Explore

Search

November 5, 2024 8:18 pm

लेटेस्ट न्यूज़

“पाते हैं सम्मान तपोबल से भूतल पर शूर, ‘जाति-जाति’ का शोर मचाते केवल कायर क्रूर” ; उल्टा लपेट लिया सपा को योगी ने 

5 पाठकों ने अब तक पढा

मोहन द्विवेदी की खास रिपोर्ट 

लखनऊ: रामचरित मानस की चौपाई पर सवाल उठाने वाली समाजवादी पार्टी को भारतीय जनता पार्टी ने पूरी रामचरितमानस पर ही घेर लिया है। दरअसल रामचरितमानस की चौपाई पर सपा ने स्वामी प्रसाद मौर्य ने सवाल उठाए तो अखिलेश यादव उनके साथ खड़े नजर आए। अखिलेश का ‘शूद्र’ बयान चर्चा में आ गया। वह जातीय जनगणना का मुद्दा जोर-शोर से उठाने लगे। 

हालांकि यूपी विधानसभा के बजट सत्र में अखिलेश यादव ने रामचरितमानस पर तो कुछ नहीं कहा लेकिन जातीय जनगणना के मुद्दे पर विपक्ष को जोड़ने का प्रयास करते नजर आए। 

वैसे तो यूपी सरकार के मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने पहले ही साफ कर दिया कि जातीय जनगणना कराना केंद्र का विषय है लेकिन आज विधानसभा में योगी आदित्यनाथ ने इस मुद्दे पर तुलसीदास से लेकर अकबर, अटल और रामधारी सिंह ‘दिनकर’ तक का जिक्र किया और अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी को उलटा ही लपेट लिया।

दरअसल यूपी के चुनावों में मिल रही लगातार हारों से निपटने के लिए अखिलेश यादव और उनकी समाजवादी पार्टी मुलायम की पुरानी नीति पर चलने लगी है। यानी मुस्लिम और यादव वोट बैंक सहेजने की रणनीति। हालांकि अखिलेश ने इस रणनीति में अपने स्तर से थोड़ा बदलाव किया है, वह यादव वोट बैंक के साथ ही दूसरी पिछड़ी जातियों को भी जोड़ने की कोशिश में हैं। इसके लिए वह छोटे-छोटे दलों से गठबंधन की रणनीति अपना रहे हैं, वहीं दलितों पर भी डोरे डाल रहे हैं। अखिलेश लगातार अपने बयानों में ये इशारा करने की कोशिश करते हैं कि बहुजन समाज पार्टी अब भाजपा की बी टीम बन चुकी है। स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर नजर डालें तो अखिलेश की रणनीति साफ हो जाती है। स्वामी पुराने बसपा नेता रहे हैं, कभी मायावती के सबसे करीबी लोगों में शुमार थे। वह भाजपा होते हुए सपा पहुंचे हैं। हालांकि इस बार स्वामी चुनाव नहीं जीत सके लेकिन सपा में उनका रसूख यहां के पुराने नेताओ से ज्यादा है। तो स्वामी प्रसाद ने रामचरित मानस के जिस चौपाई पर सवाल उठाया, उसमें महिलाओं और शूद्र का जिक्र था, उन्होंने इसकी व्याख्या करते हुए चौपाई को जाति विरोधी करार दिया और इसे हटाने की मांग कर डाली। स्वामी के बयान पर अखिलेश से पूछा गया तो वह भी ‘शूद्र’ बयान दे गए। उन्होंने कहा कि मैं विधानसभा में खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से पूछूंगा कि मैं शूद्र हूं या नहीं?

हालांकि विधानसभा में अखिलेश ने इस बात का जिक्र नहीं किया लेकिन योगी आदित्यनाथ को बात याद थी, इस पर आज पूरी तैयारी से आए थे। यूपी विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान योगी आदित्यनाथ ने रामचरितमानस के मुद्दे पर अखिलेश को जवाब दिया। हालांकि जब योगी हमले कर रहे थे तो अखिलेश ने इसे आउट ऑफ कांटैक्स्ट कहा लेकिन वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने पलटकर कहा कि तो जो आप क्रिकेट की बात कर रहे थे वो आउट ऑफ कांटेक्स्ट नहीं था क्या?

बहरहाल योगी ने तमाम उदाहरण देते हुए रामचरितमानस के आध्यात्मिक पहलुओं को उजागर किया। उन्होंने कहा कि हम ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के जरिए उत्तर प्रदेश को समृद्ध करने में लगे थे तब समाजवादी पार्टी के लोगों ने जानबूझकर नया शिगूफा छोड़ने का प्रयास किया। संत तुलसी दास जिन्होंने रामचरितमानस की रचना की, उन जैसे साधक-संत को अकबर तक का बुलावा तक आया था। लेकिन तुलसीदास ने ये कहकर मना कर दिया था, ‘हमारे एक ही राजा हैं, वह राम हैं। राम के अलावा मैं किसी को राजा नहीं मानता हूं।’ समाज को एकजुट करने के लिए जिन तुलसीदास जी ने रामलीला की शुरुआत कराई। उनका ही उद्घोष था- राजा रामचंद्र की जय। उन्हीं तुलसीदास जी पर सवाल उठाए जा रहे हैं।

इस दौरान योगी ने उस चौपाई की भी व्याख्या कर दी, जिस पर स्वामी प्रसाद मौर्य ने सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा कि रामचरित मानस के सुंदरकांड में यह प्रसंग तब आता है, जब भगवान राम लंका जाने के लिए समुद्र से तीन दिन तक रास्ता मांगते हैं, तब बोलते हैं.. भय बिन होय न प्रीत.. लक्ष्मण जी प्रभु श्रीराम को धनुष-बाण देते हैं। भगवान राम तीर का सम्मान करके समुद्र को चेतावनी देते हैं तो समुद्र खड़ा होकर कहता है। तब यह पंक्ति है…

