ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजनीति में विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. को जमीन पर उतारने की कवायद शुरू हो गई है। तृणमूल कांग्रेस, जनता दल यूनाइटेड और आम आदमी पार्टी के झटकों के बीच उत्तर प्रदेश से कांग्रेस को कम से कम राहत वाली खबर मिली है। तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी प्रदेश में कांग्रेस के साथ चुनावी गठबंधन से इनकार करती दिख रही हैं। वे अकेले दम पर चुनावी मैदान में उतरने का दम भर रही हैं। आम आदमी पार्टी दिल्ली, हरियाणा और पंजाब में अपने दम पर चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी में है। वहीं, बिहार में कांग्रेस को जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष नीतीश कुमार झटका देने के मूड में हैं। वे एक बार फिर एनडीए के पाले में जाते दिख रहे हैं।
अखिलेश यादव ने यूपी में 11 सीटें गठबंधन तहत कांग्रेस को देने का ऐलान कर दिया है। इस ऐलान ने कांग्रेस को एक प्रकार से राहत ही दी है। पार्टी लोकसभा चुनाव 2019 में रायबरेली सीट ही बचा पाने में कामयाब हुई थी। यूपी चुनाव 2022 में पाटी को महज दो सीटों पर जीत मिली। ऐसे में लोकसभा चुनाव के लिए 11 सीटें कौन सी होंगी? इस सवाल पर बहस शुरू हो गई है।
2019 में अलग था समीकरण
लोकसभा चुनाव 2019 में अलग समीकरण था। समाजवादी पार्टी तब महागठबंधन का हिस्सा थी। इसमें बहुजन समाज पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल शामिल थे। कांग्रेस ने यूपीए के बैनर तले चुनाव लड़ा था। वहीं, भाजपा और अपना दल एस एनडीए का हिस्सा थे। इस चुनाव में भाजपा ने 49.98 फीसदी वोट शेयर के साथ 62 सीटों पर जीत दर्ज की। वहीं, बसपा 19.43 फीसदी वोट शेयर के साथ 10 और सपा 18.11 फीसदी वोट शेयर के साथ 5 सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाब हुई। कांग्रेस 6.36 फीसदी वोट शेयर के साथ एक सीट पर दर्ज करने में कामयाब रही।
2019 में बसपा जैसे दल के साथ समझौते के बाद भी सपा को 4.24 फीसदी वोट शेयर का नुकसान हुआ था। वहीं, कांग्रेस ने अकेले चुनाव लड़ा और 1.17 फीसदी वोट शेयर के नुकसान में रही। इस बार यूपी के चुनावी मैदान में महागठबंधन की जगह I.N.D.I.A. लेती दिख रही है। मतलब, विपक्षी गठबंधन से बसपा बाहर और कांग्रेस की एंट्री हो रही है। ऐसे में एक बार फिर यूपी की चुनावी बिसात तीन कोनों पर बिछने वाली है।
रायबरेली, अमेठी, वारणसी तय
अखिलेश यादव विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. के तहत कांग्रेस को 11 सीटों का देने का ऐलान कर चुके हैं। ऐसे में यह तय माना जा रहा है कि इन 11 में से तीन सीटें तो तय हैं। इसमें से एक कांग्रेस की सिटिंग सीट रायबरेली मानी जा रही है। यहां से यूपीए की चेयरपर्सन रही सोनिया गांधी चुनाव जीतती रही हैं। वे एक बार फिर यहां से चुनावी मैदान में उतर सकती हैं। वहीं, अमेठी से पिछली बार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी हार गए थे। उन्हें स्मृति ईरानी ने करारी मात दी थी। हालांकि, वे यहां से दूसरे नंबर पर रहे थे। एक बार फिर वे अमेठी के रण से किस्मत आजमा सकते हैं।
