अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट
देश की सबसे मशहूर आईएएस कोचिंग सेंटर के जाने माने शिक्षक विकास दिव्यकीर्ति के एक वीडियो को लेकर देश में बवाल मच गया है। विकास दिव्यकीर्ति का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। विकास दिव्यकीर्ति के वीडियो को लेकर सोशल मीडिया पर उन्हें ट्रोल किया जाने लगा है। साथ ही उनकी दृष्टिआईएएस कोचिंग को देश में वेन करने की मांग तेजी से उठ रही है।
खुद आईएस की नौकरी छोड़ कर सिविल सर्विसेज की कोचिंग पढ़ाने वाले शिक्षक विकास दिव्यकिर्ति आज के समय मे सोशल मीडिया का एक जाना माना चेहरा है। हिंदी विषय पर अच्छा खासा ज्ञान रखने वाले विकास दिव्यकिर्ति ने बच्चों को पढ़ाते समय ऐसा ज्ञान दे दिया कि सनातन धर्मानुयायी नाराज हो गए हैं।
[embedyt] https://www.youtube.com/watch?v=7EVcN_IfQUA[/embedyt]
दरअसल दिव्यकिर्ति के एक वायरल वीडियो में वो बच्चों को एक संस्कृत के श्लोक से राम और सीता के जीवन का उदाहरण देते नजर आ रहे हैं जिसमे वो कह रहे हैं कि जब राम लंका पर विजय प्राप्त करके सीता के पास पहुचे तो सीता माँ बहुत प्रसन्न हुईं किंतु राम ने उनको के कहते हुए नकार दिया कि “मैंने ये युद्ध आपके लिए नही लड़ा बल्कि अपने कुल की मर्यादा के लिए लड़ा और रही आपकी बात तो जैसे कुत्ते के द्वारा चाटा गया घी भोजन के योग्य नही होता वैसे अब तुम भी मेरे योग्य नही हो।”
ये बातें शिक्षक विकास दिव्यकीर्ति ने एक ग्रन्थ में लिखे संस्कृत श्लोक को माध्यम बना के बताया था। उनकी इस बात से हिंदुओं में नाराजगी है कि उन्होंने राम और सीता के चरित्र को जानबूझकर धूमिल करने का प्रयास किया है। अब आप भी ये वीडियो देखिए और समझिए क्या उन्होंने सही कहा है या गलत।
साध्वी प्राची की बड़ी मांग
बीजेपी नेता साध्वी प्राची ने भी वीडियो को लेकर अपना विरोध दर्ज किया है। उन्होंने ट्वीट के माध्यम से कहा है कि हर सेकंड में सनातनियों के ट्वीट आने चाहिए। हिंदुत्व का अपमान अब हिंदुस्तान नहीं सहेगा। वही एक यूजर ने लिखा है कि इस ट्रेंड को देखकर मैं बहुत खुश हूं। हिन्दू दिन प्रतिदिन जागरूक हो रहे हैं। अपने बच्चों को इस रावण के पास मत भेजो, जो अपने बच्चों का ब्रेनवॉश करते हैं, उनके ही धर्म के खिलाफ। तो वही एक यूजर ने लिखा कि यूपीएससी के एक कोच विकास दिव्यकीर्ति हिंदू धर्म के विषय की बेतुकी व्याख्या कर रहे थे।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."