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November 2, 2024 11:01 am

खनन माफियाओं के सिक्के की खनक प्रशासन के सर चढकर क्यों बोल रहा? यही है भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश? 

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आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट

आज हमारे मुख्यमंत्री योगी बाबा के भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश के दावों की सरेआम पोल खोल रहा खनिज एवं पुलिस विभाग जिनके कारनामों के चलते खनन माफियाओं द्वारा स्थानीय प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों से की गयी सिस्टम बाजी से जनपद में चारों तरफ बालू खनन का अवैध कारोबार बेधड़क बेखौफ फल फूल रहा है। 

आज योगी आदित्यनाथ की भाजपा सरकार प्रदेश में लाख दावे करे कि प्रदेश में उसने बढ़ते भ्रष्टाचार के सम्राज्य में अंकुश लगाया है किन्तु उनके इन दावों को चुनौती दे रहा है बांदा जनपद में केन नदी में धड़ल्ले के साथ चल रहा अबैध खनन। जहाँ पर एन जी टी के नियमों की धज्जियां उड़ाता हुआ अबैध बालू खनन एवं ओवरलोडिंग का व्यापार सरेआम फल-फूल रहा है और किसी का खौफ भी नहीं।

इस कारोबार के प्रति शायद किसी ने सच ही कहा है कि शासन प्रशासन लाख भला चाहे तो क्या होता है वही होता है जो मंजूरे खनिज, पुलिस एवं माननीयों की छत्रछाया पर होता है। कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिल रहा है बांदा जनपद के मरौली खंड पांच , कनवारा, लहुरेटा, खप्टिहा 100/3 खदानों में जहाँ पर इन क्षेत्रों में लगने वाले थाना पुलिस के लिये यह कारोबार शायद किसी कामधेनु से कम नहीं। 

यहां पर नदियों में अकूत लाल सोना अर्थात बालू पाये जाने के कारण खनिज पुलिस की सिस्टम बाजी के तहत अवैध खनन का करोबार रात दिन जारी रहता है। माफियाओं में अकूत धन कमाने की एक होड़ सी लगी रहती है जिसके लिये तय सीमा एवं तय सिस्टम के तहत आपसी तालमेल बनने से स्थानीय पुलिस का खुला संरक्षण प्राप्त होता है। इसकी जिम्मेदारी खदान संचालकों द्वारा समय पर पहुंचाने के लिए अपने अपने मुनीमों, मैनेजरों को बकायदा सौपी जाती है जिसका ख्याल भी मुनीम तथा मैनेजर बखूबी रखते हैं। फिर पूरे महीने भर भीमकाय ट्रकों, डम्फरों एवं डग्गियों द्वारा बेधड़क ओवरलोडिंग का कार्य दिन रात चालू रहता है। किसी की क्या मजाल जो आंख भी उठा कर देख सके।

शासन द्वारा बनाये गये एन० जी० टी० के नियमों की धज्जियां उड़ाते ओवरलोड ट्रक, डग्गियां एवं डम्फरों में ठसाठस ओवरलोडिंग कर पुलिस एवं आरटीओ विभाग की नाक के नीचे से सीना ठोकते हुये चौबीसों घण्टे बेखौफ निकलते हैं। इन्हें शायद इस बात का गुरुर रहता है कि सैंया है कोतवाल तो अब डर काहे का। 

इतना ही नहीं जनपद की सीमा से चंद किमी दूर म०प्र० का हवाला देते हुये उ०प्र०की सीमा क्षेत्र में बड़ी बड़ी हस्तियों के नामपर चल रहे भारी भरकम पहाड़ जैसे बालू के डम्पों के माध्यम से दिन रात सैकड़ों ओवरलोड ट्रक बिना किसी नापतौल के सरेआम फर्राटा भरते हर समय देखने को मिल जाते हैं। जिनसे बालू का परिवहन लगातार जारी रहने के बावजूद भी रात गुजरते ही अगली सुबह फिर यथावत नजर आते हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि सारी रात अवैध खनन का कारोबार बदस्तूर जारी रहता है। 

यदि नजर नहीं आता तो सिर्फ स्थानीय पुलिस को, क्योंकि किसी भी प्रकार की भनक लगते ही चंद कि०मी० बाद ही तो म०प्र० की सीमा में पहुँच जाना है अत: किसी की धरपकड़ का भी खतरा नहीं आखिर क्यों? इसके लिये शायद आप स्वयं समझदार हैं क्योंकि इस क्षेत्र में सबसे अधिक चलने वाली खदानों में उ०प्र०के बांदा जनपद के ब्लॉक नरैनी में विलहरका घाट, रेहुंची घाट,मोहनपुर खलारी,शिवपुरी,मानपुर बरसण्डा घाट, नेढ़ुवा बड़ेछा घाट, महोरछा चंदपुरवा घाट तथा इसी क्षेत्र में चंद किमी दूर म० प्र० में संचालित भीना घाट, जिगनी चंदौरा घाट, रामनई घाट,हर्रई घाट तथा नेहरा घाट हैं जिनसे दिन रात अवैध बालू का कारोबार दोनों प्रदेशों की सीमाओं का फायदा उठाते हुये बेखौफ जारी रहता है। 

