ब्रजकिशोर सिंह की रिपोर्ट
मथुरा। घर परिवार, नाते-रिश्तेदार से संपन्न अधिवक्ता को अंतिम समय पर अपनों का साथ नहीं मिल सका। 48 घंटे से उनका शव पड़ा है। संपत्ति विवाद को लेकर घर परिवार ने अंतिम संस्कार नहीं किया।
शाम को पुलिस और प्रशासन की मौजूदगी में तय हुआ कि सामाजिक संगठन मृतक का अंतिम संस्कार करेंगी। परिवार के लोग अंतिम संस्कार में शामिल नहीं होंगे।
कोतवाली नगर के मुहल्ला द्वारिकापुरी (कंकाली मंदिर के पीछे) 63 वर्षीय अशोक चौधरी रहते थे। यह मकान अधिवक्ता का खुद का है। इसकी कीमत करोड़ों रुपये की है। अशोक चौधरी की शुक्रवार सुबह सात बजे बीमारी के चलते मृत्यु हो गई। वह अपनी मां ब्रह्मदेवी व एक बहन आशा के साथ रहते थे। मृत्यु पर पड़ोस में रह रहे भाई योगेश चौधरी एवं शादीशुदा दो बहन अरुणा व आभा भी आ गईं।
शव को अंतिम संस्कार को ले जाने की तैयारियां शुरू हो गईं। इसी बीच तीनों बहन व भाई के बीच अंतिम संस्कार को लेकर विवाद शुरू होने लगा। भाई खुद अंतिम संस्कार करना चाहते थे, जबकि बहनें इसके विरोध में थीं। बहनें खुद अंतिम संस्कार करने को तैयार थीं। विवाद बढ़ता देख पुलिस ने शव को मोर्चरी में रखवाया। इसके बाद शनिवार सुबह से फिर बैठकों का दौर चला।
तहसील परिसर में शाम पांच बजे से साढ़े सात बजे तक एसडीएम सदर, कोतवाली प्रभारी रवि त्यागी सहित अन्य अधिकारियों ने दोनों पक्षों से वार्ता की, लेकिन कोई सहमति नहीं बनी। इस पर निर्णय लिया कि पुलिस प्रशासन मृतक का अंतिम संस्कार धार्मिक या सामाजिक संस्था से कराएगा। जिस पर दोनों पक्षों ने सहमति बना दी।
कोतवाली प्रभारी ने बताया, अधिवक्ता की बीमारी से मृत्यु हुई है। इसलिए पोस्टमार्टम नहीं कराया गया है। रविवार को किसी संस्था से अंतिम संस्कार कराया जाएगा।
Author: samachar
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