इनके अलावा वाराणसी यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय का गढ़ रहा है। पिछली बार वे यहां से तीसरे स्थान पर थे। इस बार विपक्षी गठबंधन के उम्मीदवार के तौर पर वे पीएम नरेंद्र मोदी को कड़ी टक्कर देने का प्रयास करते दिख सकते हैं।
इन सीटों पर हो रही है चर्चा
लोकसभा चुनाव 2019 में फतेहपुर सीकरी में राज बब्बर और कानपुर से श्रीप्रकाश जायसवाल दूसरे नंबर पर रहे। इसी चुनाव में अकबरपुर, धौरहरा, बाराबंकी सुरक्षित, गाजियाबाद, सहारनपुर, हमीरपुर, कुशीनगर, लखनऊ, संतकबीरनगर, उन्नाव और वाराणसी में कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही थी। तीसरे नंबर पर रहने के बावजूद उसे एक लाख से ज्यादा वोट मिले थे। कांग्रेस उम्मीदवार को सहारनपुर में 2.07 लाख, बाराबंकी में 1.59 लाख, लखनऊ में 1.80 लाख, उन्नाव में 1.85 लाख और वाराणसी लोकसभा सीट पर 1.52 लाख वोट मिले थे। माना जा रहा है कि बसपा से निलंबित अमरोहा सांसद कुंवर दानिश अली कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं। ऐसे में पार्टी उनको अमरोहा से ही चुनावी मैदान में उतार सकती है।
लखनऊ में सपा ने पहले ही उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। इसके अलावा बाराबंकी सुरक्षित और उन्नाव में भी पार्टी अपनी पकड़ को कमजोर नहीं होने देना चाहेगी। ऐसे में कांग्रेस को पश्चिमी यूपी की कुछ सीटें दी जा सकती हैं, जिन्हें महागठबंधन के दौरान बसपा को दिया गया था। मुरादाबाद, अमरोहा जैसी सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवार को चुनावी मैदान में उतारा जा सकता है। इस प्रकार की चर्चा यूपी के सियासी गलियारे में होने लगी है।
इन लोकसभा सीटों की चर्चा:
लोकसभा सीट क्यों है चर्चा
रायबरेली कांग्रेस और गांधी परिवार की परंपरागत सीट। सोनिया गांधी सांसद हैं।
अमेठी गांधी परिवार की परंपरागत सीट। पिछली बार राहुल गांधी भाजपा की स्मृति ईरानी से हार गए थे।
वाराणसी यूपी कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय की परंपरागत सीट है। पिछली बार तीसरे स्थान पर रहे थे।
फतेहपुर सीकरी कांग्रेस का मजबूत इलाका रहा है। 2019 के लोकसभा चुनाव में राज बब्बर यहां से दूसरे स्थान पर थे।
कानपुर कांग्रेस की स्थिति कानपुर में मजबूत रही है। श्रीप्रकाश जायसवाल यहां से दूसरे नंबर पर रहे थे।
अमरोहा बसपा के कुंवर दानिश अली पिछली बार जीते। राहुल गांधी की न्याय यात्रा की शुरुआत के दौरान वे राहुल गांधी के मंच पर दिखे हैं।
अकबरपुर 2019 में कांग्रेस को तीसरा स्थान।
धौरहारा 2019 में कांग्रेस को तीसरा स्थान।
बाराबंकी सुरक्षित 2019 में कांग्रेस को तीसरा स्थान।
गाजियाबाद 2019 में कांग्रेस को तीसरा स्थान।
सहारपुर 2019 में कांग्रेस को तीसरा स्थान।
हमीरपुर 2019 में कांग्रेस को तीसरा स्थान।
कुशीनगर 2019 में कांग्रेस को तीसरा स्थान।
संतकबीरनगर 2019 में कांग्रेस को तीसरा स्थान।
लखनऊ 2019 में कांग्रेस को तीसरा स्थान। हालांकि, सपा ने यहां से उम्मीदवार घोषित कर दिया है।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."