सूत्र बताते हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में बालू पहुंचाने हेतु सिस्टम बाजी के तहत रात्रि में दर्जनों ओवरलोड ट्रेक्टरों के माध्यम से अच्छी खासी रकम वसूलते हुये ग्राहकों को इन्ही के संरक्षण में बालू भी उपलब्ध कराई जाती है! वैसे अगर देखा जाए तो जनपद की ऐसी कोई भी बालू खदान नहीं है जहां एनजीटी के नियमों के विपरीत कार्य ना किया जा रहा हो। 

चाहे वह मरौली खंड पांच का मामला हो या कनवारा या फिर मध्यप्रदेश की सीमा से लगे शेरपुर स्योढा जहां विंध्यवासिनी मार्ग से लेकर केन नदी के पुल तक दिन रात एक नहीं दो नहीं सैकड़ों की तादाद में डंफर लाइन लगाए खड़े रहते हैं जिनकी लगी लम्बी लाइन से मरीज को लेकर एम्बूलेंस तक नहीं निकल पाती और मरीज तड़पता रह जाता है।

ऐसा भी नहीं है कि इस पर पत्रकारों ने लिखा नहीं। लिखा गया, पर नतीजा वही ढाक के तीन पात रहा। आज खनन हो या फिर जनपद की तहबाजारी की वसूली, हर जगह गोरखधंधा है हर जगह गोलमाल है और आगे भी होता रहेगा!

आज पूरे जनपद में यही हो रहा है और बिपक्ष भी खामोश है या तो उसे खामोशी की कीमत मिलती है या फिर खामोश रहना उनकी मजबूरी है! तथा पुलिस एवं खनिज विभाग खामोश हो जाते की उन्हें नजराने के साथ साथ सत्ता पक्ष के माननीयों के कोपभाजन का शिकार नहीं बनना पड़ता।

सत्ता पक्ष इसलिए खामोश है कि उनके माननीय प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रुप से कहीं ना कहीं इस गड़बड़ घोटाले में सम्मिलित हैं।

अत: आज सभी भ्रष्टाचार रूपी इस गंगा में सभी डुबकी लगा रहे हैं और गरीब मजदूर किसान इन अबैध खनन कारोबारियों माफियाओं की दबंगई का शिकार होकर दर दर भटक रहे हैं! इसी क्रम में अभी हाल ही में एक घटनाक्रम घटित हुआ जसपुरा पुलिस के साथ जिसमें जसपुरा पुलिस का दोष सिर्फ इतना था कि उसने एक सत्ताधारी पार्टी के नेता का अबैध बालू से भरा ओवरलोड ट्रक पकड लिया जिसका खामियाजा उसे संस्पेंशन आर्डर के साथ भुगतना पड़ा। यह है हमारे नेता और पुलिस के बीच की नूरा-कुश्ती पर इसमें सबसे अहम् है आज का अनैतिक गठजोड़ जिसमें सभी की कहीं ना कहीं सहभागिता है किसी की कम तो किसी की ज्यादा। कोई अछूता नहीं है आज जिम्मेदार भ्रष्टाचार को उजागर ना करने के लिए खनन माफियाओं से हाथ मिला रहा है खनिज विभाग जिसके जिम्मे पूरी देख रेख है वह गले तक इस अबैध खनन कारोबारियों के साथ धंसा हुआ है।

अब बारी आती है माननीयों की, तो उनका पेट इतना बड़ा है कि उनका ना तो अपनी सैलरी से पेट भरता और ना हीं सरकार से मिलने वाली निधि से तथा इतना ही नहीं वह निधि जो विकास के लिए आती है उसमें भी इन्हें बीस पर्सेंट एडवांस कमीशन के बाद ही अवमुक्त होती है।  अब ऐसे में कितना विकास होगा इनके बीस पर्सेंट के बाद इंजीनियर साहब का कमीशन इस तरह कमीशन बंटते बंटते यह निधि सौ पर्सेंट की जगह चालीस पर्सेंट ही बचती है!

इस सौ पैसे की बात के बारे में देश के पूर्व प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी की वह बात आज विलकुल सत्य सावित हो रही है जिसमें उन्होंने कहा था जितना धन यहां से विकास के लिए भेजा जाता है वह संपूर्ण रूप से अपने स्थान पर नहीं पहुंचता और आज उसका आंकड़ा सौ से चालीस के मध्य अटककर रह गया है अब इस आंकड़े में कितना काम होगा यह सोचने की नहीं विचार करने की बात
है जबकि आज यही हाल बांदा जनपद का है जहां चहुं ओर भ्रष्टाचार ने अपना कब्जा जमा लिया है योगी बाबा की साफ स्वच्छ छवि को दागदार करने की यहां उन्हीं के लोगों ने कसम सी खाली है। 

जनता खामोश है क्योंकि वह बेवस है बस उसे चुनाव में अपने मत डालने का इंतजार है यहां विपक्ष की भूमिका भी नकारात्मक है ऐसा लगता है कि या तो इस गोरखधंधे में वह भी सम्मिलित हैं या फिर उसने इस भृष्टाचार के सामने अपने घुटने टेक दिए हैं। 

कार्यकारी संपादक, समाचार दर्पण 24
Author: कार्यकारी संपादक, समाचार दर्पण 24

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