हिमांशु नौरियाल की रिपोर्ट
देहरादून: उत्तराखंड को देवभूमि के साथ- साथ सैन्य भूमि यूं ही नहीं कहा जाता है। यहां की मिट्टी में ही वीरता घुली हुई है। देश सेवा का जज्बा हर किसी के मन में उठता दिखता है। आईएमए के पासिंग आउट परेड में यह जज्बा साफ तौर पर देखने को मिला। पासिंग आउट परेड के नए सैन्य अधिकारियों के माता- पिता के भाव कुछ ऐसे ही थे। बेटों की वर्दी पर सितारे सजाती मां गर्व से फूली न समा रही थी। वहीं, बेटे की सफलता ने उनकी आंखों में आंसू ला दिए। गर्व के इस क्षण में वीरता के भाव भी दिखे। हर परेशानी में मेरा बेटा देश के लिए सीना तानकर खड़ा रहेगा, कुछ इस प्रकार के भाव के साथ। मां कहते हुए भावुक हो रही थी, जरूरत पड़ी तो बेटा देश के लिए जान भी न्योछावर कर देगा। मुझे खुशी होगी, मेरा बेटा देश के लिए शहीद हो गया। हालांकि वे कह रही थीं, मेरा बेटा वीर है। वह देश पर आंख उठाने वालों को उनके उचित स्थान तक पहुंचाएगा। कुछ इसी प्रकार के भाव पंकज जोशी के परिजनों के भी थे।
किसान के बेटे को बड़ी सफलता
उत्तराखंड के बागेश्वर जिला निवासी सुरेश चंद्र जोशी भावुक थे। आज उनका बेटा सेना का अधिकारी जो बन गया था। किसान सुरेश चंद्र जोशी ने बेटे को हमेशा वर्दी में इसी प्रकार गर्व से सीना फुलाए देखने की चाहत जताई थी। पासिंग आउट परेड के बाद उन्होंने कहा कि आज हमारे पूरे परिवार के लिए बेहद खास दिन है। इसे शब्दों में कैसे बयां करूं। इस दिन का सपना तो हम सबने देखा था। पंकज की मां मुन्नी जोशी और बहन साक्षी उन्हें इस वर्दी में देखकर काफी खुश दिखीं। मां ने कहा, बेटा देश सेवा के लिए जा रहा है। इससे अधिक खुशी की बात क्या होगी। वहीं पंकज ने कहा कि हमारा उत्तराखंड देवभूमि के साथ- साथ सैन्यभूमि भी है। देश सेवा का जो सपना बचपन में देखा था। परिवार के सहयोग और मेहनत- लगन से पूरा हो गया। यह सपना साकार होने वाला अहसास है।
पिता के बाद अब बेटा करेगा देश सेवा
यशराज सिंह पासिंग आउट परेड के बाद काफी खुश दिखे। उनके पिता मदन सिंह ने भी सेना में रहकर देश की सेवा की। अल्मोड़ा जिले के सोमेश्वर का रहने वाला यशराज भी इसी राह पर चल निकला। बचपन में ही सेना की वर्दी से प्यार हो गया था। उसने इस प्यार को पाने की खातिर पूरे समर्पण के साथ प्रयास किया। सफलता मिली। सैन्य अधिकारी बनने के बाद यशराज ने कहा कि अभी तक तो अपने परिवार के लिए यह जीवन था। अब आगे का पूरा जीवन देश के नाम। पिताजी की तरह ही देश की सेवा करने का इरादा है, जो अटल है। मां उमा देवी ने इस खुशी के मौके पर मेरे बेटे ने सेना का अधिकारी बनकर परिवार के साथ प्रदेश का नाम रोशन किया है।
नाना- मामा के बाद बृजेश भी सेना में
बृजेश सिंह नेगी ने भी सेना के अधिकारी के तौर पर नियुक्त हुए हैं। वे नैनीताल के बेतालघाट के रहने वाले हैं। बृजेश का परिवार इन दिनों नोएडा में रहता है। बृजेश की मां उमा ने कहा कि बृजेश के नाना और मामा सेना में थे। बचपन में उन्हें देखकर बेटे ने सेना में जाने का मन बना लिया। वह हमेशा कहता था, मां मुझे भी ऐसी वर्दी पहननी है। बृजेश मेरा छोटा बेटा है, लेकिन मेरा लाल अब पूरे देश का बेटा बन गया है। देश की रक्षा करेगा। इसी संकल्प के साथ हम इस देश की सेवा के लिए उसे भेज रहे हैं। मेरे पास बड़ा बेटा रहेगा।
दादा ने देश सेवा की जगाई भावना
विक्की मेहता को दादा धर्म सिंह से सेना में आने की प्रेरणा मिली। ऊधम सिंह नगर जिले के बाजपुर निवासी विक्की ने बचपन में ही सेना में जाने का सपना देखा था। विक्की के दादा उन्हें सेना की कई कहानियां सुनाते थे। विक्की को ये कहानियां रोमांचित करती थी। आईएमए पासिंग आउट परेड में आए विक्की के पिता इंदर सिंह मेहता और मां इंदु मेहता ने कहा कि बेटे को अफसर बनते देख ऐसा लग रहा है, जैसे कोई वर्षों का सजाया सपना आज पूरा हो गया। बेटे ने अपनी मेहनत और सच्ची लगन से यह मुकाम हासिल किया है। हमें यह देखना काफी सुखद अहसास दे रहा है।
बेटे ने पूरा किया पिता का सपना
पिता सेना में हवलदार थे। उनका सपना था कि बेटा अधिकारी बने। अल्मोड़ा के गड़सारी निवासी ईश्वर सिंह पासिंग आउट परेड के बाद जैसे ही लेफ्टिनेंट बने, पिता की आखों में समाया वह सपना साकार हो गया। गए हैं। ईश्वर ने पहले सेना में बतौर सिपाही सेवा दी थी, लेकिन उन्हें पिता के सपनों को पूरा करना था। मां पार्वती देवी ने बताया कि मेरा बेटा पूरे उत्तराखंड का नाम रोशन किया है। मेरे पति सेना में हवलदार थे और अब बेटा उनके सपनों को पूरा कर दिया है। पार्वती यह कहते हुए भावुक होती हैं कि ईश्वर ने मेरी कोख से जन्म लेकर मुझे पवित्र कर दिया। यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि यह मेरा लाल देश सेवा के लिए जा रहा है।
सेना में सौरभ तीसरी पीढ़ी के अगुआ
सौरभ का परिवार शायद सेना के लिए ही बना है। अनारवाला के रहने वाले सौरभ थापा अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी से सेना में जाने वाले बन गए हैं। सौरभ के दादा मनबहादुर थापा भी सेना से हवलदार पद से रिटायर हुए थे। उनके बाद उनके पिता गणेश बहादुर थापा भी सेना से ऑनररी कैप्टन के पद से 2013 में रिटायर हुए। सौरभ का कहना है कि वह परिवार से अभी तक सेना में अफसर बनने वाले पहले शख्स हैं। दादा, पिता और भाई सेना में जाने के लिए उनके प्रेरणास्रोत बने।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."