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November 22, 2024 9:04 pm

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हाथी की मस्तानी चाल….एक एक कर सामने आ रहे सियासी दांव के खिलाड़ी

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आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट

लोकसभा चुनाव 2024 में इंडिया और एनडीए गठबंधन से दूरी बनाकर अकेला चलो की राह पर निकली बसपा का हाथी मस्त सियासी चाल चल रहा है। मायावती एक-एक कर वेस्ट यूपी की सीटों पर अपने कैंडिडेट उतारती जा रही हैं। मायावती इस चुनाव में वेस्ट यूपी के लिए कैंडिडेट चयन में मुस्लिमों और पिछड़ों को तरजीह दे रही हैं।

सियासी जानकारों का मानना है कि मायावती एक बार फिर दलित, मुस्लिम और पिछड़ों को एक मंच पर लाने की दिशा में कदम ताल कर रही हैं। इसी क्रम में मंगलवार को वेस्ट यूपी की बिजनौर सीट से पिछड़े वर्ग (जाट) के विजेंद्र सिंह को कैंडिडेट घोषित कर दिया।

वहीं, मुजफ्फरनगर से बुधवार को कैंडिडेट घोषित करेगी। मुजफ्फरनगर से अति पिछड़े वर्ग (प्रजापति) के दारा सिंह प्रजापति को कैंडिडेट घोषित होना लगभग फाइनल है।

वेस्ट यूपी में बसपा ने दो दिन पहले अमरोहा से हाजी जमील को प्रत्याशी बनाया था। एक दिन पहले मुरादाबाद से इरफान को मैदान में उतारा था।

सोमवार को बरेली मंडल की पीलीभीत सीट से एक और मुस्लिम चेहरे अनीस अहमद उर्फ फूल बाबू को कैंडिडेट बना दिया। वेस्ट यूपी की कई दूसरी सीटों पर भी मुस्लिम चेहरे उतारने की तैयारी बसपा ने की है। मंगलवार को बिजनौर लोकसभा सीट से पिछड़ा कार्ड खेलते हुए बसपा ने चौधरी विजेंद्र सिंह को प्रत्याशी बना दिया।

विजेंद्र सिंह ने तीन दिन पहले लोकदल के राष्ट्रीय महासचिव पद और पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दिया था। मुजफ्फरनगर से भी अति पिछड़ा समाज के दारा सिंह प्रजापति को मैदान में उतारना पक्का माना जा रहा है। बुधवार को ऐलान मायावती कर सकती हैं।

स्वामी प्रसाद मौर्य की बयानबाजी की सजा बेटी संघ मित्रा को देगी बीजेपी?

बदायूं लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद संघ मित्रा मौर्य का नाम बीजेपी की अभी तक जारी पहली लिस्ट में नहीं हैं। तभी से उनके टिकट कटने का अटकलों का बाजार गर्म है। 

सियासी जानकारों और बीजेपी के सूत्र बता रहे हैं कि उनके पिता स्वामी प्रसाद मौर्ये की विवादित बयानबाजी की सजा बेटी को मिल रही है।

बीजेपी और हिंदुत्व के कई मुद्दे पर जब स्वामी प्रसाद मौर्य ने बयानबाजी की तब उनकी बेटी ने या तो साथ दिया या फिर चुप्पी साधे रखी। अपनी सांसद का पिता प्रेम शायद बीजेपी को नहीं भाया। बदायूं सीट हॉट सीट मानी जाती है। इसे सपा का गढ़ माना जाता है।

बसपा का बदायूं पर नहीं खुला खाता

सपा मुखिया अखिलेश यादव ने पहले बदायूं से अपने भाई धर्मेंद्र यादव को कैंडिडेट घोषित किया था और दूसरी लिस्ट में धर्मेंद्र की जगह अपने चाचा शिवपाल यादव को कैंडिडेट बना दिया।

बीजेपी अभी वेट एंड वाच की स्थिति में है। हालांकि, कई दावेदार बीजेपी से इस सीट पर दम भर रहे हैं। सपा इस सीट को अपना प्रमुख गढ़ मानती रही है। अब तक के चुनावी इतिहास में यहां से सबसे अधिक जीत भी सपा के नाम दर्ज है। इस सीट से सपा के चार बार सलीम इकबाल शेरवानी और दो बार धर्मेंद्र यादव सांसद रहे। बसपा का कभी खाता नहीं खुला। भाजपा दो बार और जनसंघ एक बार इस सीट पर जीती है।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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