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November 2, 2024 6:02 am

अखिलेश यादव की कांग्रेस से नाराजगी दूर करने की फिराक में है लालू यादव

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ठाकुर धर्म सिंह ब्रजवासी की रिपोर्ट

लखनऊ: मध्‍य प्रदेश विधानसभा चुनावों के दौरान जिस तरह सीटों के बंटवारे को लेकर कांग्रेस और सपा के बीच मनमुटाव हुआ, इसके बारे में हर कोई जानता है। बताया जा रहा है कि अखिलेश यादव इस मुद्दे पर विपक्षी I.N.D.I.A. गठबंधन से बुरी तरह नाराज हैं। 6 दिसंबर को इस गठबंधन की दिल्‍ली में बैठक होनी है पर इसमें अखिलेश शामिल होंगे या नहीं, इस पर संशय बना हुआ है। सपा के राष्‍ट्रीय सचिव राजेंद्र चौधरी ने स्‍पष्‍ट कर दिया है कि अखिलेश का इस कार्यक्रम में जाना तय नहीं है। वहीं, इस तरह की चर्चा चल रही है कि कांग्रेस अब लालू यादव के जरिये अखिलेश यादव से अपने गिले- शिकवे दूर कराने का रास्ता तलाश रही है। लालू यादव और अखिलेश यादव के परिवार के बीच रिश्‍तेदारी है। इसलिए कांग्रेस लालू के जरिये अखिलेश की नाराजगी दूरी करना चाहती है।

आपको बता दें कि लालू यादव की सबसे छोटी बेटी राजलक्ष्‍मी यादव की शादी अखिलेश यादव के भतीजे तेज प्रताप सिंह के साथ हुई है। तेज प्रताप यादव सपा संस्‍थापक मुलायम सिंह यादव के बड़े भाई रतन सिंह यादव के पौत्र हैं। वहीं, राजलक्ष्‍मी अखिलेश और डिंपल के काफी करीब हैं। लालू और अखिलेश के संबंधों की बात करें तो अक्‍सर सपा अध्‍यक्ष को बिहार के पूर्व मुख्‍यमंत्री के घर जाकर हालचाल लेते देखा गया है। दोनों ने कभी एक-दूसरे के खिलाफ कोई बयान भी नहीं दिया है। कांग्रेस शायद इसी मधुर संबंध का फायदा उठाना चाहती है।

राजनीतिक जानकर बताते हैं कि मध्य प्रदेश में बुरी तरह हारने व राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सत्ता गंवा देने से कांग्रेस के लिए I.N.D.I.A. गठबंधन में माहौल भी बदला हुआ दिखेगा। इसकी शुरुआत भी बिहार, बंगाल और महाराष्ट्र से हो गई है। उत्तर प्रदेश में भी लोग दबे स्वर में कांग्रेस के नेतृत्व को ही दोषी ठहराने में जुटे हैं। सपा सांसद एसटी हसन ने कांग्रेस को निशाने पर लेते हुए कहा है कि कांग्रेस ने अखिलेश यादव का अपमान किया। अब अखिलेश यूपी में सीटों का अपने हिसाब से बंटवारा करेंगे।

यूपी में कांग्रेस को कद के हिसाब से मिलेंगी सीट

वहीं, सपा के एक बड़े नेता का कहना है कि कांग्रेस के लोगों ने मध्य प्रदेश में हमारे साथ बहुत खराब व्यवहार किया है, जिसका नतीजा सामने है। अगर वो हमारे साथ मिलकर लड़ते तो शायद यह नुकसान न होता। हमारी ताकत बंट गई, जिसका सीधा फायदा बीजेपी को मिला। अब आगे भी जो समझौता होगा, उसमें निश्चित तौर पर जो दल जहां जितना मजबूत होगा, उसी हिसाब से सीटें मांगेगा। यूपी में कांग्रेस का कोई अस्तित्व नहीं, लिहाजा उन्हें उसी हिसाब से ही सीटें मिलेंगी। अगर इन्होंने बड़ा दिल दिखाया होता तो आज हालात ये न होते। प्रदेश में सपा भले ही एक भी सीट जीत न पाई हो, लेकिन उसने कांग्रेस को हरा जरूर दिया है। जतारा भी ऐसी सीट है, जहां कांग्रेस जितने वोटों से बीजेपी से हारी है, उससे ज्यादा वोट सपा को मिले हैं।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."