
उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में मदरसों को आधुनिक शिक्षा से जोड़ने की दिशा में सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। जहां उत्तराखंड में बोर्ड पाठ्यक्रम लागू किया गया, वहीं यूपी में सर्वे के बाद अवैध मदरसों पर कार्रवाई तेज हो गई है।
शिक्षा के नक्शे पर एक नई इबारत
देश के दो प्रमुख राज्यों—उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश—में अब मदरसों की पारंपरिक छवि बदलने जा रही है। सरकारें मदरसों के छात्रों को धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ आधुनिक विषयों से जोड़ने के प्रयास में जुट गई हैं। यह केवल एक प्रशासनिक निर्णय नहीं, बल्कि भारत के शिक्षा-संस्कृति में सामंजस्य बैठाने का प्रयास है।
उत्तराखंड में बड़ा बदलाव: बोर्ड पाठ्यक्रम अनिवार्य
उत्तराखंड वक्फ बोर्ड ने राज्य में पंजीकृत 117 मदरसों में उत्तराखंड बोर्ड का पाठ्यक्रम लागू करने का ऐलान किया है। इसके पीछे उद्देश्य है—मदरसे के छात्रों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ना और उनके लिए समान अवसर तैयार करना।
अब ये विषय होंगे अनिवार्य
हिंदी, अंग्रेज़ी, गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, इतिहास, भूगोल, संस्कृत (वैकल्पिक) इसके साथ ही पारंपरिक डिग्रियों जैसे तहतानिया, फौकानिया, मुंशी और मौलवी को हटाने का भी निर्णय लिया गया है।
उत्तराखंड में 171 अवैध मदरसे सील
सरकार का सख्त रुख अवैध मदरसों के खिलाफ भी जारी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर अब तक 171 मदरसों को सील किया जा चुका है। प्रशासन का कहना है कि इन मदरसों के पास मान्यता, सुरक्षा मापदंड या बुनियादी ढांचे की न्यूनतम व्यवस्था तक नहीं थी।
हालांकि, इस कार्रवाई को लेकर मुस्लिम संगठनों ने नाराज़गी जताई है और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुँच गया है, लेकिन सरकार अपने निर्णय पर कायम है।
उत्तर प्रदेश की स्थिति: देश में सबसे अधिक मदरसे, अब सर्वे के बाद सख्ती
जहां उत्तराखंड में शिक्षा के आधुनिकीकरण की शुरुआत हो चुकी है, वहीं उत्तर प्रदेश, जहाँ देश में सबसे अधिक लगभग 16,000 मान्यता प्राप्त मदरसे हैं, वहां भी सुधार की प्रक्रिया तेज़ है।
2022 में यूपी सरकार ने कराया था व्यापक सर्वे
उद्देश्य: अवैध मदरसों की पहचान, शिक्षा की गुणवत्ता और आधारभूत ढांचे की जानकारी
परिणाम: हजारों मदरसों की पहचान हुई जो बिना पंजीकरण के चल रहे थे
कई मदरसों में शिक्षकों की कमी, भौतिक सुविधाओं का अभाव, और कोई पाठ्यक्रम नियमन नहीं पाया गया।
यूपी सरकार की पहल
- सभी मान्यता प्राप्त मदरसों को NCERT आधारित पाठ्यक्रम अपनाने की सलाह
- हिंदी, अंग्रेज़ी, गणित और विज्ञान को प्राथमिक स्तर पर अनिवार्य बनाना
- डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देने की योजना
- समानता की ओर बढ़ता कदम: दोनों राज्यों का साझा दृष्टिकोण
- चाहे उत्तराखंड हो या उत्तर प्रदेश, दोनों राज्यों का रुख स्पष्ट है—शिक्षा का उद्देश्य केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक, वैज्ञानिक और आर्थिक सशक्तिकरण भी होना चाहिए।
इस संदर्भ में मदरसों की भूमिका अब केवल धार्मिक केंद्रों तक सीमित नहीं रह सकती। उन्हें आधुनिक समाज की आवश्यकताओं के अनुरूप ढलना होगा।
बदलाव की राह पर परंपरा और प्रगति का संगम
इन दोनों राज्यों में जो परिवर्तन देखने को मिल रहा है, वह केवल शिक्षा क्षेत्र का बदलाव नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण के व्यापक परिप्रेक्ष्य में एक क्रांतिकारी कदम है।
जहां एक ओर यह पहल बच्चों के उज्जवल भविष्य का मार्ग प्रशस्त करती है, वहीं दूसरी ओर यह संदेश भी देती है कि भारत अब समान अवसर और समरसता के आधार पर अपने नागरिकों को आगे बढ़ने का अवसर देगा—चाहे वे किसी भी पृष्ठभूमि से आते हों।
➡️कुमार शैलेश की रिपोर्ट