जगदंबा उपाध्याय की रिपोर्ट
आजमगढ़: जिले के सहायक संभागीय परिवहन कार्यालय (एआरटीओ) में एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। कार्यालय में तैनात दो बाबुओं की मिलीभगत से एक महिला की कार बिना उसकी जानकारी और सहमति के किसी और के नाम ट्रांसफर कर दी गई। इस धोखाधड़ी का खुलासा तब हुआ जब पीड़िता के मोबाइल पर जम्मू-कश्मीर में कार के ऑनलाइन चालान होने का मैसेज आया।
कैसे हुआ फर्जीवाड़ा?
जीयनपुर कोतवाली क्षेत्र के कोकिलपार गांव की निवासी नेहा अपने परिवार के साथ गुलामी का पूरा, डीह बाबा का स्थान के पास रहती हैं। उन्होंने बताया कि उनकी वरना कार उनके नाम पंजीकृत थी, जिसे उन्होंने एक निजी बैंक से लोन लेकर खरीदा था और अभी तक उसकी किस्त उनके खाते से कट रही है।
उनके पति सैय्यद मोहम्मद बेलाल के दोस्त, हरियाणा के नूह जिले के डालावास गांव निवासी जाबिर हुसैन, कार मांगकर चलाते थे।
26 फरवरी 2023 को कार का पहला चालान आगरा एक्सप्रेस-वे पर हुआ। उस वक्त कार जाबिर के पास थी।
15 नवंबर 2023 को कार का दूसरा चालान जम्मू-कश्मीर में हुआ।
जब पीड़िता और उनके पति ने जाबिर से गाड़ी वापस मांगी, तो उसने गालियां दीं और जान से मारने की धमकी दे दी।
इसके बाद, पीड़िता ने कार की जानकारी लेने के लिए बीमा एजेंसी से संपर्क किया, लेकिन एजेंसी ने बताया कि इस नंबर की कोई गाड़ी पंजीकृत ही नहीं है। जब एजेंसी ने चेचिस नंबर से जांच की, तो पता चला कि 21 अक्टूबर 2023 को कार साहिल साबिर मागरे (अनंतनाग, जम्मू-कश्मीर) के नाम ट्रांसफर हो चुकी है।
बिना सहमति और दस्तावेजों के कैसे हुआ ट्रांसफर?
जब पीड़िता ने आरटीओ कार्यालय जाकर इस फर्जी ट्रांसफर की शिकायत की, तब पता चला कि बाबू विनोद कुमार, बाबू नन्हकू, दलाल अर्जुन और जाबिर हुसैन की मिलीभगत से फर्जी दस्तावेज तैयार किए गए। इसके जरिए, एनओसी जारी कर गाड़ी को गैरकानूनी तरीके से ट्रांसफर कर दिया गया।
पुलिस की कार्रवाई
पीड़िता की शिकायत पर सिधारी थाने की पुलिस ने जाबिर हुसैन, विनोद कुमार, नन्हकू राम, अर्जुन गौड़ और साहिल साबिर मागरे के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस अब फर्जीवाड़े की जांच कर रही है और आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात कह रही है।
अधिकारियों की प्रतिक्रिया
एआरटीओ प्रशासन, विष्णुदत्त मिश्र ने कहा:
“यदि ऐसा हुआ है, तो मामले की जांच कराकर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।”
सिधारी थाना प्रभारी, शशिचंद चौधरी ने कहा:
“एक महिला ने शिकायत दर्ज कराई थी कि उसकी कार की किस्तें उसके खाते से कट रही थीं, लेकिन एआरटीओ कार्यालय के बाबुओं की मिलीभगत से गाड़ी किसी और के नाम ट्रांसफर कर दी गई। दो बाबू समेत पांच पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। मामले की जांच कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।”
इस मामले ने आरटीओ कार्यालय में फैले भ्रष्टाचार को उजागर कर दिया है। एक महिला की गाड़ी बिना उसकी जानकारी और सहमति के ट्रांसफर होना बेहद गंभीर मामला है। अब देखना होगा कि पुलिस कब तक सभी आरोपियों को पकड़कर पीड़िता को न्याय दिला पाती है।
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Author: जगदंबा उपाध्याय, मुख्य व्यवसाय प्रभारी
जिद है दुनिया जीतने की