इरफान अली लारी की रिपोर्ट
साक्षरता के मामले में पुरुष और महिलाओं में काफी अंतर है। यहां पुरुषों की साक्षरता दर 82.14% है। वहीं महिलाओं में इसका प्रतिशत केवल 65.46% है। भारत में साक्षरता पहले की अपेक्षा काफी बेहतर हुई है।
जब भी साक्षरता की बात आती है, तो लोगों के जेहन में शहरी स्कूल और बच्चों की तस्वीर छपी हुई रहती है, क्योंकि शहर में बच्चों की शिक्षा पर ज्यादा गौर किया जाता है। गांव की अपेक्षा लोग शहर में रहना ज्यादा ठीक मानते हैं, जिससे उनके बच्चों को बेहतर शिक्षा प्राप्त हो। इन सबके बीच भारत का एक ऐसा गांव भी जहां हर घर से कोई न कोई अधिकारी बनकर देश की सेवा कर रहा है। यहां के लोग बच्चों को खेती से दूर रखकर सिर्फ पढ़ाई के लिए ही प्रेरित करते हैं।
दरअसल, उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में बसा धोर्रा माफी गांव पूरे एशिया में मशहूर है। धोर्रा गांव के लोग काफी शिक्षित और आत्मनिर्भर हैं। ये गांव भारत में ही नहीं बल्कि पूरे एशिया में सबसे पढ़ा लिखा गांव है। साल 2002 में इस गांव को 75 फीसदी साक्षरता दर के लिए लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स (Limca Book Of Records) में शामिल किया गया था।
इस गांव को गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स (Guinness Book Of Records) के सर्वे के लिए भी चुना गया था। इस गांव में चौबीस घंटे बिजली-पानी की सुविधा, पक्के मकान और कई इंग्लिश मीडियम स्कूल और कॉलेज हैं। यहां के लोग खेती की बजाय नौकरी पर निर्भर हैं और देश के कई हिस्सों में पोस्टेड हैं। लगभग 10 से 11 हजार की आबादी वाले इस गांव में 90 प्रतिशत से ज्यादा लोग पढ़े-लिखे हैं।
इस गांव के ज्यादातर लोग बड़े पदों पर तैनात हैं। यहां से कई लोग डॉक्टर, इंजीनियर, प्रोफेसर और आईएएस अधिकारी के तौर पर देश की सेवा कर रहे हैं। साक्षरता के मामले में यहां की महिलाओं को भी पुरुषों के जैसे समान अधिकार दिए जाते हैं। इस गावं के डॉक्टर सिराज आईएएस अधिकारी और फैज मुस्तफा एक यूनिवर्सिटी में वाइस चांसलर रह चुके हैं। यहां के कई लोग विदेश में भी काम करते हैं।
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Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."