विनीता राजवंशी की रिपोर्ट
बड़वानी: मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले के सेंधवा स्थित न्यायालय ने पूर्व महिला मेडिकल ऑफिसर को 3 वर्ष की सजा सुनाई है। यह कार्रवाई फर्जी नॉन क्रीमी लेयर प्रमाण पत्र तैयार करने के मामले में की गई है। सरकारी वकील नारायण जाधव ने बताया कि द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश रुपेश नाइक ने सेंधवा क्षेत्र में पदस्थ रही पूर्व मेडिकल ऑफिसर डॉ अंशु वर्मा को दोषी पाते हुए कल 3 वर्ष के सश्रम कारावास से दंडित किया है। इसके अलावा 1000 रु जुर्माना भी लगाया गया है।
उन्होंने बताया कि राम कुवादे तथा एक अन्य ने 2016 में शिकायत की थी। इस शिकायत में लिखा था कि प्रोफेसर अशोक वर्मा की पुत्री डॉ अंशु वर्मा तथा नाबालिग पुत्र ने गलत जानकारी और घोषणा पत्र के आधार पर नॉन क्रीमी लेयर का ओबीसी जाति प्रमाण पत्र बनवाया था।
इसके तहत उन्होंने समस्त संसाधनों से अपने परिवार की आय छुपाते हुए केवल स्वयं की आय संबंधी दस्तावेज आवेदन में शपथ सहित प्रस्तुत किये थे। तत्कालीन एसडीएम महेश बडोले ने दस्तावेजों के आधार पर नॉन क्रीमी लेयर का ओबीसी जाति प्रमाण पत्र जारी कर दिया था।
लेकिन इसके बाद हुई शिकायत के चलते सेंधवा के तत्कालीन एसडीएम शिवम वर्मा ने जांच में इसे फर्जी पाते हुए निरस्त कर दिया था और सेंधवा शहर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध करने के निर्देश दिए थे। शहर थाने में 2018 में धोखाधड़ी संबंधी अन्य धाराओं के तहत डॉ अंशु वर्मा तथा उनके भाई के विरुद्ध प्रकरण दर्ज किया था।
डॉ अंशु वर्मा सेंधवा अनु विभाग के धनोरा तथा ओझर में मेडिकल ऑफिसर के रूप में पदस्थ थी। बिहार के एक न्यायाधीश के पुत्र के साथ विवाह के उपरांत उन्होंने सेवा से त्यागपत्र दे दिया था। उन्होंने बताया कि इस मामले में नाबालिग आरोपी के विरुद्ध बाल न्यायालय बड़वानी में प्रकरण चल रहा है।
Author: samachar
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