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28 January 2025 12:54 am

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यूपी के इन तीन गावों में खूब पैदा होते हैं आईएएस और आईपीएस, आंकड़े चौंकाने वाले हैं

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अब्दुल मोबीन सिद्दीकी की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश के कुछ गांव ऐसे हैं, जो अपनी मेहनत, संघर्ष और शिक्षा के प्रति समर्पण के बल पर प्रशासनिक सेवाओं में उल्लेखनीय योगदान दे रहे हैं। इन गांवों ने न केवल अपनी पहचान बनाई है, बल्कि पूरे देश में एक मिसाल पेश की है। इनके प्रशासनिक सफलता के किस्से आज भी प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं।

माधोपट्टी, जौनपुर

उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले का माधोपट्टी गांव प्रशासनिक अधिकारियों के गढ़ के रूप में प्रसिद्ध है। यह गांव लखनऊ से लगभग 300 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। छोटे से इस गांव में केवल 75 घर हैं, लेकिन इन घरों में से 47 से अधिक परिवारों ने देश को आईएएस और आईपीएस अधिकारी दिए हैं। ये आंकड़े इस बात का प्रमाण हैं कि यहां शिक्षा और मेहनत का कितना महत्व है।

माधोपट्टी गांव के युवा प्रशासनिक सेवाओं में जाने के लिए हमेशा से प्रेरित रहे हैं। यह गांव साबित करता है कि यदि संकल्प मजबूत हो और मेहनत ईमानदारी से की जाए, तो छोटे से गांव से भी बड़े-बड़े सपने साकार हो सकते हैं। माधोपट्टी आज देशभर में अपनी शिक्षा और प्रशासनिक सेवाओं में योगदान के लिए एक आदर्श उदाहरण है।

इटौरी, प्रतापगढ़

प्रतापगढ़ जिले का इटौरी गांव प्रशासनिक सफलता की एक और उत्कृष्ट मिसाल है। यह गांव अपने यहां से निकलने वाले प्रतिभाशाली आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के लिए जाना जाता है। खास बात यह है कि इस गांव के एक ही परिवार से चार भाई-बहन प्रशासनिक सेवा में हैं। इनमें तीन आईएएस और एक आईपीएस अधिकारी शामिल हैं:

क्षमा मिश्रा (IPS, 2016), योगेश मिश्रा (IAS, 2013), माधवी मिश्रा (IAS, 2015), लोकेश मिश्रा (IAS, 2016)

इनकी सफलता पूरे गांव के लिए प्रेरणा बनी है। इटौरी गांव ने यह साबित किया है कि अगर परिवार में शिक्षा और परिश्रम का महत्व समझा जाए, तो असंभव को भी संभव किया जा सकता है। यहां के लोग मानते हैं कि मां बेल्हादेवी का आशीर्वाद उनके मार्गदर्शन का स्रोत है, जिसने पूरे गांव को एक नई दिशा दी है।

औरंगपुर सिलैटा, संभल

संभल जिले का औरंगपुर सिलैटा गांव भी प्रशासनिक सेवाओं में अपनी खास पहचान बना चुका है। यह गांव अब तक देश को 31 आईएएस अधिकारी दे चुका है। गांव की कुल आबादी केवल 3000 है, लेकिन प्रशासनिक क्षेत्र में इसकी भूमिका बहुत बड़ी है।

औरंगपुर सिलैटा के पहले आईएएस अधिकारी हरबख्श सिंह थे, जिन्होंने आज़ादी से पहले पीसीएस (PCS) परीक्षा पास की थी। इसके बाद से यहां के युवाओं ने शिक्षा को अपनी प्राथमिकता बनाकर प्रशासनिक सेवाओं में लगातार सफलता प्राप्त की। यहां के लोग मानते हैं कि कठिन परिश्रम और शिक्षा से हर चुनौती को पार किया जा सकता है।

ये गांव इस बात का प्रमाण हैं कि अगर शिक्षा, मेहनत और सही मार्गदर्शन को महत्व दिया जाए, तो असंभव कुछ भी नहीं है। माधोपट्टी, इटौरी और औरंगपुर सिलैटा जैसे गांव न केवल अपने क्षेत्र में, बल्कि पूरे देश में एक प्रेरणास्त्रोत बन चुके हैं। इनकी कहानियां हर युवा को यह संदेश देती हैं कि परिस्थितियां चाहे जो भी हों, अगर लक्ष्य स्पष्ट हो और प्रयास ईमानदारी से किया जाए, तो हर सपने को साकार किया जा सकता है।

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