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3 February 2025 12:37 am

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लडका लडकी राजी, दो फूल, दो माली के बीच आखिर कौन सा पेंच फंसा, कि हो गया इतना बड़ा बखेड़ा? 

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सुरेंद्र प्रताप सिंह की रिपोर्ट

राजस्थान के जोधपुर में दो हिंदू युवतियों के मुस्लिम युवकों से विवाह करने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। इस मुद्दे को लेकर विवाद गहराता जा रहा है, जिसमें विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने भी हस्तक्षेप कर दिया है। दोनों मुस्लिम युवकों ने विशेष विवाह अधिनियम 1956 की धारा 5 के तहत जिला कलेक्टर के समक्ष विवाह की अनुमति के लिए आवेदन किया था। इसके बाद, प्रशासन ने 30 दिनों के भीतर आपत्तियां दर्ज कराने के निर्देश दिए। इस मामले को लेकर हिंदू संगठनों ने विरोध जताया और परिवारों को समझाइश देकर पुलिस थाने में शिकायत दर्ज करवाई।

कलेक्टर के पास मुस्लिम युवकों ने विवाह के लिए आवेदन किया

मामले की शुरुआत तब हुई जब जोधपुर निवासी मोहम्मद अल्ताफ (36) ने 29 वर्षीय हिंदू युवती से विवाह करने के लिए जिला कलेक्टर के समक्ष आवेदन दिया। इसी तरह, सैयद (पुत्र जाकिर हुसैन) नामक युवक ने भी 20 वर्षीय हिंदू युवती से शादी की अनुमति के लिए अर्जी दाखिल की। यह आवेदन सार्वजनिक होते ही मामला सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया। कई लोग इस विवाह को ‘लव जिहाद’ का मामला बताते हुए विरोध जता रहे हैं। प्रशासन ने इन आवेदनों पर विचार करते हुए 30 दिनों की समय सीमा तय की है, जिसके भीतर कोई भी व्यक्ति लिखित रूप में अपनी आपत्ति दर्ज करवा सकता है।

विश्व हिंदू परिषद ने जताया विरोध, परिजनों ने दर्ज कराई आपत्ति

इस मामले में विश्व हिंदू परिषद ने सक्रिय भूमिका निभाई और हिंदू युवतियों के परिवारों से संपर्क किया। संगठन के नेताओं ने युवतियों के माता-पिता को समझाइश दी, जिसके बाद उन्होंने देवनगर पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई। इसके अलावा, परिवारों ने जिला कलेक्टर के समक्ष भी अपनी आपत्ति प्रस्तुत की।

परिजनों ने आरोप लगाया 

1. पहले मामले में युवती के माता-पिता ने कहा कि उनकी बेटी को बहला-फुसलाकर विवाह के लिए तैयार किया गया है।

2. दूसरे मामले में परिजनों ने दावा किया कि उनकी बेटी मानसिक रूप से कमजोर है और वह अपने निर्णय लेने में सक्षम नहीं है।

इन दावों के आधार पर विश्व हिंदू परिषद और परिवारजन इसे ‘लव जिहाद’ का मामला बता रहे हैं और विवाह को रद्द करने की मांग कर रहे हैं।

सोशल मीडिया पर भी बढ़ा विवाद, पुलिस कर रही जांच

इस मुद्दे पर सोशल मीडिया पर भी तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कई लोग इसे अंतरधार्मिक प्रेम विवाह का मामला मानते हैं, तो कुछ इसे लव जिहाद से जोड़कर देख रहे हैं। बढ़ते विवाद को देखते हुए पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।

पुलिस अधिकारियों का कहना है कि, 

सबसे पहले यह जांच की जाएगी कि विवाह के लिए सहमति बिना किसी दबाव या छल के दी गई है या नहीं।

परिवारों द्वारा लगाए गए मानसिक अस्थिरता और बहकाने के आरोपों की सत्यता का भी परीक्षण किया जाएगा।

यदि किसी भी प्रकार की जबरदस्ती या धोखाधड़ी पाई जाती है, तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

कानूनी प्रक्रिया और सामाजिक विवाद के बीच फंसा मामला

विशेष विवाह अधिनियम 1956 के तहत किसी भी अंतरधार्मिक विवाह के लिए आवेदन करने के बाद 30 दिनों की अवधि दी जाती है, ताकि यदि कोई आपत्ति हो तो उसे दर्ज किया जा सके। इस मामले में भी प्रशासन ने इसी कानूनी प्रक्रिया का पालन किया है। हालांकि, सामाजिक और धार्मिक संगठनों के हस्तक्षेप से मामला और अधिक संवेदनशील बन गया है।

आगे क्या?

फिलहाल पुलिस दोनों पक्षों से पूछताछ कर रही है और मामले के सभी पहलुओं की जांच की जा रही है। प्रशासन भी आपत्तियों पर विचार करने के बाद उचित निर्णय लेगा। इस बीच, विश्व हिंदू परिषद और अन्य हिंदू संगठनों ने युवतियों को न्याय दिलाने की बात कही है, जबकि मुस्लिम समुदाय का कहना है कि यह दो वयस्कों की सहमति से होने वाला विवाह है और इसे जबरदस्ती रोकना अनुचित होगा।

आने वाले दिनों में इस मामले पर प्रशासन क्या निर्णय लेता है, इस पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं।

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