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November 22, 2024 4:05 pm

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टिक टाक पर प्यार, तीन बच्चों संग बंगलादेश से भारत आई दिलरुबा को प्यार के बदले ये कैसा मिला उपहार….

12 पाठकों ने अब तक पढा

दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट 

श्रावस्ती: पाकिस्‍तान की सीमा हैदर और सचिन की प्रेम कहानी जैसा ही एक मामला श्रावस्ती में सामने आया है। टिकटॉक पर दोस्ती और प्यार के बाद तीन बच्चों की मां अपने बच्चों के साथ बांग्लादेश से आकर प्रेमी के घर पहुंच गई। मगर यहां प्रेमी की पत्नी और अन्‍य परिवार वालों ने पुरजोर विरोध किया। इसके बाद महिला को वापस बांग्लादेश लौटना पड़ा। रवानगी से पहले भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने बांग्लादेशी महिला से गहन पूछताछ की है। बांग्‍लादेशी महिला दिलरुबा शर्मी ने बताया कि अब्दुल करीम ने खुद को अविवाहित बताया था, जबकि वह शादीशुदा है। ऐसे झूठे इंसान के साथ रहकर मैं अपना और बच्चों का जीवन बर्बाद नहीं करूंगी।

जानकारी के मुताबिक, बांग्लादेश के चटगांव निवासिनी दिलरुबा शर्मी के पति शैफुद्दीन की कोरोना काल में मृत्यु हो गई थी। दिलरुबा शर्मी अपने तीन बच्चों के साथ रह रही थी। इसी बीच श्रावस्ती जिले के गांव भरथा रोशनगढ़ निवासी अब्दुल करीम का टिकटॉक के जरिए दिलरुबा से दोस्ती हो गई। उस वक्‍त अब्दुल करीम खाड़ी देश बहरीन की एक बेकरी में काम करता था। टिकटॉक से शुरू हुई यह दोस्ती प्‍यार में बदल गई। बातचीत में अब्दुल करीम खुद को अविवाहित बताया था। धीरे धीरे दोनों एक साथ जीने मरने की कसमें खाकर साथ रहने का वादा करने लगे। इसी वादे पर दिलरुबा शर्मी ने विश्वास करके टूरिस्ट वीजा पर अपनी 15 वर्षीय पुत्री संजीदा, 12 साल के बेटों साकिब और सात साल के मोहम्मद रकीब के साथ गत 26 सितंबर को कोलकाता पहुंच गई।

दिलरुबा और बच्‍चों का वीजा वैध निकला

कोलकाता से दिलरुबा लखनऊ और फिर बहराइच आई। लखनऊ और बहराइच में दो दिन किसी होटल में ठहरने के बाद शुक्रवार को दिलरुबा अपने प्रेमी अब्दुल करीम के घर श्रावस्ती आ गई। पूरी बात पता चलने पर अब्दुल करीम की पत्नी शकीला बानो और उसके आठ वर्षीय पुत्र मोहम्मद शादाब ने इसका विरोध किया। मामला बांग्लादेश से जुड़ा होने के नाते मल्हीपुर पुलिस और एसएसबी समेत खुफिया एजेंसियां सक्रिय हो गई। आनन-फानन दिलरुबा और उसके बच्चों का वीजा और पासपोर्ट की जांच पड़ताल शुरू हो गई। हालाकि इन सबका वीजा और पासपोर्ट वैध निकला।

थानाध्यक्ष मल्हीपुर धर्मेंद्र कुमार का कहना है कि बांग्लादेशी महिला अपने तीन बच्चों के साथ श्रावस्ती आई थी, जिसका वीजा पासपोर्ट वैध था। अब वह ट्रेवल एजेंट के साथ लखनऊ चली गई है। टिकट कंफर्म होते ही वह वापस बांग्लादेश चली जाएगी।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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