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November 2, 2024 1:12 am

“बड़े फाटक” वाले मुख्तार ; कभी काबू में थी यूपी की राजनीति और आज…न ट्रक बचा न फैक्ट्रियां, और खुद रुखसत-ए-जहाँ… 

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दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट

‘मुख्तार को जेल में रहते 19 साल हो गए। बस जान लीजिए कि हर तीज-त्योहार पर उनकी कमी खलती है। ईद की सेवईं में उनके बिना मिठास नहीं रहती।’ ये बेबसी UP के गाजीपुर से सांसद अफजाल अंसारी की है। जिस जगह बैठकर अफजाल अंसारी ने ये बात कही थी, कभी वहां से गाजीपुर ही नहीं, पूरे पूर्वांचल की राजनीति तय होती थी। उनके भाई मुख्तार अंसारी का सिक्का लखनऊ तक चलता था।

बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी की 28 मार्च की शाम कार्डियक अरेस्ट से मौत हो गई। तब अफजाल अंसारी को समाजवादी पार्टी से लोकसभा का टिकट मिला था। अफजाल ने मुख्तार पर भी बहुत सी बातें की थीं।

कहा था, ‘गाजीपुर का बड़ा फाटक हमेशा से सरकार को चुभता रहा है। केंद्र और UP सरकार ने साजिश कर अंसारी परिवार को बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। मीडिया के जरिए हमें ऐसे बदनाम किया गया, मानों हम देशद्रोही हैं।’

अफजाल अंसारी 5 बार विधायक रहे हैं, गाजीपुर से 2 बार सांसद भी चुने गए। उनके सबसे बड़े भाई सिबगतुल्लाह अंसारी गाजीपुर की मोहम्मदाबाद सीट से विधायक रह चुके हैं। एक वक्त था, जब अंसारी परिवार के ‘बड़े फाटक’ पर UP के बड़े नेताओं से लेकर सरकारी अधिकारी तक मुख्तार के आगे सिर झुकाए खड़े रहते थे। अब हवा उल्टी दिशा में बह रही है।

बीते 3 साल में अंसारी परिवार से जुड़ी 500 करोड़ से ज्यादा की प्रॉपर्टी पर बुलडोजर चल चुका है।

अफजाल ने बताया, ‘इसी फाटक पर ED 13 घंटे बिता चुकी है। पूरे मकान की तलाशी ली, लेकिन सुई की नोंक तक नहीं मिली। 9 साल से अंसारी परिवार पर लगातार जुल्म होता रहा। ऊपर वाले की रहमत है कि हमारे पुरखों की जमीनें अब भी मौजूद हैं। इन्हें बेचकर मैं लोकसभा चुनाव लड़ूंगा और जीतूंगा।’

UP की सियासत के सबसे ताकतवर घरानों में शामिल अंसारी परिवार कैसे बिखरता गया, अफजाल अंसारी क्यों जमीन बेचकर चुनाव लड़ने की बात कर रहे हैं? 

बड़ा फाटक के रास्ते पर जगह-जगह जब्ती के नोटिस, ये सब मुख्तार की प्रॉपर्टी

गाजीपुर के मुहम्मदाबाद इलाके में यूसुफपुर रेलवे स्टेशन है। यहां से सिर्फ 2 किमी दूर ‘बड़ा फाटक’ है। ये अंसारी परिवार का पता है। रेलवे स्टेशन से बड़ा फाटक तक जाने वाले रास्ते में जगह-जगह टूटी बिल्डिंग और प्लॉट हैं, जिन पर जब्ती के सरकारी नोटिस चिपके हैं। ये सभी प्रॉपर्टी मुख्तार अंसारी और उनके करीबियों की हैं।

सरकार ने बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, मीडिया ने बदनाम किया

अफजाल अंसारी कहते हैं, ‘सबने देखा है कि कैसे हमारी प्रॉपर्टी पर बुलडोजर चल रहा है। हमारे लोगों को झूठे मुकदमों में फंसाया जा रहा है। इस बार तो हद ही हो गई। मुझे गैंगस्टर एक्ट में 4 साल की सजा करवा दी। मेरी सांसदी रद्द कर दी गई। हम हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक गए। आखिरकार मुझे इंसाफ मिला और अब मैं फिर से सांसद हूं।’

