आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट
मायावती की माया अपंरपार है। यूपी की राजनीति में बीएसपी चीफ मायावती को लेकर ये कहावत बड़ी मशहूर है। उनका नया अवतार किसी की समझ में नहीं आ रहा है। जितनी हैरान समाजवादी पार्टी है, उतने ही परेशान बीजेपी के नेता भी हैं।
कुछ दिनों पहले तक कांग्रेस और समाजवादी पार्टी चिंता में थी। अब वही हाल बीजेपी का भी है। आखिर बीएसपी का हाथी किसे कुचलने चला है, रहस्य गहराता जा रहा है। हफ़्ते भर में बहन जी ने यूपी का राजनीतिक गुणा गणित बदल दिया है।
सोमवार को मायावती ने बीजेपी को जोर का झटका बड़े आहिस्ते से दिया है। बीएसपी ने श्रीकला सिंह को जौनपुर से टिकट दे दिया है। वो जेल में बंद बाहुबली नेता धनंजय सिंह की पत्नी हैं। श्रीकला अभी जौनपुर जिला पंचायत की अध्यक्ष भी हैं। बीजेपी ने इस बार यहां मुंबई से लाकर कृपा शंकर सिंह को टिकट दे दिया है। महाराष्ट्र में कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे कृपा शंकर मूल रूप से जौनपुर के रहने वाले हैं। समाजवादी पार्टी ने यहां से बाबू सिंह कुशवाहा को टिकट दिया है। एक जमाने में वे मायावती के आंख कान होते थे। कृपा शंकर की तरह ही धनंजय भी ठाकुर बिरादरी से हैं। मतलब साफ है कि बीएसपी इस चुनाव में बीजेपी का वोट काटेगी। वैसे भी बीजेपी जौनपुर में पिछले चुनाव में हार गई थी। मायावती ने बीजेपी की टेंशन बढ़ा दी है।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने मुजफ्फरनगर में चुनावी रैली के जरिए अपने लोकसभा चुनाव अभियान की शुरुआत करते हुए, रविवार को समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और भाजपा पर जमकर हमले किए।
उन्होंने कहा कि अगर उनकी पार्टी सरकार बनाती है तो वह पश्चिमी उत्तर प्रदेश को एक अलग राज्य बनाने के लिए काम करेंगी। मायावती द्वारा अलग राज्य के दर्जे का आह्वान उत्तर प्रदेश की सत्ता में उनके आखिरी कार्यकाल (2007-12) की याद दिलाता है, जब उनकी सरकार ने यूपी से चार अलग- अलग राज्य बनाने के लिए राज्य विधानसभा में एक प्रस्ताव पेश किया था। यूपी में चार बार मुख्यमंत्री रह चुकीं मायावती ने सहारनपुर लोकसभा क्षेत्र के नांगल इलाके के खतौली गांव और मुजफ्फरनगर में चुनावी रैलियों को संबोधित करते हुए लोगों से सहारनपुर में पार्टी के उम्मीदवार माजिद अली, मुजफ्फरनगर में दारा सिंह प्रजापति और मुजफ्फरनगर में विजेंद्र सिंह मलिक के लिए वोट करने की अपील की।
इन चुनावी रैलियों को संबोधित करने से पहले उन्होंने डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती पर उनके चित्र पर फूल चढ़ाए। मुजफ्फरनगर में, 2013 के मुजफ्फरनगर-शामली दंगों के लिए तत्कालीन समाजवादी पार्टी सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि सपा के कार्यकाल के दौरान जाटों और मुसलमानों का भाईचारा टूट गया था, जबकि उनके शासनकाल में क्षेत्र में कोई दंगा नहीं हुआ था। मायावती ने कहा कि हमारी इच्छा थी कि इस बार मुस्लिम को मुजफ्फनगर से लोकसभा चुनाव लड़ाया जाए, लेकिन मुस्लिम इस सरकार से इतने डरे हैं कि कोई टिकट के लिए सामने ही नहीं आया। ऐसे में हमें अति पिछड़ा समाज से प्रत्याशी को लड़ाना पड़ा। उन्होंने भाजपा पर धर्म की आड़ में अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न करने का आरोप लगाया।
बसपा ने मुजफ्फरनगर में दारा सिंह प्रजापति को भाजपा उम्मीदवार संजीव बालियान, जो तीसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं, और समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार हरेंद्र मलिक के खिलाफ मैदान में उतारा है। उन्होंने यह भी कहा कि मुस्लिम समुदाय को भागीदारी प्रदान करने के लिए, बसपा ने पड़ोसी राज्य उत्तराखंड के हरिद्वार से एक मुस्लिम उम्मीदवार को मैदान में उतारा है। बसपा ने हरिद्वार में उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत (भाजपा) और कांग्रेस उम्मीदवार वीरेंद्र रावत के खिलाफ जमील अहमद को उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस पर निशाना साधते हुए मायावती ने कहा कि वह आजादी के बाद लंबे समय तक सत्ता में रही, लेकिन अपनी नीतियों के कारण बाहर हो गई। भाजपा के बारे में उन्होंने कहा कि वह सत्ता में नहीं लौटेगी। पार्टी की नाटकबाजी और जुमलेबाजी काम नहीं करने वाली है।