प्रभु भल कीन्ह मोहि सिख दीन्ही, मरजादा पुनि तुम्हारी कीन्ही।ढोल गंवार शूद्र पशु नारी, सकल ताड़न के अधिकारी

सुंदरकांड, रामचरित मानस (गोस्‍वामी तुलसीदास)

सीएम योगी ने कहा कि ढोल का मतलब वाद्ययंत्र है, गंवार से आशय अशिक्षित से है, शूद्र का आशय श्रमिक वर्ग से है, किसी जाति विशेष से नहीं है। इसी के साथ ही योगी ने अखिलेश पर बड़ा हमला भी कर दिया। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर भी कह चुके हैं कि दलित समाज को शूद्र न बोलो। यह भी पता है कि आपने (सपा) बाबा साहेब के प्रति क्या व्यवहार किया? उनके नाम पर बनी संस्थाओं का नाम बदल दिया। आपने तो घोषणा भी की थी कि हम आएंगे तो बाबा साहेब के स्मारकों को हटाकर टेंट हाउस-मैरिज हॉल खोल देंगे। आप सामाजिक न्याय की बात करते हैं। वहीं पंक्ति में नारी का अर्थ- नारीशक्ति से है। मध्यकाल में जब यह रचा गया तो महिलाओं की स्थिति क्या थी, किसी से छिपा नहीं है। बाल विवाह जैसी विकृतियां भी उस समय ही पनपी थी।

विधानसभा सुन रही थी, सीएम बोल रहे थे

उन्होंने कहा कि रामचरित मानस अवधी में रची गई। अवधी का वाक्य है..’भैया एतने देर से ताड़त रहा”, यहां ताड़त का अर्थ देखने से है। उन्होंने आगे कहा, संत तुलसीदास का जन्म चित्रकूट के राजापुर गांव में हुआ था। बुंदेलखंड में वाक्य का चलन है… ‘भइया मोरे लड़िकन को ताड़े रखियो’ यानी देखभाल करते रहो। संरक्षण करके शिक्षित-प्रशिक्षित करो, लेकिन सपा का कार्यालय आज संत तुलसीदास के खिलाफ अभियान चलाकर रामचरितमानस जैसे पावन ग्रंथ का अपमान कर रहा है। जाति के एंगल पर जवाब देने के बाद योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कुछ लोगों ने रामचरितमानस को फाड़ने का प्रयास किया, अन्य मजहब पंथ के साथ हुआ होता तो क्या स्थिति होती? कोई भी अपने अनुसार शास्त्रों की विवेचना कर रहा है। जिसकी मर्जी आए वह हिंदुओं का अपमान कर ले।

यहां उन्होंने रामचरितमानस को लेकर भारतीयों की भावना जाहिर करते हुए एक किस्सा भी सुनाया। योगी ने कहा कि मैं एक बार प्रवासी भारतीय दिवस के कार्यक्रम में मॉरीशस गया था। वहां पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार से पौने दो सौ साल पहले जो लोग गिरमिटिया मजदूर बनाकर गए थे। आज वे लोग अलग-अलग देशों के राष्ट्राध्यक्षों के रूप में हैं। मैंने उन लोगों से पूछा कि आपके पूर्वज कोई चीज विरासत में लाए हों, ऐसा कुछ बचा है? तब उन्होंने बताया कि हमारे घर में रामचरित मानस का गुटका है। मैंने पूछा कि क्या आप उसे पढ़ना जानते हैं, उन्होंने कहा कि नहीं, लेकिन विरासत में जो सीखा है, उसे याद रखते हैं।

मुख्यमंत्री ने सीधे कहा कि गौरव की अनुभूति होनी चाहिए कि यूपी राम और कृष्ण की धरती है, गंगा-यमुना और संगम की धऱती है। इसी धरती पर रामचरितमानस और वाल्मीकि रामायण जैसे पवित्र ग्रंथ रचे गए। लेकिन आप उसे जलाकर देश-दुनिया के 100 करोड़ हिंदुओं को अपमानित कर रहे हैं। ऐसी अराजकता को कोई कैसे स्वीकार कर सकता है। योगी ने कहा कि मुझे एक पंक्ति याद आती है… जाके प्रभु दारुण दुख दीन्हा, ताके मति पहले हर लीन्हा…।

इस दौरान योगी ने रामधारी सिंह ‘दिनकर’ को याद करते सुनाया…

मूल जानना बड़ा कठिन है नदियों का, वीरों का,धनुष छोड़ कर और गोत्र क्या होता है रणधीरों का,पाते हैं सम्मान तपोबल से भूतल पर शूर,’जाति-जाति’ का शोर मचाते केवल कायर क्रूर।

रामधारी सिंह ‘दिनकर’

इसके साथ ही हिंदुत्व पर अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते हुए उनकी लाइनें भी सुनाईं…

हिंदू तन मन, हिंदू जीवन, रग-रग हिंदू मेरा परिचय,हिंदू कहने में शरमाते, दूध लजाते लाज न आती,घोर पतन है, अपनी मां को मां कहने में फटती छाती।जिसने रक्त पिला कर पाला, क्षण भर उसका भेष निहारो,उसकी खूनी मांग निहारो, बिखरे-बिखरे केश निहारो।जब तक दुशासन है, वेणी कैसे बंध पाएगी,कोटि-कोटि संतति है, मां की लाज न लुट पाएगी।

अटल बिहारी वाजपेयी

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

लेटेस्ट न्यूज़