अफजाल आगे कहते हैं, ‘हमारे घर की महिलाओं और बच्चों को जेल में डाल दिया। बहू निखत अंसारी पर झूठा केस लगाया कि वो जेल में पति अब्बास से मिलती थी। उसे अपने एक साल के बच्चे से नहीं मिलने दिया। अंसारी परिवार के घर और जमीनें कुर्क कर लीं। हमारा सब कुछ खत्म कर दिया। कोई कारोबार या कमाई का जरिया नहीं बचा है। जरूरत पड़ी तो हम अपने बाप-दादा की जमीनें बेचकर चुनाव लड़ेंगे।’

मुख्तार पर जेल में रहते 50 केस लगा दिए

मुख्तार के बारे में अफजाल अंसारी कहते हैं, ‘अजीब बात है कि जो शख्स इतने साल से जेल में हो, उसके खिलाफ एक के बाद एक 50 से ज्यादा झूठे मुकदमे लिख दिए। ये अंसारी परिवार को बदनाम करने की साजिश नहीं है तो क्या है।’

‘आज अगर सरकार के किसी बड़े नेता के खिलाफ मुकदमा होता है, तो कुछ महीनों में सब रफा-दफा कर दिया जाता है। मामला बढ़ने पर पता चलता है कि जज साहब ही बैकुंठ चले गए। और जो सत्ता के खिलाफ हैं, उसके साथ हमेशा गलत होता है। ये सरकार एक परीक्षा ढंग से नहीं करवा सकती। इन्हें बस विरोधियों पर झूठे मुकदमे लिखवाना, बुलडोजर चलवाना आता है।’

चुनावी हलफनामे में मुख्तार के पास 22, तो अफजाल के पास 14 करोड़ की प्रॉपर्टी

अफजाल अंसारी भले पुश्तैनी जमीन बेचकर चुनाव लड़ने की बात कह रहे हों, लेकिन चुनावी हलफनामे बताते हैं कि अंसारी परिवार अब भी करोड़ों रुपए की प्रॉपर्टी के मालिक है।

2017 के विधानसभा चुनाव में दिए शपथ पत्र में मुख्तार अंसारी ने 21.88 करोड़ रुपए की संपत्ति बताई थी। इसमें 3.23 करोड़ रुपए की एग्रीकल्चर लैंड, 4.90 करोड़ की नॉन एग्रीकल्चर लैंड, 12.45 करोड़ की कॉमर्शियल बिल्डिंग और 1.70 करोड़ की रेसिडेंशियल बिल्डिंग शामिल थीं।

वहीं, अफजाल अंसारी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में इलेक्शन कमीशन को दिए शपथ पत्र में 13.79 करोड़ रुपए की संपत्ति बताई थी। इसमें 3.36 करोड़ रुपए की एग्रीकल्चर लैंड, 14 लाख की नॉन-एग्रीकल्चर लैंड, 1.53 करोड़ की कॉमर्शियल प्रॉपर्टी शामिल थी। अफजाल ने प्रॉपर्टी में 1.08 लाख की चल संपत्ति और 12.70 करोड़ रुपए की अचल संपत्ति का दावा किया था।

मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जांच कर रही ED ने अंदेशा जताया था कि मुख्तार अंसारी और उसके करीबियों के पास 10 हजार करोड़ की बेनामी संपत्ति हो सकती है।

पुलिस के मुताबिक, 2020 से लेकर मई, 2023 तक मुख्तार की 576 करोड़ की प्रॉपर्टी पर सरकार कार्रवाई कर चुकी है। इसमें 291 करोड़ की संपत्ति जब्त की गई। 284 करोड़ की संपत्ति पर बुलडोजर चलाया गया है। सिर्फ मऊ में ही 200 करोड़ की संपत्ति पर बुलडोजर चला है।

UP के पूर्व IPS अधिकारी राजेश कुमार पांडे ने 2016 में मुख्तार पर पत्रकार को पीटने का केस दर्ज करवाया था। वे मुख्तार गैंग के खिलाफ चले ऑपरेशन के साथ-साथ 70 एनकाउंटर में भी शामिल रहे हैं।

राजेश बताते हैं, ‘UP में 80 से 90 का दशक शहाबुद्दीन, बृजेश सिंह और हरिशंकर तिवारी जैसे बड़े अपराधियों का रहा। मुख्तार अंसारी भी उसी समय की देन है। शुरुआत में ही मुख्तार जीप के बोनट पर बैठकर हाथ में असलहा लिए निकलता था। साथ में 500 लोगों का काफिला चलता था।’

