आनंद शर्मा की रिपोर्ट
राजस्थान के अलवर में अवैध गोमांस बाजार के खुलासे के बाद पूरे पुलिस स्टेशन की जांच की गई है और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व वाली भाजपा नीत राज्य सरकार ने चार पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया है।
जयपुर रेंज के महानिरीक्षक उमेश चंद्र दत्त ने व्यक्तिगत रूप से जांच करने के लिए साइट का दौरा किया।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस बाजार में हर महीने लगभग 600 गायों का वध किया जाता था, लगभग 50 गांवों में व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए गोमांस की होम डिलीवरी की सुविधा दी जाती थी। इसके अलावा, क्षेत्र की लगभग 300 दुकानों में गोमांस की आपूर्ति की गई थी।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यहाँ रोजाना 20 गायों की हत्या कर डिलीवरी की जा रही थी। ऑपरेशन में पुलिस की मिलीभगत के भी आरोप लगे थे। हालांकि, खुलासे के बाद जब पुलिस ने उस स्थान पर छापा मारा, तो पशु तस्कर जब्त किए गए वाहनों और कई गायों की खाल और हड्डियों सहित सबूत छोड़कर भाग गए।
भंडाफोड़ के बाद भजनलाल सरकार ने त्वरित कार्रवाई की। जयपुर रेंज आईजी उमेश चंद्र दत्त के नेतृत्व में बास क्षेत्र के बीहड़ों में छापेमारी की गई, जहां अवैध गोहत्या होने की सूचना मिली थी।
प्रारंभिक गलती को सुधारते हुए, आईजी ने हेड कांस्टेबल रघुवीर, एएसआई ज्ञानचंद और बीट कांस्टेबल स्वयं प्रकाश और रविकांत सहित कई पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया। इसके अलावा बास थाने के थाना प्रभारी दिनेश मीना सहित 38 स्टाफ सदस्यों को फटकार लगाई गई।
आगे की रिपोर्टों से पता चला कि अलवर में 60 किलोमीटर के दायरे में बीफ बिरयानी बेची जा रही थी, जो अवैध व्यापार की व्यापक पहुंच का संकेत देता है। यह अनुमान लगाया गया था कि गाय तस्कर गाय के मांस, हड्डियों और खाल का व्यापार करके लगभग 4 लाख रुपये मासिक कमा रहे थे।
अवैध गोमांस बाजार चलाने में शामिल लोगों की पहचान करने और उनके खिलाफ कार्रवाई करने के प्रयास चल रहे हैं।
गोहत्या के आरोप में अब तक 25 लोगों को एफआईआर में नामित किया गया है, और अधिकारियों ने ऑपरेशन से जुड़ी लगभग एक दर्जन बाइक और एक पिकअप जीप जब्त कर ली है।
Author: samachar
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