आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट
राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम पर सवाल खड़े करने वाले ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर प्रशंसा की है। उन्होंने कहा कि मीडिया दिखाने की किशिश कर रही है कि वह एंटी मोदी हैं लेकिन ऐसा नहीं है।
उन्होंने कहा कि सरकार के कई कदमों का उन्होंने भरपूर समर्थन किया है। शंकराचार्य ने कहा कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद हिंदुओं का स्वाभिमान जागृत हुआ है। पीएम मोदी की तरह हिम्मती और हिंदुओं के पक्ष में खड़ा रहने वाला प्रधानमंत्री आजतक नहीं हुआ है।
प्राण प्रतिष्ठा से पहले अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा, ‘नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने से हिंदुओं का स्वाभिमान जागा है। सच बात यह है कि हमने सार्वजनिक रूप से कई बार कहा है कि हम एंटी मोदी नहीं हैं बल्कि पीएम मोदी को प्रशंसक हैं। इसलिए प्रशंसक हैं क्योंकि इतना हिम्मती और हिंदुओं के पक्ष में इतनी दृढ़ता से खड़ा रहने वाला प्रधानमंत्री कोई और नहीं हुआ। अच्छे-अच्छे प्रधानमंत्री हुए। हम किसी की आलोचना नहीं कर रहे हैं। उन सबकी अपनी-अपनी विशेषताएं थीं। लेकिन हिंदू भावना को समर्थन देने वाला पहला ही प्रधानमंत्री है। एक हिंदू होने के नाते हम कैसे एंटी हो सकते हैं।’
उन्होंने कहा, आप लोगों को केवल एक ही धुन है, मीडिया ने एक ही अजेंडा बना लिया है कि एंटी मोदी सिद्ध कर दो। आप बताइए कि जब इन्हीं के गृह मंत्री के द्वारा धारा 370 समाप्त की गई तो क्या उसका स्वागत नहीं किया गया। क्या हमने नागरिकता कानून को अच्छा नहीं कहा। समान नागरिक संहिता की जब बात की जाती है तो हमारी धार्मिक चिंताएं व्यक्त करते हुए क्या हम उसका स्वागत नहीं करते हैं। प्रधानमंत्री जी ने स्वच्छता अभियान चलाया तो क्या उसकी प्रशंसा नहीं की गई। श्रीराम जन्मभूमि पर फैसला आने के बाद जिस तरह से कानून व्यवस्था की गई और दंगा फसाद नहीं होने दिया गया। क्या प्रशासन के इस कौशल की सार्वजनिक रूप से प्रशंसा नहीं की गई। जब हिंदू भावना को बल मिलता है तो स्वाभाविक रूप से प्रसन्नता होती है और यह काम नरेंद्र मोदी जी कर रहे हैं।
शंकराचार्य ने क्या सवाल उठाए थे
बता दें कि सोमवार को होने वाली प्राण प्रतिष्ठा में कोई भी शंकराचार्य नहीं आ रहे हैं। शंकराचार्यों ने अनुष्ठान में ना पहुंच पाने के अलग-अलग कारण बताए हैं। हालांकि उन्होंने इस प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम का समर्थन किया है। वहीं ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा था कि अभी मंदिर निर्माण का कार्य पूरा नहीं हुआ है। शिखऱ नहीं बनाया है, ऐसे में प्राण प्रतिष्ठा नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा था कि मंदिर पूरा होने के बाद ही प्राण प्रतिष्ठा जानी चाहिए क्योंकि मंदिर का शिखर भगवान की आंख, कलश सिर और ध्वजा बाल की तरह होती है। अधूरे भगवान की प्राण प्रतिष्ठा शास्त्रों में निषेध है। उन्होंने कहा था कि वह नहीं चाहते कि उनके सामने ही शास्त्रों की अवहेलना हो इसलिए इस कार्यक्रम में नहीं जाएंगे।
Author: samachar
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