‘1996 में मऊ सदर सीट से पहली बार विधायक बनने के बाद उसकी हनक और बढ़ गई। पैसे और क्रिमिनल पावर के दम पर मुख्तार गैंग की नजर सरकारी जमीनों पर भी पड़ने लगी। हालत ये थी कि उसके गुर्गे गरीबों से जबरदस्ती कर गाजीपुर में नजूल की जमीनों से लेकर तालाब-पोखरों तक कब्जाने लगे।’

‘मुख्तार के खिलाफ मुकदमों का ट्रायल नहीं हुआ। कभी सजा नहीं होती थी। उसके खिलाफ जो गवाही देने जाता, वो या तो किडनैप हो जाता या फिर कोर्ट आने के काबिल नहीं बचता था।’

अंसारी ब्रदर्स के खिलाफ हालिया कार्रवाई 29 अप्रैल, 2023 को हुई थी। गाजीपुर MP-MLA कोर्ट ने गैंगस्टर एक्ट केस में मुख्तार को 10 साल और अफजाल अंसारी को 4 साल की सजा सुनाई थी।

हालांकि, बाद में अफजाल को कोर्ट ने बरी कर दिया था। फिलहाल, अंसारी परिवार पर कुल 95 केस दर्ज हैं। मुख्तार के साथ-साथ उसका बड़ा बेटा जेल में हैं। बहू अभी जमानत पर है। मुख्तार की पत्नी और छोटा बेटा फरार हैं।

2021 में मुख्तार को पंजाब से UP की जेल में शिफ्ट किया गया, तभी से कार्रवाई जारी

मुख्तार अक्टूबर, 2005 से जेल में बंद है। 2017 में योगी सरकार आने से पहले वो पंजाब की रोपड़ जेल में था। उसे पंजाब से UP लाने के लिए राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट गई थी। 2021 में मुख्तार को बांदा जेल में शिफ्ट किया गया था।

जेल में उस पर 24 घंटे CCTV कैमरों से निगरानी रहती थी। रिश्तेदारों से मिलने पर रोक थी। सख्ती इतनी थी कि जेल में मुख्तार पर नरमी बरतने वाले डिप्टी जेलर वीरेश्वर प्रताप सिंह को सस्पेंड कर दिया गया था। 2020 से 2023 तक अंसारी परिवार की करोड़ों की संपत्ति पर एक्शन हो चुका है।

गाजीपुर के सीनियर जर्नलिस्ट शिवकुमार कहते हैं, ‘2019 में अफजाल अंसारी बसपा की टिकट पर चुनाव लड़े थे। तब पार्टी का सपा से गठबंधन था। अफजाल करीब 1.2 लाख वोट से चुनाव जीत गए थे। हालांकि, केंद्र में मोदी सरकार बनने से और कुछ हद तक अपने ऊपर लगे मुकदमों की वजह से वे बहुत काम नहीं करवा पाए।’

‘सांसद रहते हुए उन्हें 4 साल की सजा भी हो गई। इसके बाद वे खुद को बेगुनाह साबित करने में लगे रहे। इससे लोगों के बीच ज्यादा नहीं जा पाए। ऐसे में BJP कोई मजबूत कैंडिडेट गाजीपुर से उतारती है, तो इस बार बाजी पलट सकती है।’

अफजाल के खिलाफ चुनाव लड़ सकते हैं बृजेश सिंह

BJP से गठबंधन के बाद सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओपी राजभर ने घोसी, चंदौली और गाजीपुर लोकसभा सीट मांगी थी। वे गाजीपुर सीट से पूर्वांचल के बाहुबली बृजेश सिंह को चुनाव लड़वाना चाहते हैं। पिछले साल नवंबर में भी राजभर ने बृजेश सिंह को चुनाव लड़वाने की बात कही थी।

बृजेश और मुख्तार गुट के बीच 23 साल पुरानी अदावत है। 15 जुलाई 2001 को गाजीपुर में मुख्तार अंसारी पर हमला हुआ था। तब मुख्तार का काफिला रेलवे फाटक पर रुका था। तभी सामने से आए हमलावरों ने उस पर 40 से ज्यादा गोलियां बरसाई थीं।

फायरिंग में मुख्तार को तो कुछ नहीं हुआ, लेकिन उसके 2 बॉडीगार्ड मारे गए। हमले के बाद मुख्तार अंसारी ने बृजेश सिंह, त्रिभुवन सिंह समेत 20 लोगों के खिलाफ केस दर्ज कराया था। तभी से बृजेश सिंह और मुख्तार के बीच ठन गई थी।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."