
चित्रकूट की भरतकूप क्रेशर नगरी में अवैध खनन और ब्लास्टिंग चरम पर है। खनिज अधिकारियों की मिलीभगत से नियमों की धज्जियां उड़ रही हैं, जिससे न केवल पर्यावरण बल्कि जनता का स्वास्थ्य भी खतरे में है।
चित्रकूट जनपद की भरतकूप क्रेशर नगरी इन दिनों अवैध खनन और ब्लास्टिंग के चलते सुर्खियों में है। सरकारी मानकों को ताक पर रखकर जहां एक ओर अवैध खनन कराया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर खनिज विभाग के अधिकारी और इंस्पेक्टर की मिलीभगत से सजातीय खदान संचालकों को खुली छूट दी जा रही है।
एक ओर पहाड़ों का वजूद खत्म, दूसरी ओर जनता का स्वास्थ्य खतरे में
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, खनिज अधिकारी सुधाकर सिंह और खनिज इंस्पेक्टर मंटू सिंह अपने सजातीय क्रेशर मालिकों को पूर्ण संरक्षण प्रदान कर रहे हैं। नतीजतन, सीमांकन क्षेत्र से बाहर खुदाई, अवैध ब्लास्टिंग, और मानकविहीन खनन धड़ल्ले से हो रहा है। इससे न केवल पहाड़ियों का प्राकृतिक संतुलन बिगड़ रहा है, बल्कि आस-पास के ग्रामीणों का स्वास्थ्य भी गम्भीर रूप से प्रभावित हो रहा है।
डस्ट प्रदूषण बना बीमारियों की वजह, NGT नियमों की हो रही अवहेलना
क्रेशर मशीनों से निकलने वाली धूल (डस्ट) स्थानीय लोगों के लिए सांस संबंधी बीमारियों की बड़ी वजह बन चुकी है। इसके बावजूद भी अधिकतर क्रेशर संचालक NGT (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) के निर्देशों को अनदेखा कर रहे हैं। आश्चर्यजनक रूप से, खनिज विभाग इस पूरे मामले में मूकदर्शक बना हुआ है।
हर माह मोटी रकम के बदले संरक्षण का सौदा
सूत्रों की मानें तो खदान संचालकों द्वारा खनिज अधिकारियों को प्रति माह मोटी रकम दी जा रही है, जिसके बदले उन्हें अवैध गतिविधियों की खुली छूट मिलती है। यही कारण है कि भरतकूप क्षेत्र में अवैध खनन पर कोई ठोस कार्यवाही नहीं हो पा रही है।
➡️संजय सिंह राणा की रिपोर्ट