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9 February 2025 1:45 am

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फर्जी आधार, नकली परीक्षार्थी और 10 लाख की डील: पुलिस ने गैंग धर दबोचा

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जगदंबा उपाध्याय की रिपोर्ट

आजमगढ़ में शहर कोतवाली पुलिस और एसओजी (स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप) की संयुक्त कार्रवाई में प्रतियोगी परीक्षाओं में धांधली करने वाले एक संगठित साल्वर गैंग का पर्दाफाश हुआ है। इस कार्रवाई में गैंग के चार वांछित सदस्यों को गिरफ्तार किया गया। ये सभी आरोपी बिहार और गाजीपुर के रहने वाले हैं। पुलिस ने उनके पास से एक अर्टिगा कार, छह मोबाइल फोन, एक फर्जी आधार कार्ड, तीन एडमिट कार्ड और एक प्रश्न पुस्तिका बरामद की है।

10 लाख रुपये में परीक्षा पास कराने का ठेका

गिरफ्तार आरोपियों में से एक बिहार निवासी मुख्य आरोपी परीक्षा पास कराने और नौकरी दिलाने का ठेका 10 लाख रुपये में लेता था। वह परीक्षार्थियों की जगह साल्वर बैठाकर फर्जी तरीके से परीक्षा दिलवाता था।

पुलिस अधीक्षक की प्रेस वार्ता में खुलासा

पुलिस अधीक्षक हेमराज मीना ने सोमवार को प्रेस वार्ता में जानकारी दी कि शिब्ली नेशनल कॉलेज परीक्षा केंद्र में यूपीसीसीएससीआर (UPCCSCR) 2024-25 की परीक्षा आयोजित की जा रही थी। 4 जनवरी को प्रथम पाली की परीक्षा के दौरान कक्ष संख्या-103 में गाजीपुर निवासी अनूप सागर के नाम पर परीक्षा देने आए एक व्यक्ति पर शक हुआ। आधार वेरिफिकेशन के दौरान डेटा का मिलान न होने पर जब पुलिस ने कड़ी पूछताछ की, तो उसने अपना असली नाम विकास कुमार, निवासी पटना, बिहार बताया। उसने स्वीकार किया कि पैसे के बदले वह फर्जी परीक्षार्थी बनकर परीक्षा देने आया था।

गिरफ्तार आरोपी और उनकी भूमिका

पुलिस ने 4 जनवरी को साल्वर विकास कुमार उर्फ राकेश कुमार, 5 जनवरी को परीक्षार्थी अनूप सागर और 6 जनवरी को रामप्रवेश यादव, सुनील कन्नौजिया, अंकित गुमा (साल्वर), और अमित कुमार कन्नौजिया (परीक्षार्थी) को गिरफ्तार किया। इन सभी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर पुलिस मामले की जांच में जुटी है।

संगठित गिरोह का संचालन

गिरफ्तार रामप्रवेश यादव ने पूछताछ में बताया कि वह दुर्गेश तिवारी (बिहार निवासी) के साथ मिलकर उत्तर प्रदेश में परीक्षार्थियों के स्थान पर साल्वर बैठाने का काम करता है। दुर्गेश तिवारी आधार कार्ड में फोटो बदलने और फर्जी कार्ड तैयार करने का काम करता था। इस गिरोह का मुख्य उद्देश्य प्रतियोगी परीक्षाओं में अभ्यर्थियों की जगह साल्वर को बैठाकर उन्हें पास कराना और नौकरी दिलवाना था।

10 लाख रुपये में तय होती थी डील

गिरोह परीक्षार्थियों से 10 लाख रुपये की डील करता था। इसमें से 2 लाख रुपये पहले और बाकी पैसे परीक्षा के बाद लिए जाते थे। दुर्गेश तिवारी बिहार से साल्वर लाने और फर्जी आधार कार्ड तैयार करने की मुख्य भूमिका निभाता था। इस गिरोह में सुनील कन्नौजिया, बबलू यादव, श्रवण कुमार यादव, और सूर्यकांत कुशवाहा जैसे लोग भी शामिल थे, जो परीक्षार्थियों की तलाश कर उन्हें फंसाने का काम करते थे।

पुलिस की कड़ी कार्रवाई

पुलिस ने गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। इस कार्रवाई ने प्रतियोगी परीक्षाओं में हो रही फर्जीवाड़े की गंभीरता को उजागर किया है। मामले की विस्तृत जांच जारी है, और पुलिस अन्य आरोपियों की भी तलाश में जुटी है।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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