उन्होंने कहा कि भाजपा की कथनी और करनी में अंतर है।’ उन्होंने कहा कि जब भी बसपा की सरकार बनी, किसानों को हर फसल का उचित मूल्य दिया गया। गरीबों को मुफ्त राशन से नहीं बल्कि स्थायी रोजगार प्रदान करके लाभान्वित किया जाएगा। धर्म की आड़ में मुसलमानों का शोषण रोका जाएगा। बसपा सरकार में भर्तियां निष्पक्ष तरीके से होती थीं। जाट समुदाय के युवाओं को भी रोजगार मिला। किसान नेता और पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह, जिन्हें हाल ही में मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया था, को याद करते हुए मायावती ने कहा कि अगर बसपा की सरकार बनी तो वह पश्चिमी उत्तर प्रदेश को एक अलग राज्य बनाने के लिए काम करेंगी।ण्सहारनपुर में एक रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि बसपा कांग्रेस, भाजपा या किसी अन्य पार्टी के साथ गठबंधन में नहीं है, बल्कि टिकट वितरण में समाज के सभी वर्गों के लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करते हुए अकेले चुनाव लड़ रही है। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद ज्यादातर सरकारें कांग्रेस पार्टी की रही हैं। दलित विरोधी, आदिवासी विरोधी और पिछड़ा वर्ग विरोधी नीतियों के कारण यह पार्टी केंद्र और राज्यों की सत्ता से बेदखल हो गई।
हफ्तेभर में ही मायावती ने अखिलेश यादव और कांग्रेस को बैकफ़ुट पर ला दिया है। इन दोनों ही पार्टियों के नेता बीएसपी को बीजेपी की बी टीम बता रहे थे। इसके पीछे तर्क ये था कि मायावती इस बार मुस्लिम वोटों का बंटवारा कर रही हैं। शुरुआत में बीएसपी ने पश्चिमी यूपी में कई जगहों पर मुस्लिम उम्मीदवार दिए। सहारनपुर में इमरान मसूद कांग्रेस से चुनाव लड़ रहे हैं। यहां बीएसपी ने माजिद अली को टिकट दे दिया। यहां करीब 42 प्रतिशत वोटर मुसलमान हैं। जब मायावती यहां प्रचार करने पहुंचीं तो उन्होंने इंडिया गठबंधन पर ही मुस्लिम वोटों के बंटवारे का आरोप लगा दिया। पिछले चुनाव में बीएसपी ने सहारनपुर की सीट जीत ली थी। तब एसपी, बीएसपी और आरएलडी का गठबंधन था।
मुस्लिम वोटों पर मायावती की नजर
मुस्लिम वोट लेने के लिए मायावती ने अब नया दांव चल दिया है। मुरादाबाद में समाजवादी पार्टी ने वर्तमान सांसद एस टी हसन का टिकट काट कर रूचिवीरा को दे दिया। बीएसपी ने इरफान सैनी को उम्मीदवार बनाया है। यहां 47 प्रतिशत मुस्लिम वोटर हैं। अब बीएसपी चीफ मायावती कह रही हैं कि मुसलमानों की असली नेता तो वहीं हैं। उनका आरोप है कि समाजवादी पार्टी ने उन सीटों पर भी हिंदू उम्मीदवार दे दिया जहां मुस्लिम वोटरों का दबदबा है।
पश्चिमी यूपी में कई सीटों पर मुस्लिम वोटर प्रभावी हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में मुरादाबाद मंडल की सभी छह सीटों पर बीजेपी हार गई थी। रामपुर, मुरादाबाद, अमरोहा, संभल, बिजनौर और नगीना लोकसभा सीटों पर बीजेपी अपना खाता तक नहीं खोल पाई थी। इस बार बीएसपी ने अधिकतर सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार देकर इंडिया गठबंधन का खेल ख़राब कर दिया है।
मायावती ने बिगाड़ा SP-BJP का खेल!
लेकिन अब मायावती चुन चुन कर ऐसे टिकट दे रही हैं कि बीजेपी कैंप की परेशानी बढ़ गई है। आजमगढ़ में बीजेपी इस बार फंस गई है। यहां अखिलेश यादव ने अपने चचेरे भाई धर्मेन्द्र यादव को समाजवादी पार्टी का उम्मीदवार बनाया है। बीजेपी से सांसद दिनेश लाल यादव निरहुआ चुनाव लड़ रहे हैं। मायावती ने भीम राजभर को टिकट दे दिया। बीएसपी के उम्मीदवार से बीजेपी का वोट कटने का खतरा बढ़ गया है। पिछले उप चुनाव में बीजेपी जीत गई थी। तब मायावती ने मुस्लिम नेता को टिकट दे दिया था। यहां साढ़े तीन लाख यादव हैं। तीन लाख से ज़्यादा मुसलमान और तीन लाख दलित है। मुसलमान एकजुट होकर जिसके साथ गया, उसकी जीत तय समझिए।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."