आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट
बांदा। जनपद के नरैनी ब्लॉक अंतर्गत ग्राम पंचायत चंदपुरा महोरछा में यहाँ के रहवासियों द्वारा एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। यहाँ की ग्राम प्रधान रंजना रावत ने तो प्रशासन की आंखों में बेखौफ सरेआम धूल झोकते हुये हमारे प्रदेश के तेज तर्रार, न्यायप्रिय, यशस्वी मुख्यमंत्री योगी जी की भावनाओं को ही बेखौफ चुनौती दे डाली।
बता दें कि इन्होंने ग्रामीण क्षेत्र में संचालित विकासशील योजनाओं का माखौल उड़ाते हुये अपने पद का दुरूपयोग कर अपने देवर उमेश रावत को ही प्रधानी की कमान थमा दी। जिसकी मनमानी से आज बेखौफ दबंगई के साथ प्रधानी चलाई जा रही है।
सूत्रों की यदि मानें तो चुनावी दौरान ग्राम प्रधान रंजना रावत द्वारा यहाँ के रहवासियों को खुद को पढ़ा लिखा विकासशील आदि आदि के सपने दिखाने पर इनके मायाजाल में फंसकर जनता ने इन्हें ग्राम प्रधान तो बना दिया किन्तु चुनाव जीतने और प्रधान बनते ही इन्होंने अपना रुतबा दिखाते हुये अपने पति विवेक रावत जोकि मुम्बई में रहते हैं उनके पास मुम्बई चली गयीं जिनका पंचायत में आगमन पूरे साल में सिर्फ एक बार 15 अगस्त को ही होता है। बाकी सालभर ग्राम प्रधान बम्बई में ही रहती है।
अब ऐसे में सबसे महत्वपूर्ण सोचने वाली बात यह है की आखिर बांदा जनपद की इस नरैनी ब्लॉक में कितनी बड़ी अंधेरगर्दी है की प्रधान नदारत मुम्बई में और ब्लॉक में बैठे बड़े बड़े जिम्मेदारों द्वारा ग्राम सभा में हो रहे विकास कार्यों का भुगतान बेधड़क हो रहा है। आखिर किसके हस्ताक्षर से? और कैसे?
जबकि इनकी गैर मौजूदगी में इनका देवर उमेश रावत तथा सचिव सुरेश वर्मा बेखौफ पंचायत में हो रहे विकास कार्यों में सिस्टम बाजी कर खुलेआम भ्रष्टाचार की इबारत लिख रहे हैं। इतना ही नहीं इनकी कार्यशैली से पंचायत वासी खासे आहत भी हैं। किन्तु इन्हें किस बात का डर? क्योंकि ग्राम प्रधान तो कोई और है वह भी महिला, बाकी सारे कार्यों का भुगतान भ्रष्टाचारी सचिव सुरेश वर्मा की मेहरबानी से बेधड़क हो ही रहा है!
अब आपको दिखाते हैं इनके कारनामों का तिलिस्म। इनकी पंचायत में जबसे रंजना रावत ग्राम प्रधान बनी और इनके देवर उमेश रावत को सचिव सुरेश वर्मा का साथ मिला इन दोनों ने भ्रष्टाचार की सारी सीमायें ही लांघ दी। इनका एक छोटा सा उदाहरण देखें।
इन दोनों कलाकारों ने विगत वर्ष 2022-023 के माह नवम्बर 2023में अपने पंचायत के हैण्पम्पों के केवल मरम्मत कार्य हेतु लगातार एक ही दिनाँक पर लगभग 70,940=00₹ का भुगतान करा लिया जिसमें लोगों की यदि मानें तो आज भी इनकी पंचायत के 4 सरकारी हैण्डपम्प महज कुछ महीने ही बीते होगे इस समय महीनों से अपनी दुर्दशा के चलते अर्धविक्षिप्तअवस्था में खड़े हैं जिनसे यहां के लोग अपनी प्यास बुझाने का इंतजार कर रहे हैं जो कि एकदम सत्य भी है। किन्तु इन्हें क्या इनको तो वर्तमान में पंचायत में हनुमान मंदिर के पास लगभग 5 लाख में स्वीकृत 100 मीटर सीसी रोड जल्द बनानी है और इसमें धन भी तो कमाना है। अतः पूर्व प्रधान द्वारा डाली गयी सी सी रोड के ऊपर ही सी सी डालकर जल्द से जल्द लम्बा चौड़ा भुगतान कराने की जल्दी है ताकि राज भी ना खुले। अब ऐसे में जनता प्यासी मरे तो मर जाये, इन्हें तो दौलत मिलना चाहिए बस! पर हे ईश्वर आखिर यह कैसा रामराज्य है जहाँ योगी जी जैसे स्वच्छ छवि वाले कुशल प्रशासक के रहते रिश्वतखोर बेखौफ हैं तथा सरेआम मिलजुल कर प्रशासन की आंखों में धूल झोंकने का काम बेधड़क हो रहा है तथा फर्जी भुगतान भी धड़ल्ले से हो रहे हैं। फिर भी चारों तरफ विकास होने के दावे किये जाते हैं!!
यह तो इस पंचायत की बानगी है। यदि इनकी गहराई से जांच की जाये तो इनके कारनामों की शायद बहुत बड़ी फेहरिस्त है जिन्हें उजागर करने पर इनके बहुत बड़े बड़े घोटाले सभी के सामने होंगे किन्तु करेगा कौन? यह भी बहुत बड़ा सवाल है क्योंकि जब बिना ग्राम प्रधान की उपस्थिति के सब चल रहा है सारे भुगतान बेधड़क हो रहे हैं तो फिर आगे बताने की शायद जरूरत ही नहीं आप स्वयं समझदार हैं!!
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."