ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में युवक की मौत का बड़ा अजब-गजब मामला सामने आया है। दरअसल, हुआ कुछ यूं कि एक युवक को मृत मानकर उसके परिजनों ने उसका अंतिम संस्कार कर दिया।
लेकिन वह अपनी रस्म पगड़ी के दिन जिंदा घर लौट आया। अब पुलिस के सामने यह सवाल है कि जिसका अंतिम संस्कार किया गया वह युवक कौन था।
हरिद्वार में काम करने गया था युवक
जानकारी के अनुसार यह मामला सहारनपुर के बड़गांव जिले का है। यहां चिराऊ गांव में प्रमोद कुमार प्रजापति अपने माता-पिता और दो भाईयों के साथ रहता है।
पुलिस के अनुसार 29 जनवरी को प्रमोद अपने घर से उत्तराखंड हरिद्वार में काम करने गया था। वह यहां एक ढाबे पर काम करता है। 31 जनवरी को परिजनों ने टीवी पर एक विज्ञापन देखा जिसमें प्रमोद की शक्ल जैसे एक अज्ञात शव के मिलने की सूचना दी गई।
बंद था प्रमोद का मोबाइल
परिजन शव की जानकारी मिलने के बाद स्थानीय मोर्चरी पहुंचे। यहां उन्होंने अज्ञात शव की पहचान प्रमोद के रूप में की। शव की शक्ल तो खराब हो चुकी थी परिजनों ने उसके चेहरे पर निशान और हाथ पर पीके लिखा होने से उसे प्रमोद कुमार मान लिया।
पुलिस के अनुसार अज्ञात शव पर खुद परिजनों ने प्रमोद होने का दावा किया था। वहीं, जब प्रमोद का मोबाइल नंबर मिलाया गया तो वह लगातार बंद जा रहा था।
डीएनए से की जाएगी पहचान
अंतिम संस्कार के बाद परिजनों न प्रमोद की क्रिया पूजा और रस्म पगड़ी तय की। अभी 5 फरवरी को रस्म पगड़ी हो ही रही थी कि प्रमोद अचानक घर लौट आया। उसे देखकर गांव वाले डर गए और उन्हें लगा कि वह प्रमोद नहीं उसका भूत है।
पूछताछ में पता चला कि उसका मोबाइल फोन खराब था। वह तो हरिद्वार में ही काम कर रहा था। अब सवाल यह उठ रहा है कि जिस शव का परिजनों ने प्रमोद समझकर अंतिम संस्कार किया है वह कौन था। अब पुलिस उसके डीएनए से उसकी पहचान करने में जुटी है।
Author: samachar
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