नौशाद अली की रिपोर्ट
कानपुर। भीषण गर्मी का प्रकोप गंगा पर भी पड़ने लगा है। गंगा में नरौरा डैम से छोड़े जाने वाले पानी से गंगा में जलस्तर अच्छा बना रहता है। मगर, तापमान बढ़ने के साथ ही नरौरा डैम से बीते 15 दिनों में पानी का डिस्चार्ज बेहद कम 12,010 क्यूसेक तक ही रह गया है। इससे कन्नौज, कानपुर, प्रयागराज, गढ़मुक्तेश्वर, वाराणसी, बलिया समेत बड़े शहरों में गंगा घाटों से दूर हो गई हैं। इन शहरों में जलसंकट खड़ा होने वाला है।
बीते 5 साल में पहली बार ऐसा हुआ कि अप्रैल में गंगा इतनी ज्यादा सूख गई हैं। मौसम विभाग की मानें तो पारा अभी और बढ़ेगा।
वाराणसी में गंगा का जलस्तर 59 मीटर है, जबकि मार्च में यह 60 मीटर तक था। जलस्तर में हर रोज 10-15 सेंटीमीटर की कमी दर्ज की जा रही है। मार्च से अप्रैल तक में गंगा का पानी घाट पर 7-8 सीढ़ियां नीचे उतर गया है।
बदायूं, उन्नाव और शाहजहांपुर में घाट सूखे मिले। वहीं, कौशांबी और फतेहपुर में बीच बीच में रेत के टीले तक दिखाई पड़ने लगे हैं। बिजनौर में तो हालत यह है कि डैम होने के बावजूद भी गंगा की रफ्तार आगे चलकर धीमी पड़ती जा रही है।
11 दिनों में इतना गिरा जलस्तर
कानपुर में जल संसाधन एवं जल शक्ति विभाग (सिंचाई विभाग) के XEN राजेंद्र कुमार ने बताया कि 17 अप्रैल को नरौना से 12,860 क्यूसेक पानी छोड़ा गया था। इसके बाद से लगातार पानी छोड़ने का सिलसिला कम होता जा रहा है। इसकी वजह से घाटों से गंगा दूर हो गई हैं। गंगा में रेत के टीले दिखना शुरू हो गए हैं। 17 अप्रैल को 11547 क्यूसेक पानी छोड़ा गया था, जो अब घटकर महज 5677 क्यूसेक रह गया है।
कानपुर से भी डिस्चार्ज में कमी
नरौरा से पानी कम आने की वजह से कानपुर गंगा बैराज से भी आगे के शहरों के लिए पानी बेहद कम छोड़ा जा रहा है। 17 अप्रैल से अब तक करीब पांच हजार क्यूसेक पानी कम छोड़ा जा रहा है। सिंचाई विभाग के अधिकारियों की मानें, तो आने वाले पांच से सात दिनों में पानी की मात्रा और कम हो जाएगी। गंगा घाटों से कहीं-कहीं 20 फीट तक दूर हो गई हैं।
घाटों से गंगा दूर होने के साथ ही गंगा में पानी खींचने के लिए जलकल विभाग को बंधा बनाने पड़ रहे हैं। कानपुर में जलकल ने नगर निगम को बंधा बनाने के लिए टेंडर करने के लिए कहा है, ताकि खड़े होने वाले जलसंकट से निपटा जा सके। कानपुर भैरवघाट से जलकल पंपिग स्टेशन के जरिए रोजाना 20 करोड़ लीटर पानी गंगा से लेता है। बीते 10 दिनों में भैरवघाट पर भी लगातार जलस्तर गिर रहा है। जलस्तर 359 फीट से गिरकर अब 357.7 पहुंच गया है। खतरे की घंटी से महज दो फीट रह गया है।
मैदानी इलाकों के साथ ही पहाड़ों में भी बारिश बिल्कुल भी नहीं हो रही है। यही कारण है कि हरिद्वार और नरौरा से गंगा में आने वाला पानी का स्तर लगातार गिर रहा है। कानपुर गंगा बैराज के बाद गंगा में कोई बैराज नहीं है। ऐसे में यहां से छोड़े जाने वाले पानी की कम और ज्यादा मात्रा का असर प्रयागराज, वाराणसी, गढ़मुक्तेश्वर, बलिया तक इसका असर होता है।
Author: samachar
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