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December 3, 2024 2:08 am

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पति, पत्नी और वो की ऐसी सच्ची घटना, जिसने सबको चौंका दिया

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चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट

बाराबंकी। ‘पति-पत्नी और वो’ का किस्सा फिल्मों में देखने और किताबों में पढ़ने को अक्सर मिलता है। लेकिन कुछ ऐसा ही मामला हकीकत में महिला थाने में देखने को मिला। 

एक महिला ने अपने पति को छोड़कर दूसरे के पति के प्रेम जाल में पड़कर शादी कर ली, मगर कानून की तलवार ने इस शादी को अवैध मानते हुए एक झटके में दोनों को अलग कर दिया और ‘वो’ आंखों में आंसू लिए खड़ी रह गई।

पत्नी अपने पति को साथ लेकर हंसी-खुशी चली गई।

मामला सतरिख थाने के एक गांव का है, जहां का रहने वाला एक व्यक्ति दूसरे जिले की नगर पालिका में सफाईकर्मी है। पत्नी ज्यादा रूपवती नहीं है, पर एक संस्कारी पत्नी के सभी गुण उसमें हैं। दो बच्चे भी हैं, जिनकी उम्र 10 व 12 वर्ष है।

गांव के पड़ोस की रहने वाली एक महिला जो पांव से थोड़ा दिव्यांग है, लेकिन देखने में रूपवती है, उसने अपने पति को छोड़ दिया और सफाईकर्मी के प्रेमजाल में पड़कर उसके साथ पिछले माह शादी कर ली। यही नहीं, सफाईकर्मी उसे घर भी लेकर पहुंच गया।

पहली पत्नी को समझाया कि जब यह रहेगी तभी उसे भी रखेगा। दूर तक तो बात ठीक थी, लेकिन जब घर में सौतन आ गई और स्वाभिमान पर चोट हुई तो उसने अपने मायके वालों के सहयोग से कानून का सहारा लिया। एसपी दिनेश कुमार सिंह को प्रार्थना पत्र दिया।

एसपी ने महिला थाने में कार्रवाई के लिए भेजा। परिवार परामर्श शिविर में दोनों पक्ष बुलाए गए तो सारी कहानी महिला थानाध्यक्ष मुन्नी सिंह के सामने खुल गई। 

पहली पत्नी के होते हुए दूसरी शादी करने के अपराध में मुकदमा लिखकर जेल भेजने की बात थानाध्यक्ष ने कही तो पीड़ित महिला ने पति को जेल न भेजने की बात कही। वहीं, पति भी जेल जाने के डर से अपनी गलती पर माफी मांगने लगा।

दूसरी पत्नी से कोई संबंध नहीं रखने का संकल्प उसी के सामने लिया। यह देखकर तथाकथित दूसरी पत्नी बिलख पड़ी। रो-रोकर उसने कहा कि अब वह अपने पहले पति के पास भी नहीं जा सकती। परिवार के लोग भी साथ नहीं देंगे। 

वास्तविक पत्नी अपने पति के साथ हंसते-मुस्कराते विजयी मुद्रा में चली गई और दूसरी महिला अपनी गलती पर काफी देर तक आंसू बहाती रही। 

इस मामले को सुलझाने में काउंसलर संजीव मिश्र, अमृता शर्मा, डा. केएन तिवारी ने भी अहम भूमिका निभाई।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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