दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने 2024 के चुनाव में क्लीन स्वीप यानि सभी 80 लोकसभा सीटें जीतने का टारगेट सेट किया है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए बीजेपी ने जाति आधार वाले छोटे-छोटे दलों के साथ गठबंधन कर रखा है।
बीजेपी ने एनडीए के सहयोगी दलों के साथ सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय कर लिया है। बीजेपी 2014 और 2019 की तुलना में इस बार यूपी में कम सीटों पर चुनावी मैदान में उतरेगी, क्योंकि सहयोगी दलों की संख्या बढ़ गई है और उनके लिए सीटें छोड़नी पड़ रही है।
यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से 74 सीट पर बीजेपी खुद चुनावी मैदान में उतरेगी जबकि 6 सीटें सहयोगी दलों के लिए छोड़ेगी। बीजेपी ने अपना दल (एस) और आरएलडी को दो-दो लोकसभा सीटें देने का प्लान बनाया है तो सुभासपा और निषाद पार्टी के लिए एक-एक लोकसभा सीट देने का फैसला किया है। हालांकि, बीजेपी ने सार्वजनिक रूप से अभी तक इन सीटों का ऐलान नहीं किया है लेकिन जानकारी के मुताबिक, गठबंधन की बात करते समय ही उन्हें मिलने वाली सीटों की संख्या बता दी गई थी।
अपना दल (एस) को दो सीटें मिलेंगी!
बीजेपी 2014 और 2019 में यूपी की 78 सीटों पर खुद चुनाव लड़ी थी और दो सीटें केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल की पार्टी अपना दल (एस) के लिए छोड़ा था। 2014 में बीजेपी ने अपना दल को प्रतापगढ़ और मिर्जापुर लोकसभा सीट दी थी जबकि 2019 में मिर्जापुर और सोनभद्र लोकसभा सीट दी थी। अपना दल (एस) दोनों ही चुनाव में दोनों सीटें जीतने में कामयाब रही थी। मिर्जापुर सीट से अनुप्रिया पटेल लगातार दूसरी बार सांसद हैं। 2024 चुनाव के लिए बीजेपी ने सोनभद्र और मिर्जापुर सीट फिर से अपना दल (एस) को देने का फॉर्मूला बनाया है। हालांकि, केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल 5 सीटों की डिमांड कर रहीं थी।
आरएलडी के हिस्से में आएंगी दो सीटें
उत्तर प्रदेश में सपा-कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन से नाता तोड़कर आरएलडी (राष्ट्रीय लोक दल) प्रमुख जयंत चौधरी अब बीजेपी के अगुवाई वाले एनडीए का हिस्सा हैं। पश्चिमी यूपी में आरएलडी के सियासी आधार को देखते हुए बीजेपी ने उन्हें अपने साथ लिया है। बीजेपी ने आरएलडी को दो लोकसभा सीटें देने का फॉर्मूला बनाया है। आरएलडी की ओर से बागपत और बिजनौर लोकसभा सीट मांगी जा रही है, लेकिन बीजेपी ने अभी हरी झंडी नहीं दी है। बागपत सीट देने के लिए बीजेपी तैयार है, लेकिन बिजनौर सीट पर पेंच फंसा हुआ है।
राजभर और निषाद को एक-एक सीट
सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर भी एनडीए का हिस्सा हैं, जिनके लिए बीजेपी पूर्वांचल की एक लोकसभा सीट छोड़ रही है। घोसी लोकसभा सीट राजभर के खाते में जा सकती है। हालांकि, राजभर तीन सीटें यूपी में और दो सीटें बिहार में मांग रहे हैं, लेकिन बीजेपी उन्हें एक सीट से ज्यादा नहीं देना चाहती है। योगी सरकार में मंत्री संजय निषाद की पार्टी को बीजेपी एक सीट दे सकती है। 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें एक ही सीट दी थी, लेकिन उस समय उनके बेटे प्रवीण निषाद श्रावस्ती लोकसभा सीट से बीजेपी के सिंबल पर चुनाव लड़े थे। माना जा रहा है कि इस बार के चुनाव में बीजेपी उन्हें अपने निषाद पार्टी से चुनाव लड़ने के लिए सीट दे सकती है।
बीजेपी का मिशन क्लीन स्वीप
बीजेपी यूपी में मिशन-क्लीन स्वीप का टारगेट लेकर चल रही है यानि सूबे के 80 की 80 लोकसभा सीटें जीतने का पार्टी का मकसद है। इसीलिए बीजेपी ने तमाम छोटे-छोटे दलों को साथ मिलाया है ताकि देश भर में बीजेपी की 370 सीट और एनडीए के 400 पार के लक्ष्य को हासिल किया जा सके। बीजेपी 2014 में अपना दल के साथ मिलकर यूपी में लोकसभा चुनाव लड़ी थी, जिसमें बीजेपी ने 71 और अपना दल (एस) दो सीटें जीतने में कामयाब रही थी जबकि विपक्ष को 7 सीटें मिली थी, जिसमें पांच सपा और दो कांग्रेस को मिली थी। बसपा अपना खाता भी नहीं खोल सकी थी।
वहीं, 2019 में बीजेपी के विजय रथ को उत्तर प्रदेश में रोकने के लिए सपा-बसपा मिलकर चुनावी मैदान में उतरी थी। इसके बावजूद, एनडीए ने 64 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जिसमें बीजेपी 62 और अपना दल (एस) की दो सीटें शामिल थी। विपक्षी दलों को 16 सीटें मिली थी, जिसमें बसपा को 10, सपा को 5 और कांग्रेस को एक नसीब हुई थी। 2014 की तुलना में बीजेपी के 2019 में 9 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा था। हालांकि, बीजेपी उपचुनाव में दो सीटें सपा से जीतने में कामयाब रही, जिसके चलते बीजेपी 62 से बढ़कर 64 पर पहुंच गई।
Author: samachar
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