दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
बृजभूषण सिंह (Brij Bhushan Singh) के खिलाफ पहलवानों का विरोध खत्म होता नजर नहीं आ रहा है। यौन उत्पीड़न का आरोप झेल रहे सिंह के इस्तीफे और उनके खिलाफ के दर्ज करने की मांग की जा रही है। इस बीच बृजभूषण सिंह ने पहलवानों के प्रदर्शन पर ही सवाल उठा दिया है। सिंह ने कहा कि उनके खिलाफ साजिश की जा रही है और इसमें एक कारोबारी का हाथ है। हालांकि, उन्होंने कारोबारी का नाम नहीं बताया है और यह आशंका जाहिर की है कि नाम लेने पर उनकी हत्या हो जाएगी।
पहलवानों के लगाए आरोपों पर जवाब देते हुए बृजभूषण सिंह ने आरोप लगाया कि यह पूरी साजिश कांग्रेस नेता दीपेंद्र हुड्डा और पहलवान बजरंग पूनिया ने रची है। उन्होंने दावा किया कि इसका एक ऑडियो भी उनके पास है, जिसे समय आने पर वह दिल्ली पुलिस को सौंपैंगे। पहलवानों के आंदोलन में राजनीतिक लोगों के शामिल होने पर डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष ने कहा कि यह लड़ाई अब खिलाड़ियों के हाथ से निकल चुकी है। इसमें राजनीतिक पार्टियों का प्रवेश हो चुका है। इसके लक्षण मुझे पहले दिन से ही दिखाई दे रहे थे। धरने पर बैठे खिलाड़ी जो बोल रहे हैं, यह उनकी स्वयं की आवाज नहीं है। यह आवाज बनाई और सिखाई गई है।’
बड़ा उद्योगपति कर रहा साजिश
सिंह ने कहा कि मेरे खिलाफ साजिश के लिए एक बड़ा उद्योगपति जिम्मेदार है। नाम पूछने पर उन्होंने कहा, ‘नाम ले लिया तो जान से मार दिए जाएंगे। हजारों करोड़ों का आदमी है वह, मरवा देगा मुझे।’ पुलिस की जांच के बारे में पूछे जाने पर सांसद ने कहा कि अभी दिल्ली पुलिस ने मुझसे संपर्क नहीं किया है। पुलिस जहां बुलाएगी, वहां जाने के लिए तैयार हूं।
बाबा रामदेव पर निशाना
सांसद ने बाबा रामदेव को भी आड़े हाथों लेते हुए और इस पूरे मामले से जोड़ते हुए कहा कि एक कारोबारी हैं, बाबा हैं और कुछ लोग हैं क्योंकि मेरे पास ऐसी कोई तस्वीर नहीं है, जिससे मैं सब कुछ देख लूं लेकिन एक सवाल उठता है कि कपिल सिब्बल की फीस जो है, 50 लाख है। उस पर की हियरिंग। आप देखिए पैसा लगता है कि नहीं लगता है। आंदोलन में वहां कम से कम दिन भर का खर्चा दस-बीस हजार होगा। यह कैसे चलता है। इसके पीछे लोग हैं। कारोबारी हैं और जो हमारे विरोध में भी है। हमारे सरकार के विरोध में भी हैं।
उन्होंने कहा कि आज आप देखिए कि सोशल मीडिया पर चल रहा है कि अमेरिका का कोई आदमी है। जिसने ट्रंप के खिलाफ किया था सारस या क्या नाम है। उसका भी नाम आ रहा है। आपको लेकिन यह आंदोलन शुरू से राजनैतिक था और राजनैतिक है। अगर यह गैर राजनीतिक आंदोलन होता तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यह बच्चे घर चले गए होते।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."