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November 23, 2024 3:21 am

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“पड़िला महादेव मंदिर” ; प्रयाग की पंच कोशी परिक्रमा का खास पड़ाव

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अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट

प्रयागराज।  महाशिवरात्रि (आम बोलचाल भाषा में शिवरात्रि) हिन्दुओं का एक प्रमुख त्यौहार है। यह भगवान शिव का प्रमुख पर्व है। फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को शिवरात्रि का यह पर्व मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि सृष्टि का प्रारंभ इसी दिन से हुआ। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन सृष्टि का आरम्भ अग्निलिंग (जो महादेव का विशालकाय स्वरूप है) के उदय से हुआ। अधिकतर लोग ये मान्यता रखते है कि इसी दिन भगवान शिव का विवाह देवी पार्वती के साथ हुआ था।

साल में होने वाली 12 शिवरात्रियों में से महाशिवरात्रि की सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। कश्मीर शैव मत में इस त्यौहार को हर-रात्रि और बोलचाल में ‘हेराथ’ या ‘हेरथ’ भी जाता है।

महाशिवरात्रि और पाण्डेश्वर नाथ धाम

देवो के देव महादेव का शिवाला श्री पडिलां महादेव शिवाला जो अत्यंत प्राचीन ऐतिहासिक धार्मिक स्थल है।

पड़िला महादेव मंदिर प्रयाग की पंच कोशी परिक्रमा में एक बहुत विशेष स्थान है। मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। प्रयागराज के उत्तरांचल में जनपद मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर (प्रयागराज -प्रतापगढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग 96) फाफामऊ के थरवई गाँव मे स्थित हैं। सोमवार, शिवरात्रि, श्रावण माह, और पुरुषोत्तम माह आदि विभिन्न अवसरों पर भक्तों की भीड़ मंदिर में उमड़ती है।

पौराणिक कथा के अनुसार इस धाम की महत्ता

यह माना जाता है कि मंदिर द्वापर काल पुरानी है और पांडवों द्वारा पाटलीपुत्र के लिए अपनी यात्रा के दौरान इस जगह का दौरा किया था। वे एक रात के लिए यहां रुके थे और ऋषि भारद्वाज की सलाह पर उन्होंने यहां शिवलिंग स्थापित किया। इसलिए, मंदिर पांडेश्वर (पड़िला महादेव) का नाम है। यह मन्दिर पूर्ण रूप से पत्थरों से बना हुआ है। यहाँ शिवरात्रि व फाल्गुन कृष्ण पक्ष अमावस्या को बड़ा मेला लगता है। दूर दूर से शिवभक्त यहां आकर शिवजी की पूजा व आराधना करते हैं।मलमास के महीने में दूर-दराज से लोग जलाभिषेक के लिए मंदिर में आते हैं। वहीं, हर वर्ग के लोगों को ठहरने के लिए यहां धर्मशाला की भी व्यवस्था है। जिसमें रहने के साथ खानपान का भी इंतजाम है। जगह-जगह पानी पीने के लिए प्याऊ भी लगे हैं।

(प्रदर्शित सभी चित्र गूगल और अन्य सोशल मीडिया साइट्स से लिए गए हैं )

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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