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19 January 2025 12:45 am

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मौर्य पागल हो गए हैं, सनातनियों को उनका मुंह गदा से तोड़ देना चाहिए…स्वामी प्रसाद मौर्य पर उबल पडे महंत राजू दास…

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ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट

समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर एक बार फिर से ऐसा बयान दिया है जिसे लेकर विवाद छिड़ गया है। तमाम हिन्दू संगठनों ने इस पर नाराज़गी ज़ाहिर की है वहीं हनुमान गढ़ी के महंत राजूदास ने इस पर कड़ी आपत्ति दर्ज की और कहा कि मौर्य पागल हो गए हैं, सनातनधर्मियों को उनका मुंह गदा से तोड़ देना चाहिए। 

महंत राजूदास ने कहा, समाजवादी पार्टी के नेता माननीय अखिलेश यादव जी से मेरी विनम्र अपील है कि जिस प्रकार से एक बार फिर स्वामी प्रसाद मौर्य का बयान आया कि ये लोग पत्थर में भी जान डालते हैं। अगर ऐसा है तो ये लोग जब माँ-बाप मर जाएं तो मुर्दों में भी जान डाल दें, ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बात है। 

उन्होंने कहा, कितने राम मंदिर बनने से लोग आहत हो गए हैं। इनके मन में इतना बाबरी प्रेम जग गया है कि इन्हें समझ ही नहीं आता है कि, क्या बोलना चाहिए क्या नहीं बोलना चाहिए, ये दुर्भाग्य की बात है कि इसका पुरजोर विरोध करते हैं…निंदा करते हैं।

पढिए मौर्य ने रामलला के प्राण प्रतिष्ठा पर कैसी अभद्र टिप्पणी की? इस पंक्ति को क्लिक करें

स्वामी प्रसाद मौर्य पर तीखा हमला

महंत राजूदास ने कहा, सनातनियों से मेरी अपील है कि स्वामी प्रसाद मौर्य का मुंह जरूर गदा से तोड़ दिया जाए जब जाकर ये मानेंगे, नहीं तो ये नहीं मानेंगे। ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करना अति निंदनीय है, दुर्भाग्यपूर्ण हैं ये बयान स्वामी प्रसाद मौर्य का नहीं है ये शुद्ध रूप से अखिलेश यादव जी का है क्योंकि बार-बार ऐसे बयान देना और कुछ नहीं होना। सनातनियों का मजाक उड़ाना उन्हें गालियां देना हिन्दुओं के लिए ऐसे शब्दों का प्रयोग करना जिसे हम बोल भी नहीं सकते हैं इस पर सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। 

राम मंदिर में रामलला के दर्शन को लेकर महंत राजूदास ने कहा कि राम मंदिर में हर को किसी को दर्शन प्राप्त हो रहा है। सब आराम से आईए और दर्शन कीजिए। किसी तरह की परेशानी नहीं है। 

आपको बता दें कि स्वामी प्रसाद मौर्य में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर कहा था कि, ‘अगर प्राण प्रतिष्ठा कर देने से पत्थर संजीव हो सकता है तो फिर मुर्दे क्यों नहीं चल सकते। उन्होंने कहा कि यह सब पाखंड ढ़ोंग और आडंबर है। वैसे भी जो खुद भगवान है जो सबका कल्याण करता है उसका इंसान की क्या हैसियत की उसमें प्राण प्रतिष्ठा कर सके। यह लोग अपने को भगवान से बड़ा साबित करने में लगे हुए हैं।’

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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