाराष्ट्र का पुणे, हर नजर इस युवा चेहरे के शौक-ए-दीदार के लिए बेचैन दिखता है।

राज्य की सरहदों को लांघती उनकी लोकप्रियता की वजह छोरों की जमात और जेम्स बॉण्ड कल्चर है। विधानसभा चुनावों में बाड़मेर जिले की शिव सीट से कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवारों को पराजित कर राजस्थान की राजनीति में उदित हुए रवींद्र सिंह भाटी पहेली बनते नजर आ रहे हैं।

वैसे वर्तमान में बाड़मेर जैसलमेर लोकसभा क्षेत्र में मुख्य तीन उम्मीदवार है ।भाजपा के कैलाश चौधरी जो केंद्र में मंत्री है ।कांग्रेस उम्मेद राम जो हाल ही विधानसभा में 910 वोटो से हार गए थे ।तीसरे उम्मीदवार रविंद्र सिंह भाटी जो निर्दलीय थे। जिन्होंने शिव विधानसभा में शानदार जीत दर्ज करवाकर सबको अचंभित कर दिया था।

विधानसभा में भाजपा के बागी उम्मीदवार बनाकर निर्दलीय चुनाव के दौरान भाजपा कांग्रेस एवं कांग्रेस के एक बागी उम्मीदवार को जोरदार शिरकत देकर अपनी राजनीतिक पेठ को बुलंदियों तक पहुंचाने में कामयाब रहे ।जाति समीकरण ,युवा चेहरा एवं स्थानीय मुद्दों के त्रिवेणी संगम ने भाटी की लोकप्रियता में चार चांद लगा दिए।

कहते है कि सरहदी इलाके का युवा लंबे समय से उपेक्षित था। उसकी आवाज को कोई नहीं सुन रहा था। बेरोजगारी यहाँ की बड़ी समस्या है। भाटी ने इस सबको ताकतवर तेवर और आवाज देकर एक पॉलिटिकल कैपिटल में कन्वर्ट कर दिया है।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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