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20 January 2025 2:01 pm

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1978 के संभल दंगों के केस मुलायम सरकार ने वापस लिए थे, अब मुख्यमंत्री योगी के आदेश पर मचा बवाल

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सर्वेश द्विवेदी की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश के संभल जिले में 1976 और 1978 के दौरान हुए दो बड़े सांप्रदायिक दंगों के मामले एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इन दंगों से संबंधित कुल 16 मुकदमे दर्ज किए गए थे। हालांकि, आरोप है कि 23 दिसंबर 1993 को मुलायम सिंह यादव की सरकार बनने के बाद इन 16 मुकदमों में से 8 को वापस ले लिया गया था।

इस विवाद को लेकर राज्य सरकार की ओर से उस समय जारी किया गया आदेश पत्र अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। लेकिन मुरादाबाद जिला प्रशासन ने इस पत्र की पुष्टि नहीं की है।

वायरल पत्र का संदर्भ

वायरल हो रहे पत्र में यह उल्लेख है कि 30 मार्च 1978 को संभल नगर में हुए दंगे से जुड़े 16 मुकदमों में से 8 मुकदमे वापस लेने का फैसला लिया गया था। यह आदेश तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार के विशेष सचिव आर.डी. शुक्ला ने मुरादाबाद के जिलाधिकारी को जारी किया था। सोशल मीडिया पर इस पत्र के वायरल होने के बाद यह मुद्दा तूल पकड़ रहा है।

दंगा पीड़ितों का कहना है कि उन्हें जितना दर्द दंगों के दौरान हुई क्षति से हुआ, उससे कहीं ज्यादा राज्य सरकार द्वारा मुकदमे वापस लेने के फैसले से हुआ।

आजम खान और शफीकुर्रहमान बर्क पर आरोप

इस विवाद में यह आरोप भी सामने आया है कि मुकदमों की वापसी के पीछे सपा नेता आजम खान और संभल के तत्कालीन सांसद शफीकुर्रहमान बर्क का हाथ था। दंगा पीड़ितों के मुताबिक, 1978 के दंगों में बड़ी संख्या में हिंदुओं की हत्या हुई थी और उनके व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को आग के हवाले कर दिया गया था।

पीड़ित विष्णु शरण रस्तोगी के अनुसार, “29 मार्च 1978 की सुबह से ही दंगे भड़क उठे थे। हिंदुओं की हत्या और उनके प्रतिष्ठानों को जलाने की घटनाएं लगातार हो रही थीं। हालात इतने खराब हो गए थे कि पलायन के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा।”

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर जांच शुरू

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश के बाद मुरादाबाद जिला प्रशासन ने इस मामले की पुरानी फाइलें खंगालनी शुरू कर दी हैं। अब तक 10 फाइलें ढूंढी जा चुकी हैं, जिनमें दंगों और उनसे जुड़े हत्या के मामलों की जानकारी है।

सूत्रों के अनुसार, जांच के दौरान यह भी पाया गया है कि कई मामलों में बिना पीड़ितों के बयान और जांच अधिकारियों की रिपोर्ट के ही फाइलें बंद कर दी गई थीं।

नए सिरे से जांच की तैयारी

आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, 1978 के दंगे से जुड़े रिकॉर्ड 1993 तक उपलब्ध हैं, लेकिन इसके बाद का कोई रिकॉर्ड प्रशासन के पास नहीं है। अब जिला प्रशासन ने सभी पुराने मामलों की नए सिरे से जांच करने की तैयारी शुरू कर दी है।

पीड़ितों की नाराजगी और न्याय की मांग

दंगा पीड़ितों का कहना है कि पिछले 47 वर्षों से वे इंसाफ की लड़ाई लड़ रहे हैं। मुकदमे वापस लेने के फैसले ने उनकी उम्मीदों को तोड़ दिया था। अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से दिए गए निर्देशों ने एक बार फिर न्याय की उम्मीद जगा दी है।

इस मामले को लेकर राजनीति भी गरमा गई है। दंगों से जुड़े मुकदमों की वापसी के पीछे किन परिस्थितियों में यह फैसला लिया गया, यह जांच के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा।

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