जगदंबा उपाध्याय की रिपोर्ट
बलिया। ये दूल्हा है… जनाब हताश है… परेशान है… थाने के चक्कर काट रहे हैं… अब भला क्यों न काटे मामला ही ऐसा उल्टा पड़ गया है… शादी के सपने तो जनाब ने खूब देखें थे… लेकिन अब पुलिस स्टेशन के चक्कर काट रहे है… अरमानों पर पानी फिर गया है… वरमाला से ऐन पहले दुल्हन ने शादी से इनकार जो कर दिया है…. जनाब ने तैयारी तो खुब की थी… नाचे गाने से लेकर सजावट पर खूब काम करवाया था…. रौला बनावाया था… जनाब दुल्हन जो लेने आए थे… लेकिन अब थाने के चक्कर काट रहे हैं…।
उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में एक दुल्हन ने शादी से सिर्फ इसलिए इनकार कर दिया, क्योंकि दूल्हे के घरवाले चढ़ावे में कम गहने लाए थे…शादी के दौरान दुल्हन कम गहने देखकर नाराज हो गई. उसने ऐन मौके पर शादी करने से इनकार कर दिया।
दरअसल उत्तर प्रदेश के बलिया में एक दुल्हन ने शादी से सिर्फ इसलिए इनकार कर दिया, क्योंकि दूल्हे के घरवाले चढ़ावे में कम गहने लाए थे… शादी के दौरान दुल्हन कम गहने देखकर नाराज हो गई…. उसने ऐन मौके पर शादी करने से इनकार कर दिया… लाख समझाने के बाद भी वो नहीं मानी… आखिर में दूल्हे पक्ष को बिना दुल्हन के बैरंग लौटना पड़ा… रविवार शाम को बारात आई थी… दुल्हन के दरवाजे बैंड बाजा बजा, जमकर आतिशबाजी हुई… नाच, गाने के बाद बारातियों को नाश्ता कराया गया… इतना ही नहीं रिवॉल्विंग स्टेज पर दूल्हा-दुल्हन ने एक-दूसरे को वरमाला भी पहना दी थी… स्पार्कल गन से भी आतिशबाजी भी की… लेकिन फेरे लेने से पहले मंडप में दूल्हे पक्ष के चढ़ावे को देखकर दुल्हन भड़क उठी… और शादी से इनकार कर दिया… लेकिन यहां दूल्हा तो कुछ और ही वजह बता रहा है…. दूल्हे को भी सुन लेते हैं…।
लेकिन दुलहन पक्ष की माने तो कथित तौर पर दुल्हन के लिए तय गहने और अन्य सामान दूल्हे पक्ष द्वारा नहीं लाया गया था… जिसपर बात इतनी बढ़ी कि दुल्हन ने शादी से ही इनकार कर दिया। बहुत समझाने पर भी नहीं मानी। आखिर में मजबूरन बारात को बिना दुल्हन के ही लौटना पड़ा।
18 फरवरी को हुई इस शादी में विवाद की सूचना पुलिस को मिली तो वो मौके पर पहुंच गई। बांसडीह थाना क्षेत्र पुलिस ने भी दोनों पक्षों को समझाने का प्रयास किया। लेकिन अगले दिन दोनों पक्षों की थाने में पंचायत भी हुई। घंटों बातचीत के बाद भी बारात बिना दुल्हन के ही वापस लौट गई। फिलहाल पुरे इलाके में मामला चर्चा का विषय बना हुआ है।।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."